Loading...

299 Big Street, Govindpur, India

Open daily 10:00 AM to 10:00 PM

300 साल पुराना है मत्स्य माता मंदिर : यहां होती है व्हेल मछली की हड्डियों की पूजा

Uncategorized

कहाँ है यह मत्स्य देवी का मंदिर 

यह मंदिर गुजरात में वलसाड तहसील के मगोद डुंगरी गांव में स्थापित है। अपने ही देश के एक मंदिर में व्हेल मछली की हड्डियों की पूजा कोई पचास-सौ सालों से नहीं बल्कि तीन सौ वर्षों से हो रही है। यह मंदिर गुजरात में वलसाड तहसील के मगोद डुंगरी गांव में स्थापित है, जो यहां मत्स्य माताजी के मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।

कहते हैं, इस मंदिर का निर्माण यहां के मछुआरा समुदाय ने किया था। वे समुद्र में मछलियां पकड़ने जाने से पहले इस मंदिर में व्हेल मछली की हड्डियों की पूजा करते थे और माथा टेककर मत्स्य माताजी का आशीर्वाद लेते थे, ताकि वे बिना किसी बाधा या परेशानी के अधिक-से-अधिक मछलियां पकड़ सकें।

क्या कहती है यहां की प्रचलित किंवदंती 

यहां प्रचलित एक प्राचीन किंवदंती के अनुसार यहां के एक निवासी प्रभु टंडेल को लगभग 300 साल पहले एक सपना आया था कि समुद्र तट पर एक विशाल मछली आई हुई है। उसने सपने में यह भी देखा था कि वह मछली एक देवी का रुप धारण तट पर पहुंचती है, परंतु वहां आने पर उनकी मृत्यु हो जाती है।

सुबह गांव वाले और टंडेल ने वहां जाकर देखा तो सच में वहां एक बड़ी मछली मरी पड़ी थी। उस मछली के विशाल आकार को देख गांव वाले हैरान हो गए, जो कि एक व्हेल मछली थी।

टंडेल ने जब अपने सपने की पूरी बात लोगों को बताई तो लोगों ने उसे देवी का अवतार मान लिया और वहां मत्स्य माता के नाम से एक मंदिर बनवाया गया।

जानिए क्या हुआ कब कुछ लोगों ने किया विरोध


यहां के लोग बताते हैं कि प्रभु टंडेल ने उस मंदिर के निर्माण से पूर्व व्हेल मछली को समुद्र के तट पर ही दबा दिया था। जब मंदिर निर्माण का कार्य पूरा हो गया तो उसने व्हेल की हड्डियों को वहां से निकालकर मंदिर में रख दिया गया।

लेकिन टंडेल की इस आस्था का कुछ लोगों ने विरोध किया, वे मछली की हड्डी की पूजा के विरुद्ध थे, इसलिए उन्होंने मंदिर से संबंधित किसी भी कार्य में हिस्सा नहीं लिया। कहते हैं उन लोगों, जिन्हें मत्स्य देवी पर विश्वास नहीं था, के इस व्यवहार के कारण केवल उन्हें नहीं बल्कि सब गांव वालों को गंभीर नतीजा भुगतना पड़ा।

मत्स्य देवी ने दिखाए फिर चमत्कार 

प्रभु टंडेल और उसपे विश्वास रखने वाले नियमित रूप से इस मंदिर में पूजा करने लग गये | पर मत्स्य देवी के मंदिर का मजाक उड़ाने वालो की भी कमी नही थी | एक दिन उस गावं में महामारी फ़ैल गयी | हर तरफ त्राहिमान त्राहिमाम मचा हुआ था | अचानक  इस गावं पर आये इस विपत्ति के बारे में कोई समझ नही पा रहा था | प्रभु टंडेल और उसके साथी फिर भी नियमित मस्त्य देवी की पूजा करते रहे | उनकी भक्ति भावना को देखकर सभी गावं वाले इस मंदिर में महामारी से बचने की गुहार लगाने लगे | चमत्कारी रूप से धीरे धीरे महामारी इस गावं से चली गयी और लोगो में मत्स्य देवी के प्रति अपार श्रद्दा बढ़ गयी |

आज तो हालत ऐसे है की मछुआरे समुद्र में जाने से पहले इस मंदिर में शीश जरुर झुकाते है | हर साल अंतिम नवरात्रि वाले दिन इस मंदिर में विशाल मेला भरता है |

Written by

Your Astrology Guru

Discover the cosmic insights and celestial guidance at YourAstrologyGuru.com, where the stars align to illuminate your path. Dive into personalized horoscopes, expert astrological readings, and a community passionate about unlocking the mysteries of the zodiac. Connect with Your Astrology Guru and navigate life's journey with the wisdom of the stars.

Leave a Comment

Item added to cart.
0 items - 0.00