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श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा
Shri Krishna Govind Hare Murari
मेरी यात्रा “श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी- Shri Krishna Govind Hare Murari ” के अद्भुत भगवान कृष्ण की महिमा जानने की शुरू होती है। जबकि यह एक लोकप्रिय भजन है जो उनकी कहानियों और करिश्मा को चरितार्थ करता है। पहले अनुच्छेद में हम इस भजन के बारे में जानने के लिए कुछ प्रारंभिक जानकारी प्राप्त करेंगे।
यह भजन तीन से चार मिलनीय रचनाओं की सीमा में एक कृष्ण भक्त की आत्मीयता और दैवी साक्षात्कार को व्यक्त करता है। मेरी दृष्टि में, “श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी” क्रमशः भगवान कृष्ण के विभिन्न युगों और घटनाओं का विस्तृत वर्णन प्रस्तुत करता है।
अंतिम अनुच्छेद में, हम इस भजन की भावपूर्णता और व्याख्या की गहराई में जाएंगे। हम इसके शब्ददण्डों के माध्यम से “श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी की मार्गदर्शित आदर्श क्रियाओं को समझेंगे, जो मेरे जीवन को सकारात्मक रूप से बदलने में मदद करेगा।
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी -Shri Krishna Govind Hare Murari
सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे,
तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयं नम: ॥
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
हे नाथ नारायण…॥
पितु मात स्वामी, सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
हे नाथ नारायण…॥
॥ श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी…॥
बंदी गृह के, तुम अवतारी
कही जन्मे, कही पले मुरारी
किसी के जाये, किसी के कहाये
है अद्भुद, हर बात तिहारी ॥
है अद्भुद, हर बात तिहारी ॥
गोकुल में चमके, मथुरा के तारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
पितु मात स्वामी, सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
अधर पे बंशी, ह्रदय में राधे
बट गए दोनों में, आधे आधे
हे राधा नागर, हे भक्त वत्सल
सदैव भक्तों के, काम साधे ॥
सदैव भक्तों के, काम साधे ॥
वही गए वही, गए वही गए
जहाँ गए पुकारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा॥
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
पितु मात स्वामी सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
गीता में उपदेश सुनाया
धर्म युद्ध को धर्म बताया
कर्म तू कर मत रख फल की इच्छा
यह सन्देश तुम्ही से पाया
अमर है गीता के बोल सारे
हे नाथ नारायण वासुदेवा॥
श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
पितु मात स्वामी सखा हमारे,
हे नाथ नारायण वासुदेवा ॥
त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बंधू सखा त्वमेव
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देव देवा
॥ श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी…॥
राधे कृष्णा राधे कृष्णा
राधे राधे कृष्णा कृष्णा॥
राधे कृष्णा राधे कृष्णा
राधे राधे कृष्णा कृष्णा॥
हरी बोल, हरी बोल,
हरी बोल, हरी बोल॥
राधे कृष्णा राधे कृष्णा
राधे राधे कृष्णा कृष्णा
राधे कृष्णा राधे कृष्णा
राधे राधे कृष्णा कृष्णा॥
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Song Credits:
Song – Shri Krishna Govind Hare Murari
Singer: Trisha Parui.
Music by: Gourab Shomes
Album Titles – Sublime Bhajans vol 1
Lyrics: Traditional