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जाने हाथ की रेखाओ का रहस्य : जो व्यक्ति का भविष्य, शुभ संकेत और अशुभ संकेत दर्शाती हैं

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जाने हाथ की रेखाओ का रहस्य : जो व्यक्ति का भविष्य, शुभ संकेत और अशुभ संकेत दर्शाती हैं

हस्त रेखा ज्ञान  (Palm Reading) में हथेली की रेखाओं (hath ki rekha) का विशेष महत्व है। इसमे सम्मलित लक्षण जैसे क्रास, सितारे, वर्गों और अर्धचन्द्राकार का अध्ययन हथेली द्वारा किया जाता है। यह हस्त रेखा (Hast Rekha) व्यक्ति का भविष्य, शुभ संकेत और अशुभ संकेत दर्शाती हैं। इन संकेतो का निर्माण व्यक्ति के विचार और कर्मों पर भी निर्भर होता है। यह रेखाएं अपने नाम के अनुसार परिणाम देती हैं। हस्तरेखाविद् द्वारा हस्तरेखाएं जो विश्व भर मे प्रचलित है उनका विवरण नीचे किया जा रहा है, आमतौर पर मस्तिष्क रेखा का निरुपण हाथ के आकार पर भी निर्भर करता है।

 यहां पर प्रमुख छह प्रकार के हाथ जैसे मौलिक हाथ, वर्गाकार हाथ, चपटा हाथ, दार्शनिक हाथ, शंक्वाकर  हाथ, मानसिक हाथ द्वारा विवेचन किया जा रहा है।

हस्त रेखा | Hast Rekha Gyan | Palm Reading

मौलिक हाथ:  मौलिक हाथ में मस्तिष्क रेखा का झुकाव चंद्र पर्वत की ओर हो तो व्यक्ति कल्पनाशील और अंधविश्वासी प्रवृत्ति का होता है।

वर्गाकार हाथ:  वर्गाकार हाथ मे यदि मस्तिष्क रेखा झुकाव लिये हो तो व्यक्ति का चरित्र कल्पनाशील परन्तु व्यावहारिकता पर निर्भर करता है।यदि बाकी हाथों मे भी मस्तिष्क रेखा झुकाव लिये हो तो व्यक्ति पूर्णतः सनकी होता है।

चपटा हाथ : चपटे हाथ मे मस्तिष्क रेखा अत्यधिक झुकाव लिये हो तो व्यक्ति बेचैन, चिड़चिड़ा और असंतुष्ट स्वभाव  वाला होता है।

दार्शनिक हाथ: यदि दार्शनिक हाथ में मस्तिष्क रेखा बिल्कुल सीधी हो तो व्यक्ति विवेकपूर्ण, विश्लेषणात्मक, तर्कसंगत और उन्मादी होता है, उसे कर्मो का ज्ञान होता है और अपने साथियों के कार्य को पूर्ण करता है।

शंक्वाकार हाथ : शंक्वाकार हाथ मे मस्तिष्क रेखा का चंद्र पर्वत पर निरंतर झुकाव हो तो व्यक्ति का भावात्मक झुकाव जैसे रोमांस, परोपकार और सहानुभूति पर होता है, इस हाथ की विशेषताएं वर्गाकार हाथ के विपरीत है।

मानसिक हाथ : मानसिक हाथ में स्तिष्क रेखा नीचे की ओर जाते हुये हो तो व्यक्त अत्यंत काल्पनिक और पागल होता है, ऐसा व्यक्ति व्यक्ति सनकी होता है, लेकिन समय बीतने के साथ वह  व्यावहारिक हो जाता है।

हस्तरेखा शास्त्र में हथेली की रेखाओं का विशेष महत्व है। इसमे सम्मलित लक्षण जैसे क्रास, सितारे, वर्गों और अर्धचन्द्राकार का अध्ययन हथेली द्वारा किया जाता है। यह रेखाएं व्यक्ति का भविष्य, शुभ संकेत और अशुभ संकेत दर्शाती हैं। इन संकेतो का निर्माण व्यक्ति के विचार और कर्मों पर भी निर्भर होता है। यह रेखाएं अपने नाम के अनुसार परिणाम देती हैं। हस्तरेखाविद् द्वारा हस्तरेखाएं जो विश्व भर मे प्रचलित है उनका विवरण नीचे किया जा रहा है



मस्तिष्क रेखा | Mastishk Rekha

मस्तिष्क रेखा का आरंभ तर्जनी उंगली के नीचे से होता हुआ हथेली के दूसरे तरफ जाता है जब तक उसका अंत न हो । ज्यादातर, यह रेखा जीवन रेखा के आरंभिक बिन्दु  को स्पर्श करती है। यह रेखा व्यक्ति के मानसिक स्तर और बुद्धि के विश्लेषण को, सीखने की विशिष्ट विधा, संचार शैली और विभिन्न क्षेत्रों के विषय मे जानने की इच्छा को दर्शाती है।

हृदय रेखा | Hriday  Rekha

हृदय रेखा का उद्गम कनिष्ठा उंगली के नीचे से हथेली को पार करता हुआ तर्जनी उंगली के नीचे समाप्त होता है। यह हथेली के उपरी हिस्से में उंगलियों के ठीक नीचे होती है। यह हृदय के प्राकृतिक और मनोवैज्ञानिक स्तर को दर्शाती है। यह रोमांस कि भावनाओं, मनोवैज्ञानिक सहनशक्ति, भावनात्मक स्थिरता  और अवसाद की संभावनाओं का विश्लेषण करने के साथ ही साथ हृदय संबंधित विभिन्न पहलुओं की भी व्याख्या करती है।

जीवन रेखा | Jeevan Rekha

जीवन रेखा अंगूठे के आधार से निकलती हुई, हथेली को पार करते हुए वृत्त के आकार मे कलाई के पास समाप्त होती है। यह सबसे विवादास्पद रेखा है। यह रेखा शारीरिक शक्ति और जोश के साथ शरीर के महत्वपूर्ण अंगों की भी व्याख्या करती है। शारीरिक सुदृढ़ता और महत्वपूर्ण अंगों के साथ समन्वय, रोग प्रतिरोधक क्षमता और स्वास्थ्य का विश्लेषण करती है।

भाग्य रेखा | Bhagya Rekha

भाग्य रेखा कलाई से आरंभ होती हुई चंद्र पर्वत से होते हुये जीवन रेखा या मस्तिष्क या हृदय रेखा तक जाती है। यह रेखा उन तथ्यों को भी दर्शाती जो व्यक्ति के नियंत्रण के बाहर हैं, जैसे शिक्षा संबंधित निर्णय, कैरियर विकल्प, जीवन साथी का चुनाव और जीवन मे सफलता एवं विफलता  आदि।

सूर्य रेखा | Surya Rekha

सूर्य रेखा को अपोलो रेखा, सफलता की रेखा या बुद्धिमत्ता की रेखा के नाम से भी जाना जाता है। यह रेखा कलाई के पास चंद्र पर्वत से निकलकर अनामिका तक जाती है। यह रेखा व्यक्ति के जीवन मे  प्रसिद्धि, सफलता और प्रतिभा  की  भविष्यवाणी करती है।

स्वास्थ्य रेखा | Swasthya Rekha

स्वास्थ्य रेखा  को बुध रेखा  के रूप में भी जाना जाता है । यह कनिष्ठा के नीचे बुध पर्वत से आरंभ हो कर कलाई तक जाती है। इस रेखा द्वारा लाइलाज बीमारी को जाना जा सकता है। इसके द्वारा व्यक्ति के सामान्य स्वास्थ्य की भी जानकारी मिलती है।

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यात्रा रेखाएँ | Yatra Rekha

ये  क्षैतिज रेखाएं कलाई और हृदय रेखा के बीच हथेली के विस्तार पर स्थित है। यह रेखाएं व्यक्ति की यात्रा की अवधि की व्याख्या, यात्रा में बाधाओं और सफलता का सामना तथा यात्रा मे व्यक्ति के स्वास्थ्य की दशा को भी दर्शाती है।

विवाह रेखा | Vivah Rekha

क्षैतिज रेखाएं कनिष्ठा के बिल्कुल नीचे और हृदय रेखा के ऊपर स्थित विवाह रेखाएं कहलाती है। यह रेखाएं रिश्तों में आत्मीयता, वैवाहिक जीवन में खुशी, वैवाहिक दंपती के बीच प्रेम और स्नेह के अस्तित्व को दर्शाता है। विवाह रेखा का विश्लेषण करते समय शुक्र पर्वत और हृदय रेखा को भी ध्यान मे रखना चाहिये।

करधनी रेखाएं | Kardhani Rekha

करधनी रेखा का आरंभ अर्धवृत्त आकार में कनिष्ठा और अनामिका उंगली के मध्य में और अंत  मध्यमा उंगली और तर्जनी  पर होता है। इसे गर्डल रेखा या शुक्र का गर्डल भी कहते हैं। यह व्यक्ति को अति संवेदनशील और उग्र बनाती है। जिन व्यक्तियों मे गर्डल या शुक्र रेखा पाई जाती है वह व्यक्ति की दोहरी मानसिकता को दर्शाता है।

सिमीयन रेखा | Simian Rekha

जो रेखा हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा को गठित करती है। सिमीयन रेखा, सिमीयन फोल्ड, सिमीयन क्रीज और ट्रांस्वर्स पाल्मर क्रीज़ के रुप में भी जानी जाती है। यह एक दुर्लभ रेखा है, मस्तिष्क और हृदय के संयोजन का प्रतिनिधित्व करती है। यह सिमीयन रेखा व्यक्ति मे मानसिक धैर्य और संवेदनशीलता  को दर्शाती है |

Written by

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