Loading...

299 Big Street, Govindpur, India

Open daily 10:00 AM to 10:00 PM

शिव रूद्राभिषेक की सम्पूर्ण जानकारी, पूजन का समय, फल और विधि

Uncategorized

रूद्राभिषेक का महत्व क्यों – Shiv Rudrabhishek

ऐसी मान्यता है कि शिव को प्रसन्न किए बिना मनुष्य का कल्याण संभव नहीं है। भले ही साधक के इष्टदेव भगवान विष्णु, श्रीराम, कृष्ण अथवा जगत्पिता ब्रह्म ही क्यों न हों। इन सभी देवताओं की उपासना के लिए भी भगवान शिव का पूजन स्मरण आवश्यक है। लोक-परलोक में सर्वत्र सफलता पाने का एक मात्र उपाय यह है कि प्रतिदिन एक लोटा स्वच्छ व शीतल जल भगवान शिव पर चढा़ दें। यदि आप विधिवत् रूद्राभिषेक करें तो इसका फल अवश्य ही मिलेगा। शास्त्रों में कहा गया है कि शिव को प्रसन्न करने के लिए रूद्राभिषेक से बढ़कर दूसरा कोई पूजन नहीं है।

यह भी जरूर पढ़े – घर के मंदिर और दैनिक पूजा-पाठ से जुड़े नियम, जानकारी और सावधानिया

रूद्राष्टाध्यायी से रूद्राभिषेक क्यों  – Shiv Rudrabhishek

रूद्राष्टाध्यायी द्वारा रूद्राभिषेक करने से धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है, रोग-दोष से मुक्ति मिलती है। संसार की ऐसी कोई भी वस्तु नहीं है, जो रूद्राभिषेक से प्राप्त न ही जा सके। दुर्लभ वस्तु आप मात्र एक श्रावण मास में रूद्राभिषेक द्वारा प्राप्त कर सकते हैं। सभी मंत्रादि धोखा दे सकते हैं, किंतु रूद्राभिषेक नहीं। यह मनोकामनाओं की तत्काल पूर्ति करने वाला हैं।

अलग-अलग वस्तुओं से अभिषेक करने का फल – Shiv Rudrabhishek

रुद्राभिषेक में मनोकामना के अनुसार अलग-अलग वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है. ज्योतिष मनाते हैं कि जिस वस्तु से रुद्राभिषेक करते हैं उससे जुड़ी मनोकामना ही पूरी होती है तो आइए जानते हैं कि कौन सी वस्तु से रुद्राभिषेक करने से पूरी होगी आपकी मनोकामना…

– जल की धारा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, अत: शुद्ध जल से भगवान शिव का अभिषेक करने पर भरपूर जलवृष्टि होती है। जल से अभिषेक करने से तेज ज्वर से भी शांत हो जाता है।
– लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से भगवान का अभिषेक करना चाहिए।
– गाय के दूध से अभिषेक करने पर नि:संतानों को संतान प्राप्त होती है।
– शक्कर ‍‍‍मिश्रित दूध से अभिषेक करने पर बुद्धि की जड़ता समाप्त हो जाती है और बुद्धि श्रेष्ठ होती है।
– शहद से अभिषेक करने पर पापों का नाश हो जाता है। तपेदिक रोग से छुटकारा मिलता है।
– घी से अभिषेक करने पर जीवन में आरोग्यता आती है और वंशवृद्धि होती है।
– सरसों के तेल के भगवान का ‍अभिषेक करने पर शत्रुओं का नाश होता है।
– मोक्ष की कामना के लिए तीर्थों के जल द्वारा अभिषेक किया जाता है।
– इक्षुरस से अभिषेक करने से दुर्योग नष्ट होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
– शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने से इंसान विद्वान हो जाता है.
– शहद से अभिषेक करने से पुरानी बीमारियां नष्ट हो जाती हैं.
– गाय के दूध से अभिषेक करने से आरोग्य मिलता है.
– शक्कर मिले जल से अभिषेक करने से संतान प्राप्ति सरल हो जाती हैं.
– भस्म से अभिषेक करने से इंसान को मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है.
– कुछ विशेष परिस्थितियों में तेल से भी शिव जी का अभिषेक होता है.

इन रसों द्वारा शुद्ध चित्त के साथ विधानुसार भगवान शिव का अभिषेक करने पर भगवान भक्त की सभी कामनाओं की पूर्ति करते हैं।

यह भी जरूर पढ़े – कालसर्प दोष : जाने सम्पूर्ण ज्योतिषीय उपाय, कालसर्प योग पूजा विधि, मंत्र जाप और…

रुद्राभिषेक कब होता है सबसे उत्तम?

कोई भी धार्मिक काम करने में समय और मुहूर्त का विशेष महत्व होता है. रुद्राभिषेक के लिए भी कुछ उत्तम योग बनते हैं. आइए जानते हैं कि कौन सा समय रुद्राभिषेक करने के लिए सबसे उत्तम होता है…

– रुद्राभिषेक के लिए शिव जी की उपस्थिति देखना बहुत जरूरी है.
– शिव जी का निवास देखे बिना कभी भी रुद्राभिषेक न करें, बुरा प्रभाव होता है.
– शिव जी का निवास तभी देखें जब मनोकामना पूर्ति के लिए अभिषेक करना हो.

शिव जी का निवास कब मंगलकारी होता है?

देवों के देव महादेव ब्रह्माण्ड में घूमते रहते हैं. महादेव कभी मां गौरी के साथ होते हैं तो कभी-कभी कैलाश पर विराजते हैं. ज्योतिषाचार्याओं की मानें तो रुद्राभिषेक तभी करना चाहिए जब शिव जी का निवास मंगलकारी हो…

– हर महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया और नवमी को शिव जी मां गौरी के साथ रहते हैं.
– हर महीने कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी और अमावस्या को भी शिव जी मां गौरी के साथ रहते हैं.
– कृष्ण पक्ष की चतुर्थी और एकादशी को महादेव कैलाश पर वास करते हैं.
– शुक्ल पक्ष की पंचमी और द्वादशी तिथि को भी महादेव कैलाश पर ही रहते हैं.
– कृष्ण पक्ष की पंचमी और द्वादशी को शिव जी नंदी पर सवार होकर पूरा विश्व भ्रमण करते हैं.
– शुक्ल पक्ष की षष्ठी और त्रयोदशी तिथि को भी शिव जी विश्व भ्रमण पर होते हैं.
– रुद्राभिषेक के लिए इन तिथियों में महादेव का निवास मंगलकारी होता है.

यह भी जरूर पढ़े – शिव मंत्र पुष्पांजली तथा सम्पूर्ण पूजन विधि और मंत्र श्लोक

शिव जी का निवास कब अनिष्टकारी होता है?

शिव आराधना का सबसे उत्तम तरीका है रुद्राभिषेक लेकिन रुद्राभिषेक करने से पहले शिव के अनिष्‍टकारी निवास का ध्यान रखना बहुत जरूरी है…

– कृष्णपक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी को भगवान शिव श्मशान में समाधि में रहते हैं.
– शुक्लपक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी और पूर्णिमा को भी शिव श्मशान में समाधि में रहते हैं.
– कृष्ण पक्ष की द्वितीया और नवमी को महादेव देवताओं की समस्याएं सुनते हैं.
– शुक्लपक्ष की तृतीया और दशमी में भी महादेव देवताओं की समस्याएं सुनते हैं.
– कृष्णपक्ष की तृतीया और दशमी को नटराज क्रीड़ा में व्यस्त रहते हैं.
– शुक्लपक्ष की चतुर्थी और एकादशी को भी नटराज क्रीड़ा में व्यस्त रहते हैं.
– कृष्णपक्ष की षष्ठी और त्रयोदशी को रुद्र भोजन करते हैं.
– शुक्लपक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी को भी रुद्र भोजन करते हैं.
– इन तिथियों में मनोकामना पूर्ति के लिए अभिषेक नहीं किया जा सकता है.

यह भी जरूर पढ़े – जानिए हिन्दू धर्मानुसार मास, ऋतुएँ और दिशाएँ को

कब तिथियों का विचार नहीं किया जाता?

कुछ व्रत और त्योहार रुद्राभिषेक के लिए हमेशा शुभ ही होते हैं. उन दिनों में तिथियों का ध्यान रखने की जरूरत नहीं होती है…

– शिवरात्री, प्रदोष और सावन के सोमवार को शिव के निवास पर विचार नहीं करते.
– सिद्ध पीठ या ज्योतिर्लिंग के क्षेत्र में भी शिव के निवास पर विचार नहीं करते.
– रुद्राभिषेक के लिए ये स्थान और समय दोनों हमेशा मंगलकारी होते हैं.

शिव कृपा से आपकी सभी मनोकामना जरूर पूरी होंगी तो आपके मन में जैसी कामना हो वैसा ही रुद्राभिषेक करिए और अपने जीवन को शुभ ओर मंगलमय बनाइए

Written by

Your Astrology Guru

Discover the cosmic insights and celestial guidance at YourAstrologyGuru.com, where the stars align to illuminate your path. Dive into personalized horoscopes, expert astrological readings, and a community passionate about unlocking the mysteries of the zodiac. Connect with Your Astrology Guru and navigate life's journey with the wisdom of the stars.

Leave a Comment

Item added to cart.
0 items - 0.00