मिला जब आसरा तेरा, कहीं पर और क्यूँ जाएं,
तुम्हारी शरण पा करके, भला क्यूँ ठोकरें खाएं…।।
(तर्ज – भरी दुनियां में आ करके….)
विधि के लेख भी बदले, अगर तेरी कृपा होवे,
नामुमकिन मुमकिन हो जाए, अगर तेरी दया होवे-२,
तूं ही जब सबका दाता है, कहीं क्यूँ मांगने जाएं…।।
ज्यूँ सोने को तपाने से, नया वो तेज पाता है,
तूं वैसे अपने भक्तों को, दुखों में ही तपाता है -२,
तेरे इस भेद को कोई, समझ के ना समझ पाए…।।
सहारा कोई क्या देगा, तुम्हारा जब सहारा है,
है झूठे जग के सब रिश्ते, अटल रिश्ता तुम्हारा है -२,
समर्पित तेरे चरणों में, सभी आशाएं इच्छाएं…।।