पुरातन काल की एक प्रचलित मान्यता के अनुसार भारत के सुदूर क्षेत्रों में गर्भवती महिला को नदी पार करने की अनुमति प्राप्त नहीं थी । ऐसा कहा जाता था की यदि कोई महिला किसी भी वजह से ऐसा करती थी तो उसे जल देवी दोष लग जाता था जिसके परिणाम उसे भुगतने पड़ते थे । इस दोष को इतना अधिक प्रभावशाली माना जाता था की बहुत से गाओं में तो कन्याओं का विवाह ऐसी जगह किया ही नहीं जाता था जहाँ के लिए नदी को लाँघ कर जाना पड़े । आइये विस्तार से जानते हैं क्या होता है जल देवी दोष ? जन्मपत्री में इसे किस प्रकार देखा जाता है ? क्या है इस योग से बचने का उपाय…..
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कुंडली में किस प्रकार देखा जाता है जल देवी दोष How to see Jal Devi Dosha in your horoscope
यदि किसी जातिका की जन्मपत्री में चौथे, आठवें अथवा बारहवें भाव में चंद्र या शुक्र या दोनों ग्रह विराजित हों तो जल देवी दोष का निर्माण हो जाता है ।
जल देवी दोष के परिणाम Effects of Jal Devi Dosha
यदि चौथे भाव में यह योग बनता है तो जातक की पीठ में कोई बिरथ मार्क होता है और उसे उम्र बढ़ने के साथ बैक पेन की तकलीफ रहती है । ऐसा जातक ऊँचाई से अथवा सीढ़ी से या फिसल कर अक्सर गिरता है और चोट लगती है । यदि आठवां भाव इस योग से प्रभावित हो तो जातक के जातक की बाईं टांग प्रभावित होती है । दुर्घटना में बाईं टांग में चोट आती है । यदि यह योग बारहवें भाव में बनता है तो जातक की दाईं टांग प्रभावित होती है । दुर्घटना में दाईं टांग में चोट आती है । कई बार तो ये घटनाएं बार बार घटती हैं और जातक शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से टूट जाता है । घबराएं नहीं । धैर्य से काम लें । आपकी कुलदेवी आपकी सहायता आवश्य करेंगी ।
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उपाय Remedy
गेहूं का आटा और गुड़ के पानी से रोट बनायें ( तवे पर सेंके ) और ऐसी सात रोटी बनाकर अपने पूजा कक्ष में ले जाएँ । धुप दीप जलाकर अपनी कुलदेवी से प्रार्थना करें की कुलदेवी आपको और आपकी माता जी को जल देवी दोष से मुक्त करें । अंत में कुल देवी को ह्रदय से एक बार फिर से नमन करें । इसके बाद आपको इन रोटियों के पास के कुएं या तालाब या पोंड कुछ भी हो, जिसमे मछलियां आवश्य हों, को खिलाना है । ध्यान रखियेगा ये रोटियां मछलियों को ही खिलानी हैं अन्यथा यह उपाय काम नहीं करेगा । यदि आपके घर के समीप कुआँ, पोंड अथवा तालाब नहीं है तो समंदर की मछलियों को खिलाएं । आप इस दोष से मुक्त हो जायेंगे ।
रोटी में गेहूं और गुड़ के पानी के अतिरिक्त और कुछ न मिलाएं । उपाय सोमवार से शुरू करना है । यदि चंद्र बारहवें भाव में वृष राशि में है तो शुक्रवार को भी उपाय करना है । साथ ही अगर शुक्र चौथे भाव में है तो जो भी राशि उस भाव में आये उससे सम्बंधित दिन भी लेना है । उपाय की शुरुआत यहाँ भी सोमवार से ही करनी है । यहाँ ध्यान देने योग्य है की उपाय सोमवार से ही शुरू करना होगा साथ ही जिस राशि में भी चंद्र या शुक्र है उस राशि के स्वामी के दिन भी इस उपाय को जरूर करना है ।
प्रार्थना Pray
कुलदेवी को प्रणाम करने के उपरांत “हे कुलदेवी मेरी जन्मपत्री में जल देवी दोष है । इसके प्रभाव से मै और मेरी माता जी पीड़ित हैं । हमें इस दोष से मुक्त करें माँ ताकि की हम शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से समृद्ध हों” । यह प्रार्थना तीन बार करनी है और अंत में कुलदेवी को एक बार और प्रणाम करना है ।
आपके सुझाव सादर आमंत्रित हैं । सभी को प्रणाम । ॐ नमः शिवाय…..