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राधा अष्टकम – Radha Aashtkam

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 राधाष्टकम् – Radha Aashtkam

RadhaAashtkam – भाद्रपद माह में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के 15 दिन बाद शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। राधा अष्टमी का त्योहार श्री राधा रानी के प्राकट्य उत्सव के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों में श्री राधा कृष्ण की शाश्वत शक्तिस्वरूपा एवम प्राणों की अधिष्ठात्री देवी के रूप में वर्णित हैं अतः राधा जी की पूजा के बिना श्रीकृष्ण जी की पूजा अधूरी मानी गयी है।

Radhika Aashtkam राधाष्टकम्

कृष्णप्रेममयी राधा राधाप्रेममयो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥१॥

भावार्थ : श्रीराधारानी, भगवान श्रीकृष्ण में रमण करती हैं और भगवान श्रीकृष्ण, श्रीराधारानी में रमण करते हैं, इसलिये मेरे जीवन का प्रत्येक-क्षण श्रीराधा-कृष्ण के आश्रय में व्यतीत हो॥१॥

कृष्णस्य द्रविणं राधा राधायाः द्रविणं हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥२॥

भावार्थ : भगवान श्रीकृष्ण की पूर्ण-सम्पदा श्रीराधारानी हैं और श्रीराधारानी का पूर्ण-धन श्रीकृष्ण हैं, इसलिये मेरे जीवन का प्रत्येक-क्षण श्रीराधा-कृष्ण के आश्रय में व्यतीत हो। ॥२॥

कृष्णप्राणमयी राधा राधाप्राणमयो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥३॥

भावार्थ : भगवान श्रीकृष्ण के प्राण श्रीराधारानी के हृदय में बसते हैं और श्रीराधारानी के प्राण भगवान श्री कृष्ण के हृदय में बसते हैं, इसलिये मेरे जीवन का प्रत्येक-क्षण श्रीराधा-कृष्ण के आश्रय में व्यतीत हो। ॥३॥

कृष्णद्रवामयी राधा राधाद्रवामयो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥४॥

भावार्थ : भगवान श्रीकृष्ण के नाम से श्रीराधारानी प्रसन्न होती हैं और श्रीराधारानी के नाम से भगवान श्रीकृष्ण आनन्दित होते है, इसलिये मेरे जीवन का प्रत्येक-क्षण श्रीराधा-कृष्ण के आश्रय में व्यतीत हो। ॥४॥

कृष्ण गेहे स्थिता राधा राधा गेहे स्थितो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥५॥

भावार्थ : श्रीराधारानी भगवान श्रीकृष्ण के शरीर में रहती हैं और भगवान श्रीकृष्ण श्रीराधारानी के शरीर में रहते हैं, इसलिये मेरे जीवन का प्रत्येक-क्षण श्रीराधा-कृष्ण के आश्रय में व्यतीत हो ॥५॥

कृष्णचित्तस्थिता राधा राधाचित्स्थितो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥६॥

भावार्थ : श्रीराधारानी के मन में भगवान श्रीकृष्ण विराजते हैं और भगवान श्रीकृष्ण के मन में श्रीराधारानी विराजती हैं, इसलिये मेरे जीवन का प्रत्येक-क्षण श्रीराधा-कृष्ण के आश्रय में व्यतीत हो ॥६॥

नीलाम्बरा धरा राधा पीताम्बरो धरो हरिः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥७॥

भावार्थ : श्रीराधारानी नीलवर्ण के वस्त्र धारण करती हैं और भगवान श्रीकृष्णपीतवर्ण के वस्त्र धारण करते हैं, इसलिये मेरे जीवन का प्रत्येक-क्षण श्रीराधा-कृष्ण के आश्रय में व्यतीत हो ॥७॥

वृन्दावनेश्वरी राधा कृष्णो वृन्दावनेश्वरः।
जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम ॥८॥

भावार्थ : श्रीराधारानी वृन्दावन की स्वामिनी हैं और भगवान श्रीकृष्ण वृन्दावन के स्वामी हैं,
इसलिये मेरे जीवन का प्रत्येक-क्षण श्रीराधा-कृष्ण के आश्रय में व्यतीत हो ॥८॥

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