मंगल का रत्न मूंगा है. मूंगा रत्न के विषय में यह कहा जाता है. इसे धारण करने पर व्यक्ति को अपने शत्रुओं को परास्त करने में सहयोग प्राप्त होता है. मूंगे को संस्कृ्त में प्रवाल, हिंदी में मूंगा, मराठी में इसे पोवले कहते है. मूंगे को उर्दु व फारसी में मिरजान कहते है।
मूंगा समुद्र के गर्भ में लगभग छः-सात सौ फीट नीचे गहरी चट्टानों पर विशेष प्रकार के कीड़े, जिन्हें आईसिस नोबाइल्स कहा जाता है, इनके द्वारा स्वयं के लिए बनाया गया घर होता है। उनके इन्हीं घरों को मूंगे की बेल अथवा मूंगे का पौधा भी कहा जाता है। बिना पत्तों का केवल शाखाओं से युक्त यह पौधा लगभग एक या दो फुट ऊंचा और एक इंच मोटाई का होता है। कभी-कभी इसकी ऊंचाई इससे अधिक भी हो जाती है। परिपक्व हो जाने पर इसे समुद्र से निकालकर मशीनों से इसकी कटिंग आदि करके मनचाहे आकारों का बनाया जाता है।
मूंगे के विषय में कुछ लोगों की धारणा कि मूंगे का पेड़ होता है किंतु वास्तविकता यह है कि मूंगे का पेड़ नहीं होता और न ही यह वनस्पति है। बल्कि इसकी आकृति पौधे जैसी होने के कारण ही इसे पौधा कहा जाता है। वास्तव में यह जैविक रत्न होता है।
विषयसूची
मूंग धारण करने के अशुभ परिणाम
यह सच है कि सुंदर रत्न मूंगा आत्मविश्वास और साहस बढ़ाता है, लेकिन हर किसी को मूंगा पहनना महंगा भी पड़ सकता है। बिना जन्म पत्रिका दिखाए मूंगा पहना जाए तो इससे दुर्घटना भी हो सकती है।
स्त्रियों की पत्रिका में मंगल अष्टम में नीच शत्रु राशिस्थ हो या शनि से इष्ट हो या शनि मंगल के साथ हो तो जीवन को भारी क्षति पहुंचा सकता है। यहां तक कि विधवा भी बना देता है।
सप्तम में मंगल या लग्न में मंगल भी कभी-कभी हानिकारक साबित हो सकता है। चतुर्थ भाव में पड़ा मंगल पारिवारिक सुख-चैन खत्म कर देता है। द्वितीय भाव स्त्री कुंडली में सौभाग्य सूचक है। इस भाव में पड़ा मंगल अशुभ हो तो मूंगा पहनने वाली स्त्री जल्दी विधवा हो जाती है।
पारिवारिक कलह, कुटुंब से मनमुटाव और वाणी में दोष भी उत्पन्न करता है। भले वाणी साथ हो, लेकिन कटु वचन से सब कुछ बिगड़ जाता है। शनि और मंगल की युति कहीं भी हो तो मूंगा नहीं पहनना चाहिए।
मूंगे की सही परख करने के लिए-
मूंगे पर एक बूंद पानी की टपकाएं, फिर देखें पानी रूकेगा नहीं। अगर पानी उस पर रूक जाए तो वह असली मूंगा नहीं होता।
मैग्निफाइंग ग्लास से देखने पर मूंगा के ऊपर सफेद बॉल बराबर खडी़ रेखाएं दिखती है, जबकि नकली मूंगे में नहीं दिखाई देती।
मूंगा चिकना व फिसलनयुक्त होता है, नकली रत्न गहरे रंग का व फिसलन वाला नहीं होता। इसी तरह मूंगा देखकर, परख कर ही खरीदें।
मूंगा खरीदते समय ध्यान रखने वाली बात यह है कि मूंगा सुला हुआ या कहीं से कटा हुआ नहीं होना चाहिए, ना ही उस पर कोई काला दाग होना चाहिए।
मूंगा कौन पहनें ?
मूंगा मंगल का रत्न है। मंगल साहस, बल, ऊर्जा का कारक, विस्फोटक सामग्री के व्यवसाय, पेट्रोल पंप, गैस एजन्सी, पहलवानी, सुरक्षा से संबंधित कार्य करने वाले, सेना, पुलिस, राजनीति, ईंट-भट्टे के कार्य, जमीन-प्रापर्टी से संबंधित कार्य, बिर्ल्डर व बिल्डिंग मटेरियल सप्लायर, अस्थी रोग विशेषज्ञ, खून की जांच, ब्लड से संबंधित लेबोरेटरी आदि कार्यों का प्रतिनिधित्व करने वाला ग्रह है।
उपरोक्त में से जो भी कार्य करते हो वह अपनी पत्रिका दिखवा कर मूंगा पहन सकते हैं।
किस रत्न के साथ पहनें मूंगा
मूंगा पहनने से पहले पत्रिका अवश्य ही दिखाएं क्योंकि मंगल की दो राशि होती है, एक मेष जो अग्नितत्व प्रधान राशि है और दूसरी वृश्चिक जो जलतत्व प्रधान राशि है।
यह ग्रह यदि आपकी पत्रिका में एक राशि व्यय या षष्ट भाव में हो या अष्टम में हो तब सोच-समझ कर ही मूंगा पहनें। नहीं तो लाभ की जगह हानि हो सकती है।
जिसकी मेष, वृश्चिक राशि हो या लग्न हो एवं सिंह, धनु, मीन राशि हो वह लोग भी मूंगा पहन सकते हैं।
मंगल का मित्र सूर्य है। अतः माणिक के साथ भी मूंगा पहना जा सकता है।
मूंगा रत्न पुखराज, मोती के साथ भी पहन सकते हैं।
मूंगा माणिक, पुखराज व मोती का संयुक्त लॉकेट बनवाकर भी पहन सकते हैं।
मूंगा-पुखराज, मूंगा-मोती, मूंगा-माणिक भी दो रत्नों की भी अंगूठी या लॉकेट पत्रिका की स्थितिनुसार धारण कर लाभ उठाया जा सकता है।
जिनमें साहस, आत्मविश्वास की कमी हो, खून से संबंधित विकार हो, जो व्यक्ति सुस्त हो, वह जो स्वप्न में बार-बार डरते हो वे अपनी पत्रिका दिखा कर मूंगा धारण कर सकते हैं।
मूंगा चांदी, तांबा, सोना धातु में स्थितिनुसार पहना जाता है।
मूंगा तर्जनी, मध्यमा, अनामिका अंगुली में धारण किया जाता है।
मूंगा नीलम, हीरा, गोमेद, लहसुनियां के साथ नहीं पहनना चाहिए।
मार्केश की दशा-अंतर्दशा में भी मूंगा नहीं पहनना चाहिए।
मुंगा धारण करने की विधि
यदि आप मंगल देव के रत्न, मुंगे को धारण करना चाहते है, तो 5 से 8 कैरेट के मुंगे को स्वर्ण या ताम्बे की अंगूठी में जड्वाकर किसी भी शुक्ल पक्ष के किसी भी मंगलवार को सूर्य उदय होने के पश्चात् इसकी प्राण प्रतिष्ठा करे! इसके लिए सबसे पहले अंगुठी को दूध,,,गंगा जल शहद, और शक्कर के घोल में डाल दे, फिर पांच अगरबत्ती मंगल देव के नाम जलाए और प्रार्थना करे कि हे मंगल देव मै आपका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आपका प्रतिनिधि रत्न मुंगा धारण कर रहा हूँ कृपया करके मुझे अपना आशीर्वाद प्रदान करे !
अंगूठी को निकालकर 108 बारी अगरबत्ती के ऊपर से घुमाते हुए
ॐ अं अंगारकाय नम ।।
११ बारी का जाप करे तत्पश्चात अंगूठी हनुमान जी के चरणों से स्पर्श कराकर अनामिका में धारण करे! मंगल के अच्छे प्रभावों को प्राप्त करने के लिए उच्च कोटि का जापानी या इटालियन मुंगा ही धारण करे, मुंगा धारण करने के 9 दिनों में प्रभाव देना आरम्भ कर देता है और लगभग 3 वर्ष तक पूर्ण प्रभाव देता है और फिर निष्क्रिय हो जाता है !निष्क्रिय होने के बाद पुन: नया मुंगा धारण करे ! मुंगे का रंग लाल और दाग रहित होना चाहिए , मुंगे में कोई दोष नहीं होना चाहिए अन्यथा शुभ प्रभाओं में कमी आ सकती है !
उपरोक्त में से जो भी कार्य करते हो वह अपनी पत्रिका दिखवा कर मूंगा पहन सकते हैं।
मूंगा एक जैविक लकडी़ है, जिसे साफ-सफाई व पॉलिश कर तराशा जाता है, फिर दो शक्लों में आकार दिया जाता है। एक ओवल यानी केप्सूल साइज व दूसरा तिकोना मूंगा दो ही आकार में मिलता है।
यह रत्न सूर्ख लाल व सिन्दूरी कलर में मिलता है। एक कैरट यानी 200 मिलीग्राम तक मिलता है। बडा़ मूंगा वजनदार व महंगा भी हो सकता है।
आजकल मूंगा नकली भी आने लग गया है, जिसको पहचानना आम आदमी के लिए जरा मुश्किल ही रहता है। कई दुकानदार नकली मूंगा को असली बता कर बेच देते है। कई ज्योतिषगण भी असली और नकली में फर्क नहीं निकाल पाते।
कैसे परखें असली-नकली मूंगा
मूंगे की सही परख करने के लिए- मूंगे पर एक बूंद पानी की टपकाएं, फिर देखें पानी रूकेगा नहीं। अगर पानी उस पर रूक जाए तो वह असली मूंगा नहीं होता।
मैग्निफाइंग ग्लास से देखने पर मूंगा के ऊपर सफेद बॉल बराबर खडी़ रेखाएं दिखती है, जबकि नकली मूंगे में नहीं दिखाई देती।
मूंगा चिकना व फिसलनयुक्त होता है, नकली रत्न गहरे रंग का व फिसलन वाला नहीं होता। इसी तरह मूंगा देखकर, परख कर ही खरीदें।
मूंगा खरीदते समय ध्यान रखने वाली बात यह है कि मूंगा सुला हुआ या कहीं से कटा हुआ नहीं होना चाहिए, ना ही उस पर कोई काला दाग होना चाहिए।
मूंगा कौन पहनें
मूंगा मंगल का रत्न है। मंगल साहस, बल, ऊर्जा का कारक, विस्फोटक सामग्री के व्यवसाय, पेट्रोल पंप, गैस एजन्सी, पहलवानी, सुरक्षा से संबंधित कार्य करने वाले, सेना, पुलिस, राजनीति, ईंट-भट्टे के कार्य, जमीन-प्रापर्टी से संबंधित कार्य, बिर्ल्डर व बिल्डिंग मटेरियल सप्लायर, अस्थी रोग विशेषज्ञ, खून की जांच, ब्लड से संबंधित लेबोरेटरी आदि कार्यों का प्रतिनिधित्व करने वाला ग्रह है।
उपरोक्त में से जो भी कार्य करते हो वह अपनी पत्रिका दिखवा कर मूंगा पहन सकते हैं।
किस रत्न के साथ पहनें मूंगा
मूंगा पहनने से पहले पत्रिका अवश्य ही दिखाएं क्योंकि मंगल की दो राशि होती है, एक मेष जो अग्नितत्व प्रधान राशि है और दूसरी वृश्चिक जो जलतत्व प्रधान राशि है।
यह ग्रह यदि आपकी पत्रिका में एक राशि व्यय या षष्ट भाव में हो या अष्टम में हो तब सोच-समझ कर ही मूंगा पहनें। नहीं तो लाभ की जगह हानि हो सकती है।
जिसकी मेष, वृश्चिक राशि हो या लग्न हो एवं सिंह, धनु, मीन राशि हो वह लोग भी मूंगा पहन सकते हैं।
मंगल का मित्र सूर्य है। अतः माणिक के साथ भी मूंगा पहना जा सकता है।
मूंगा रत्न पुखराज, मोती के साथ भी पहन सकते हैं।
मूंगा माणिक, पुखराज व मोती का संयुक्त लॉकेट बनवाकर भी पहन सकते हैं।
मूंगा-पुखराज, मूंगा-मोती, मूंगा-माणिक भी दो रत्नों की भी अंगूठी या लॉकेट पत्रिका की स्थितिनुसार धारण कर लाभ उठाया जा सकता है।
जिनमें साहस, आत्मविश्वास की कमी हो, खून से संबंधित विकार हो, जो व्यक्ति सुस्त हो, वह जो स्वप्न में बार-बार डरते हो वे अपनी पत्रिका दिखा कर मूंगा धारण कर सकते हैं।
मूंगा चांदी, तांबा, सोना धातु में स्थितिनुसार पहना जाता है।
मूंगा तर्जनी, मध्यमा, अनामिका अंगुली में धारण किया जाता है।
मूंगा नीलम, हीरा, गोमेद, लहसुनियां के साथ नहीं पहनना चाहिए।
मार्केश की दशा-अंतर्दशा में भी मूंगा नहीं पहनना चाहिए।
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