ओपल शुक्र का रत्न है और शुक्र धन-धान्य और भोग विलास का कारक है। शुक्र के अच्छे प्रभावों के लिए ओपल पहनना चाहिए। तुला राशि का अधिपति ग्रह है शुक्र। तुला राशि के लोगों शुक्र के रत्न ओपल की अंगूठी धारण करनी चाहिए।
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ओपल रत्न के लाभ
लग्जरी में कमी ऐशो आराम में रूकावट हो तो इस अंगूठी को धारण करना चाहिए।श्रम करने पर भी यदि उचित फल न मिलता हो तो यह अंगूठी लाभकारी होती है।कला और क्रिएटिविटी में बेहतर करने में भी ओपल मदद करता है।ओपल रत्न पहने हुए लोगों की ज़िन्दगी में ये प्यार और खुशी लाता है और ओपल रत्न पहनने से व्यक्ति जीवन में आकर्षण कला दया संस्कृति और विलासिता से भरा जीवन जीता है.दूध और दूध से बनी वस्तुओं जैसे डेयरी उत्पादों मिठाई और इसी प्रकार के व्यवसायों में कार्यरत व्यक्तियों को ओपल रत्न धारण करने से लाभ होता हैं।प्रेम संबंधों में सफलता पाने के लिए भी ओपल रत्न धारण किया जाता हैं।कला जगत कलात्मक कॄतियों के निर्माता रचनात्मक विषयों से जुड़े व्यक्तियों का रत्न धारण करना शुभ और अनुकूल फलदायक साबित होता हैं।चिकित्सा क्षेत्र में ओपल का उपयोग हार्मोनल स्त्राव को संतुलित करने के लिए किया जाता हैं।यह माना जाता है कि यह रत्न अपने धारक की भावनाओं को दर्शाता हैं। इसमें किसी भी प्रकार का कोई असंतुलन होने पर यह भावनाओं को संतुलित करने का कार्य भी करता हैं।सबसे अच्छी बात यह है कि ओपल रत्न को वफादारी, सच्चाई और सहजता का प्रतीक रत्न हैं।मन की चंचलता में स्थिरता लाने का कार्य यह करता हैं।अपनी मनमोहक छ्टा से यह व्यक्ति की भावनात्मक स्थिति को बेहतर करता हैं और जीवन में शांति लाता हैं।नेत्र चिकित्सा में इसका उपयोग किया जाता हैं।दांपत्य जीवन में किसी भी प्रकार की कोई समस्या चल रही हों तो ओपल रत्न धारण करने से वैवाहिक जीवन के सु्खों में बढ़ोतरी होती हैं।ओपल रत्न शुक्र का उपरत्न होने के कारण इसे प्रेम, स्नेह और विपरीत लिंग संबंधों को मजबूत करने के लिए धारण किया जाता हैं।धन की देवी लक्ष्मी जी की शुभता प्राप्ति के लिए भी ओपल रत्न को धारण किया जा सकता हैं।यह रत्न अपने धारक को सुख शांति और सहजता देता हैं।यदि कुंडली में शुक्र रत्न बलवान हों शुभ भावों का स्वामी होकर शुभ भाव में स्थित हों तो यहरत्न धारण करना धारक को स्वास्थ्य संतान और भाग्य सभी कुछ दे सकता हैं।ओपल की पहली पसंद सोना होता है और दूसरी पसंद चांदी होती है
इसको पहली उंगली यानि तर्जनी उंगली में पहनना चहिये पहली ऊँगली के नीचे शुक्र पर्वत बताया जाता है।
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