भारत विभिन्न संस्कृतियों एवं धर्मों का देश है। यहाँ निवास करने वाले लोगों के विश्वास एवं आस्था ही भारतवर्ष को एक संस्कृति समृद्ध देश बनाता है।
हिन्दू धर्मावलंबियों की संख्या भारत में सर्वाधिक है। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार इसमें 33 करोड़ देवी देवता हैं जो इस धर्म को और भी अधिक संस्कृति सम्पन्न बना देते हैं।
हिन्दू धर्म में सबसे प्रमुख देवता भगवान् शिव हैं, उन्हें आदि से अनंत माना जाता है। मान्यता अनुसार शिव से ही इस संसार की शुरुआत हुई है, तथा उन पर जाकर ही सारी सृष्टि का अंत होगा।
उनमे से सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थान ज्योतिर्लिंग ( 12 Jyotirlinga ) भी है, जिनकी संख्या 12 बताई गई है, ज्योतिर्लिंग भगवान शिव की विराट शक्तियों का प्रदर्शन करते हैं।
शिवजी से जुडी हुई अनेकों धार्मिक कथाएं सम्पूर्ण भारत में आपको सुनने को मिल जाएँगी, साथ ही आपको भगवन शिव से जुड़े अनेक धार्मिक स्थल, मंदिर आदि भारत भर में देखने को मिलेंगे।
“ज्योतिर्लिंग” का शाब्दिक अर्थ है “प्रकाश का लिंग या स्तम्भ ” इन मंदिरों को शिव की शक्ति पूजा के लिए सबसे शक्तिशाली पूजा स्थल माना जाता है।
भगवान शिव एवं उनके विभिन्न रूपों का आशीर्वाद लेने के लिए देश भर के हिंदू भक्त अक्सर इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने के लिए तीर्थ यात्रा एवं आध्यात्मिक यात्रा करते हैं।
लाखों लोग हर वर्ष इन ज्योतिर्लिंगों के गर्भगृह में दिव्य शक्तियों की उपस्थिति में ईश्वर का सानिध्य तथा आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आते हैं।
भारत में बारह पारंपरिक ज्योतिर्लिंग मंदिर स्थित हैं, प्रत्येक को विशेष रूप से पवित्र एवं शक्तिशाली माना जाता है। ये मंदिर महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, असम, उत्तराखंड राज्यों में स्थित हैं।
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12 Jyotirlinga with name | ज्योतिर्लिंगों की संख्या
भारत के अलग-अलग राज्यों में भगवान् शिव की शक्तियों के स्रोत के रूप में 12 ज्योतिर्लिंग स्थापित हैं। जिनका हिन्दू धर्म में अपना एक प्रमुख स्थान है।
प्रत्येक ज्योतिर्लिंग अपने भीतर भगवान् शिव की एक अनूठी शक्ति को समाहित किये हुआ है। जिसको अपनी पूजा एवं भक्ति के द्वारा कोई भी भक्त जाग्रत करके अपनी मनोकामना पूर्ण कर सकता है।
इन बारह ज्योतिर्लिंगों के नाम एवं स्थान इस प्रकार हैं –
1 सोमनाथ ( Somnath Jyotirlinga ) – गुजरात में स्थित है।
2 मल्लिकार्जुन ( Mallikarjuna Jyotirlinga ) – आंध्र प्रदेश में स्थित है।
3 महाकालेश्वर ( Mahakaleshwar jyotirlinga ) – मध्य प्रदेश में स्थित है।
4 ओंकारेश्वर ( Omkareshwar Jyotirling ) – मध्य प्रदेश में स्थित है।
5 केदारनाथ ( Kedarnath Jyotirlinga ) – उत्तराखंड में स्थित है।
6 भीमाशंकर ( Bhimashankar Jyotirlinga ) – महाराष्ट्र में स्थित है।
7 विश्वनाथ ( Kashi Vishwanath Jyotirlinga ) – वाराणसी उत्तर प्रदेश में स्थित है।
8 त्र्यंबकेश्वर ( Trimbakeshwar Jyotirlinga ) – महाराष्ट्र में स्थित है।
9 बैद्यनाथ ( Baijnath ) – झारखंड में स्थित है।
10 नागेश्वर ( Nageshwar Jyotirlinga ) – गुजरात में स्थित है।
11 रामेश्वरम ( Rameswaram Jyotirlinga ) – तमिलनाडु में स्थित है।
12 घृष्णेश्वर ( Grishneshwar Jyotirlinga ) – महाराष्ट्र में स्थित है।
भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित इन ज्योतिर्लिंगों की अपनी कथा एवं आध्यात्मिक महत्व है। हिन्दू धर्म में आस्था रखने वालों के लिए जीवन में एक बार इनके दर्शन एवं पूजन आवश्यक है।
ऐसा माना जाता है कि सभी 12 ज्योतिर्लिंगों की तीर्थ यात्रा, जिसे ज्योतिर्लिंग यात्रा के रूप में जाना जाता है, भक्तों को जन्म एवं मृत्यु के चक्र से मुक्ति दिला सकती है।
यही कारण है, कि साल भर भक्तों का ताँता इन ज्योतिर्लिंगों पर लगा रहता है। प्रत्येक भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार प्रतिफल प्राप्त करता है।
Meaning of Jyotirlinga | ज्योतिर्लिंग का अर्थ
शब्द “ज्योतिर्लिंग” शब्द संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है। “ज्योति” का अर्थ है “प्रकाश” या “चमक,” तथा “लिंग” भगवान शिव के “निशान” या “चिन्ह” को संदर्भित करता है।
ज्योतिर्लिंग शब्द शिव के लिंगम के रूप में प्रकट होने को संदर्भित करता है, जो भगवान की ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतीक है तथा जिन्हें सभी निर्माण, संरक्षण एवं विनाश का स्रोत कहा जाता है।
हिंदू धर्म में, लिंगम को भगवान शिव का एक अलौकिक प्रतिनिधित्व माना जाता है, एवं ज्योतिर्लिंग लिंग का एक विशेष रूप से शक्तिशाली एवं पवित्र अभिव्यक्ति स्वरूप है।
ज्योतिर्लिंग को स्वयंभू भी कहा जाता है, तथा माना जाता है, कि यह भगवान शिव का यह सबसे शक्तिशाली रूप है, जो आशीर्वाद देने, मनोकामना पूरी करने और भक्तों को मोक्ष देने में सक्षम है।
हिंदू कथाओं के अनुसार, ज्योतिर्लिंग मंदिर वे स्थान माने जाते हैं, जहां शिव प्रकाश के एक उग्र स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे।
कहा जाता है कि भारत में 12 पारंपरिक ज्योतिर्लिंग मंदिर स्वयं भगवान शिव द्वारा स्थापित किए गए हैं एवं विशेष रूप से पूजा के पवित्र स्थान माने जाते हैं।
हिंदू धर्म में ज्योतिर्लिंग के संदर्भ में, प्रकाश भी ज्ञान, ज्ञान का एक रूपक है जो एक व्यक्ति को परम सत्य के करीब लाता है, इसलिए ज्योतिर्लिंग शब्द आध्यात्मिक ज्ञान के इस पहलू को भी संदर्भित करता है।
Importance of Jyotirlingas in Hinduism | हिन्दू धर्म में ज्योतिर्लिंगों का महत्व
ज्योतिर्लिंग मंदिर हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखते हैं ,तथा विशेष रूप से पूजा के लिए एक पवित्र स्थान माने जाते हैं। इच्छापूर्ति की प्रार्थना इन ज्योतिर्लिंगों में करने पर विशेष प्रतिफल प्राप्त होते है।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ज्योतिर्लिंग भगवान शिव का लिंग के रूप में प्रकटीकरण है, जो भगवान की ब्रह्मांडीय ऊर्जा का प्रतीक है।
भक्तों का मानना है, कि ज्योतिर्लिंग के मंदिरों में जाने और शिवलिंग की पूजा करने से उन्हें भगवान् का विशेष आशीर्वाद मिल सकता है, मनोकामना पूरी हो सकती है तथा मोक्ष मिल सकता है।
ज्योतिर्लिंग मंदिरों को ध्यान एवं योग जैसी आध्यात्मिक प्रथाओं के साथ-साथ देवताओं से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भी विशेष रूप से शक्तिशाली माना जाता है।
इसके अतिरिक्त, 12 ज्योतिर्लिंग तीर्थों में से प्रत्येक की अपनी अनूठी किंवदंतियाँ एवं उनसे जुड़ी कहानियाँ हैं, जिनका एक ऐतिहासिक तथा पौराणिक महत्व है।
ये कहानियाँ इन मंदिरों के आध्यात्मिक एवं भक्ति महत्व को समृद्ध करती हैं, तथा उन्हें अत्यधिक आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व का स्थान बनाती हैं।
अपने धार्मिक महत्व के अलावा, मंदिर बड़ी संख्या में पर्यटकों को भी आकर्षित करते हैं और एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक विरासत स्थल और तीर्थ स्थल के रूप में भी देखे जाते हैं।
Spiritual Significance of Jyotirlinga | ज्योतिर्लिंग का आध्यात्मिक महत्व
इन ज्योतिर्लिंगों का अलग-अलग रूप से अपना आध्यात्मिक महत्व है। भक्तों को अपनी आस्था के अनुसार इनके दर्शन एवं पूजन करना चाहिए।
जब आप अपनी इच्छा पूर्ति के लिए सही ज्योतिर्लिंग पर अभिषेक करते हैं, तो उस शक्ति स्रोत को जागृत कर अपनी मनोकामना पूर्ण करवा सकते है।
उदाहरण के लिए, महाकाल तम प्रधान ऊर्जा से आवेशित है, नागनाथ हरिहर रूप में है और सत्त्व-तम-प्रधान है तथा त्र्यंबकेश्वर तीन घटक-उन्मुख (अवधूत के रूप में भी जाना जाता है)।
Why only 12 Jyotirlinga | ज्योतिर्लिंग की संख्या 12 होने का कारण
12 ज्योतिर्लिंगों को हिंदू धर्म की शैववाद परंपरा में विशेष रूप से पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है। उन्हें लिंग के रूप में भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है, जो भगवान के लिंग रूप का प्रतिनिधित्व करता है।
शैव धर्म परंपरा के अनुसार, इन 12 तीर्थों को शिव की पूजा के लिए विशेष रूप से शक्तिशाली और शुभ स्थानों के रूप में चुना गया है। प्रत्येक ज्योतिर्लिंग की अपनी किंवदंती और आध्यात्मिक महत्व है।
शैव वाद में भक्त उन्हें आध्यात्मिक तीर्थयात्रा के हिस्से के रूप में देखते हैं, जिसे अक्सर “ज्योतिर्लिंग यात्रा” कहा जाता है।
12 ज्योतिर्लिंगों की विशिष्ट संख्या को आध्यात्मिक शक्ति के साथ एक संख्या के रूप में हिंदू परंपरा में इसके आध्यात्मिक महत्व के लिए चुना गया है।
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