लेख सारिणी
करवा चौथ व्रत – Karwa Chauth Vrat
भारत में हिंदू धर्मग्रंथों, पौराणिक ग्रंथों और शास्त्रादि के अनुसार हर महीने कोई न कोई उपवास, कोई न कोई पर्व, त्यौहार या संस्कार आदि आता ही है लेकिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को जो उपवास किया जाता है उसका सुहागिन स्त्रियों के लिये बहुत अधिक महत्व होता है। उत्तर भारत में प्रचलित ‘करवा चौथ’ अब केवल भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में रहने वाली भारतीय मूल की स्त्रियों द्वारा भी पूर्ण श्रद्धा से किया जाता है। इस व्रत में अपने वैवाहिक जीवन को समृद्ध बनाए रखने के लिए और अपने पति की लम्बी उम्र के लिए विवाहित स्त्रियाँ व्रत रखती हैं। यह व्रत सायंकाल में चन्द्रमा के दर्शन के पश्चात ही खोला जाता है।
हिन्दू पंचांग के कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन यह व्रत किया जाता है। इस वर्ष 2019 में यह शुभ तिथि 17 अक्टूबर 2019 को मनाई जाएगी। करवा चौथ व्रत विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, बिहार और मध्य प्रदेश में मनाया जाता है। सभी विवाहित स्त्रियाँ इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। चूंकि शिव-पार्वती का पति-पत्नी के युगल रूप में धार्मिक महत्त्व है इसलिए इनके पूजन से सभी स्त्रियाँ पारिवारिक सुख-समृधि की कामना करती हैं।
करवाचौथ की पूजन विधि – Karwa Chauth Pujan Vidhi
- करवा चौथ का व्रत भारतीय परंपरा में स्त्रियां अपने अखंड सौभाग्य और पति की दीर्घायु के लिए रखती हैं। करवा चौथ का विधिपूर्वक व्रत करने से सुहागिन स्त्रियों की मनोकामना जल्द पूर्ण हो जाती है। करवा चौथ के दिन प्रातकाल उठकर नित्यक्रिया आदि से निवृत्त होकर और स्नानादि के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और सकंल्प लेते हुए निर्जला व्रत की शुरुआत करें।
- व्रत संकल्प लेते हुए, “मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये कर्क चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये” मंत्र का जाप करें।
- तत्पश्चात् दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे हुए चावलों के घोल से करवा चित्रित करें। इसे करवा धऱना कहते हैं।
- शाम को 4 बजे के आसपास मिट्टी के करवे पर मौली बांधकर रोली से एक स्वाष्तिक बनाकर उस पर रोली से 13 बिंदी लगाकर चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए जलभर रख लें।
- इसके पश्चात 8 पूरियां की अठावरी बना लें और हलुआ बनाएं.
- मिट्टी के गणेश और माता गौरी को बनाएं और उन्हें लकड़ी के आसन पर बिठाएं। माता गौरी का ऋंगार करें और विधिपूर्वक पूजा करें।
- तत्पश्चात् एक साफ थाली में रोली और गेंहू के दाने और लोटा रखें। फिर अपने माथे पर रोली से तिलक करें।
- लोटे पर स्वास्तिक बनाएं और सीधे हाथ पर गेहूं के 13 दाने लेकर करवा चौथ की व्रत की कहानी पढ़े या सुनें।
- इसके बाद कहानी खत्म होने पर गेंहू के दानों को लोटे में डाल दें और कुछ दाने साड़ी के पल्लू में बांध लें।
- घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें और चंद्रोदय के बाद छलनी की ओट से चांद के दर्शन करें और अर्घ्य दें।
- इसके बाद पति से आशीर्वाद लें और पति के हाथ से जल ग्रहण करें औऱ निवाला खाकर व्रत खोलें।
करवा चौथ व्रत कथा – Karwa Chauth Vrat Katha
एक समय की बात है, सात भाइयों की एक बहन का विवाह एक राजा से हुआ। विवाहोपरांत जब पहला करवा चौथ आया, तो रानी अपने मायके आ गयी। रीति-रिवाज अनुसार उसने करवा चौथ का व्रत तो रखा किन्तु अधिक समय तक व भूख-प्यास सहन नहीं कर पर रही थी और चाँद दिखने की प्रतीक्षा में बैठी रही। उसका यह हाल उन सातों भाइयों से ना देखा गया, अतः उन्होंने बहन की पीड़ा कम करने हेतु एक पीपल के पेड़ के पीछे एक दर्पण से नकली चाँद की छाया दिखा दी। बहन को लगा कि असली चाँद दिखाई दे गया और उसने अपना व्रत समाप्त कर लिया। इधर रानी ने व्रत समाप्त किया उधर उसके पति का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। यह समाचार सुनते ही वह तुरंत अपने ससुराल को रवाना हो गयी।
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रास्ते में रानी की भेंट शिव-पार्वती से हुईं। माँ पार्वती ने उसे बताया कि उसके पति की मृत्यु हो चुकी है और इसका कारण वह खुद है। रानी को पहले तो कुछ भी समझ ना आया किन्तु जब उसे पूरी बात का पता चला तो उसने माँ पार्वती से अपने भाइयों की भूल के लिए क्षमा याचना की। यह देख माँ पार्वती ने रानी से कहा कि उसका पति पुनः जीवित हो सकता है यदि वह सम्पूर्ण विधि-विधान से पुनः करवा चौथ का व्रत करें। तत्पश्चात देवी माँ ने रानी को व्रत की पूरी विधि बताई। माँ की बताई विधि का पालन कर रानी ने करवा चौथ का व्रत संपन्न किया और अपने पति की पुनः प्राप्ति की।
वैसे करवा चौथ की अन्य कई कहानियां भी प्रचलित हैं किन्तु इस कथा का जिक्र शास्त्रों में होने के कारण इसका आज भी महत्त्व बना हुआ है। द्रोपदी द्वारा शुरू किए गए करवा चौथ व्रत की आज भी वही मान्यता है। द्रौपदी ने अपने सुहाग की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखा था और निर्जल रहीं थीं। यह माना जाता है कि पांडवों की विजय में द्रौपदी के इस व्रत का भी महत्व था।
करवा चौथ व्रत तिथि व मुहूर्त – Karwa Chauth Vrat Muhurat
ज्योतिष के अनुसार, इस बार करवाचौथ पर रोहिणी नक्षत्र और चंद्रमा में रोहिणी का योग होने से मार्कण्डेय और सत्याभामा योग बन रहा है.
- करवा चौथ तिथि: 17 अक्टूबर 2019, गुरुवार
- करवा चौथ पूजा मुहूर्त– 17:46 से 19:02
- चंद्रोदय– 20:16
- चतुर्थी तिथि आरंभ– 06:48 (17 अक्तूबर 2019)
- चतुर्थी तिथि समाप्त– 07:29 (18 अक्तूबर 2019)