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उच्च भंग राजयोग – Uchch Bhanga Raja Yoga Effects

ज्योतिषहिन्दी.इन के पाठकों को सादर नमन । ऐसा कई बार देखने में आता है की उच्च के शुभ योग होने पर भी जातक को उच्च के ग्रहों जैसे परिणाम नहीं प्राप्त हो पाते हैं । यूँ तो इसके बहुत से कारण होते हैं । इनमे से कुछ के बारे में हम पहले भो बात कर चुके हैं । आज हम थोड़ा और आगे बढ़ेंगे और एक अत्यंत महत्वपूर्ण योग उच्च राजयोग भंग के बारे में अपने विचार आपके समक्ष रखेंगे । हमारे नियमित पाठक यह जानते हैं की हम नीच भंग राजयोग के बारे में काफी विस्तार से चर्चा कर चुके हैं । साथ ही साथ हमने पंचमहापुरुष योग पर भी अपने विचार आपके समक्ष रखे । आज की हमारी चर्चा उच्च भंग योग पर मुख्यतया केंद्रित होगी । अभी तक आप जान चुके हैं की सूर्य और चंद्र के अतिरिक्त अन्य पांच ( राहु केतु को छोड़कर ) यदि केंद्र में स्वराशि अथवा मुल त्रिकोण राशि अथवा उच्च के होकर विराजमान हों तो इस स्थिति में पंचमहापुरुष योग का निर्माण होता है । आज हम जानेंगे की इन योगों के फलों में कमी किस प्रकार आती है …..


हंस योग भंग Hans yog bhang :

चंद्र मन का कारक है और मंगल क्रोध, ऊर्जा , अग्नि को रिप्रेजेंट करता है । मन में क्रोध की अधिकता होने पर बुद्धि का नाश होता है और जातक अपने विवेक का सही उपयोग नहीं कर पाता है । क्रोध की अधिकता स्वयंन अंदर ही अंदर जातक को गलाती है । उसे उचित अनुचित का भान नहीं रहता है जो वयक्ति के आध्यात्मिक विकास में सबसे बड़ी बाधा बनता है । ऐसे में जातक गुरु से बनने वाले हंस नमक राजयोग का लाभ पूर्णतया प्राप्त करने में सक्षम ही नहीं हो पाता है । ऐसी स्थिति में गुरु के शुभ फलों में कमी आ जाना स्वाभिक हो जाता है । चंद्र मंगल की युति से हंस योग के शुभ फलों में कमी समझनी चाहिए ।

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रूचक योग भंग Ruchak yog bhang :

मंगल शनि के योग से रुचक योग की क्षमता में कमी आ जाती है । शनि का स्वभाव मंगल के ठीक विपरीत कहा गया है । जहाँ मंगल पौरुषत्व तथा तरुण अवस्था के साथ साथ वीर्य का प्रतीक कहा गया है वहीँ शनि अपौरुष, वृद्ध अवस्था, नपुंसकता के साथ साथ शीत लहर को दर्शाता है । इस तथ्य को ध्यान में रख कर रुचक योग का विचार किया जाना श्रेयस्कर है ।

मालव्य योग भंग Malvya yog bhang :

गुरु शनि की युति से मालव्य योग भंग हो जाता है । ज्ञान के कारक गुरु तथा विरक्ति के कारक शनि की युति से मालव्य योग के फलों में कमी आना स्वाभिक होता है । ऐसी स्थिति में शुक्र अपने नैसर्गिक फलों को पूर्णतया प्रदान करने में सक्षम ही नहीं हो पता है ।

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शश योग भंग Shash yog bhang :

बुद्धि का कारक बुद्ध और सुख व् कामनाओं का कारक शुक्र यदि जन्मपत्री में युति बनाये तो शष योग के नैसर्गिक फलों में तथा शनि के कारकत्व में कमी समझनी चाहिए । बुध व् शुक्र की युति शश योग में कमी लाती है ।

भद्र योग भंग Bhadra yog bhang :

जैसा की आप जानते ही हैं की बुद्ध को ग्रहण करने वाला गृह कहा गया है । यह जिस गृह के साथ बैठता है उसके गुणों को ग्रहण कर फल प्रदान करता है । अब यदि बुद्ध गुरु के साथ बैठेगा तो गुरु के जैसा आचरण स्वाभाविक हो जाता है । ऐसे में बुद्ध की चतुराई, चंचलता_, चपलता, हास्य – विनोद में कमी आना स्वाभाविक हो जाता है और बुद्ध गुरु जैसा आचरण अपना लेता है और बुलद्ध के कारकत्व में कमी आ जाती है । बुध व् गुरु की युति से मालव्य योग में कमी जाननी चाहिए ।

आपके विचारों व् सुझावों का खुले ह्रदय से स्वागत है । आप सभी का मंगल हो । ॐ नमः शिवाय …..

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