लेख सारिणी
छठ पूजा 2022
छठ पूजा का महापर्व कल 28 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहा है. कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को छठ पूजा होती है, जिसमें प्रात:काल में भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं और पारण करके व्रत को पूरा करते हैं. नहाय खाय के साथ शुरू होने वाले इस पर्व में सूर्य भगवान की विशेष उपासना की जाती है. इसमें उगते और डूबते सूर्य की पूजा की जाती है. छठ का व्रत काफी कठिन और नियम के साथ किया जाता है.
मान्यता है कि छठ देवी सूर्यदेव की बहन है। इसलिए छठ पर्व पर छठ देवी को प्रसन्न करने हेतु सूर्य देव को प्रसन्न किया जाता है। गंगा-यमुना या किसी भी नदी, सरोवर के तट पर सूर्यदेव की आराधना की जाती है। महाभारत में भी छठ पूजा का उल्लेख किया गया है। पांडवों की माँ कुंती को विवाह से पूर्व सूर्य देव की उपासना कर आशीर्वाद स्वरुप पुत्र की प्राप्ति हुई जिनका नाम था कर्ण। पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने भी उनके कष्ट दूर करने हेतु छठ पूजा की थी।
हिन्दू धर्म में छठ पर्व का अत्यंत महत्त्व है और पुरुष एवं स्त्री एक सामान रूप से इस पर्व को मनाते हैं। यह पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से आरंभ होकर सप्तमी तक चलता है। प्रथम दिन यानि चतुर्थी तिथि ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है। आगामी दिन पंचमी को खरना व्रत किया जाता है और इस दिन संध्याकाळ में उपासक प्रसाद के रूप में गुड-खीर, रोटी और फल आदि का सेवन करते है और अगले 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखते हैं। मान्यता है कि खरन पूजन से ही छठ देवी प्रसन्न होती है और घर में वास करती है। छठ पूजा की अहम तिथि षष्ठी में नदी या जलाशय के तट पर भारी तादाद में श्रद्धालु एकत्रित होते हैं और उदीयमान सूर्य को अर्ध्य समर्पित कर पर्व का समापन करते हैं।
छठ पर्व – महत्व
छठ पूजा मुख्य रूप से बिहार व पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। हालाँकि अब यह पर्व देश के कोने-कोने में मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह माना जाता है कि यह भारत के सूर्यवंशी राजाओं के मुख्य पर्वों से एक था। कहा जाता है कि एक समय मगध सम्राट जरासंध के एक पूर्वज का कुष्ठ रोग हो गया था। इस रोग से निजात पाने हेतु राज्य के शाकलद्वीपीय मग ब्राह्मणों ने सूर्य देव की उपासना की थी। फलस्वरूप राजा के पूर्वज को कुष्ठ रोग से छुटकारा मिला और तभी से छठ पर सूर्योपासना की प्रातः आरंभ हुई है।
छठ व्रत पूर्ण नियम तथा निष्ठा से किया जाता है। श्रद्धा भाव से किए गए इस व्रत इ नि:संतान को संतान सुख की प्राप्ति होती हैं और धन-धान्य की प्राप्ति होती है। उपासक का जीवन सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहता है।
छठ व्रत की पूजा विधि
- छठ पर्व में मंदिरों में पूजा नहीं की जाती है और ना ही घर में साफ़-सफाई की जाती है।
- पर्व से दो दिन पूर्व चतुर्थी पर स्नानादि से निवृत्त होकर भोजन किया जाता है।
- पंचमी को उपवास करके संध्याकाळ में किसी तालाब या नदी में स्नान करके सूर्य भगवान को अर्ध्य दिया जाता है। तत्पश्चात अलोना भोजन किया जाता है।
- षष्ठी के दिन प्रात:काल स्नानादि के बाद संकल्प लिया जाता है। संकल्प लेते समय निम्न मन्त्रों का उच्चारण करें।
ऊं अद्य अमुकगोत्रो अमुकनामाहं मम सर्व
पापनक्षयपूर्वक शरीरारोग्यार्थ श्री सूर्यनारायणदेव
प्रसन्नार्थ श्री सूर्यषष्ठीव्रत करिष्ये।
पूरा दिन निराहार और नीरजा निर्जल रहकर पुनः नदी या तालाब पर जाकर स्नान किया जाता है और सूर्यदेव को अर्ध्य दिया जाता है।
अर्ध्य
अर्ध्य देने की भी एक विधि होती है। एक बांस के सूप में केला एवं अन्य फल, अलोना प्रसाद, ईख आदि रखकर उसे पीले वस्त्र से ढक दें। तत्पश्चात दीप जलाकर सूप में रखें और सूप को दोनों हाथों में लेकर निम्न मन्त्र का उच्चारण करते हुए तीन बार अस्त होते हुए सूर्यदेव को अर्ध्य दें।
ऊं एहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पया मां भवत्या गृहाणार्ध्य नमोअस्तुते॥
1. छठ पूजा का पहला दिन
नहाय-खाय 2022: 28 अक्टूबर, दिन शुक्रवार
सूर्योदय: प्रात: 06 बजकर 30 मिनट पर
सूर्योस्त: शम 05 बजकर 39 मिनट पर
शुभ समय
शोभन योग: प्रात:काल से देर रात 01 बजकर 30 मिनट
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 06 बजकर 30 मिनट से सुबह 10 बजकर 42 मिनट तक
रवि योग: सुबह 10 बजकर 42 मिनट से अगली सुबह 06 बजकर 31 मिनट तक
2. छठ पूजा का दूसरा दिन
लोहंडा और खरना 2022: 29 अक्टूबर, दिन शनिवार
सूर्योदय: प्रात: 06 बजकर 31 मिनट पर
सूर्योस्त: शाम 05 बजकर 38 मिनट पर
शुभ समय
रवि योग: सुबह 06 बजकर 31 मिनट से सुबह 09 बजकर 06 मिनट तक
सुकर्मा योग: रात 10 बजकर 23 मिनट से अगली सुबह तक
3. छठ पूजा का तीसरा दिन
छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 2022: 30 अक्टूबर, रविवार
सूर्यास्त: शाम 05 बजकर 38 मिनट पर
शुभ समय
सुकर्मा योग: प्रात: काल से शाम 07 बजकर 16 मिनट तक
धृति योग: शाम 07 बजकर 16 मिनट से अगली सुबह तक
रवि योग: सुबह 07:26 बजे से अगले दिन सुबह 05:48 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 06:31 बजे से सुबह 07:26 बजे तक
4. छठ पूजा का चौथा दिन
छठ पूजा का प्रात: अर्घ्य 2022: 31 अक्टूबर, सोमवार
सूर्योदय: प्रात: 06 बजकर 32 मिनट पर
शुभ समय
सर्वार्थ सिद्धि योग: प्रात: 05:48 बजे से सुबह 06:32 बजे तक
त्रिपुष्कर योग: प्रात: 05:48 बजे से सुबह 06:32 बजे तक