- अश्विनी नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ अश्विनौ तेजसाचक्षु: प्राणेन सरस्वतीवीर्य्यम वाचेन्द्रो बलेनेन्द्रायदद्युरिन्द्रियम । ॐ अश्विनी कुमाराभ्यो नम: === 5000 - भरणी नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ यमाय त्वाङ्गिरस्य्ते पितृिमते स्वाहा स्वाहा धर्माय स्वाहा धर्मपित्रे । 10000 - कृतिका नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ अयमग्नि सहस्रीणो वाजयस्य शान्ति (गुं) वनस्पति: मूर्द्धा कबोरयीणाम् । अग्नये नम: 10000 - रोहिणी नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ ब्रहमजज्ञानं प्रथमं पुरस्ताद्विसीमत: सूरुचे वेन आवय: सबुधन्या उपमा अस्यविष्ठा: सतश्चयोनिमसतश्चविध:I ॐ ब्रहमणे नम: === 5000 - मृगशिरा नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ सोमोधनु (गुं) सोमाअवंतुमाशु (गुं) सोमवीर: कर्मणयंददाती यदत्यविदध्य (गुं) सभेयमपितृ श्रवणयोम। ॐ चन्द्रमसे नम: । 10000 - आर्द्रा नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ नमस्ते रूद्र मन्यवSउतोत इषवे नम: बाहुभ्यामुतते नम: । ॐ रुद्राय नम: == 10000 - पुनर्वसु नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ अदितिद्योरदितिरन्तरिक्षमदितिर्माता: स पिता स पुत्र: विश्वेदेवा अदिति: पंचजना अदितिजातिमादितिर्रजनित्वम ।ॐ आदित्याय नम: ।== 10000 - पुष्य नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ बृहस्पते अतियदर्यौ अर्हाद द्युमद्विभाति क्रतमज्जनेषु । यदीदयच्छवस ॠत प्रजात तदस्मासु द्रविणम धेहि चित्रम । ॐ बृहस्पतये नम: । === 10000 - अश्लेषा नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ नमोSस्तु सर्पेभ्योये के च पृथ्विमनु:। ये अन्तरिक्षे यो देवितेभ्य: सर्पेभ्यो नम: । ॐ सर्पेभ्यो नम: === 10000 - मघा नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ पितृभ्य: स्वधायिभ्य स्वधानम: पितामहेभ्य: स्वधायिभ्य: स्वधानम: । प्रपितामहेभ्य स्वधायिभ्य स्वधानम: अक्षन्न पितरोSमीमदन्त:पितरोतितृपन्त पितर:शुन्धव्म । ॐ पितरेभ्ये नम: ।===10000 - पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ भगप्रणेतर्भगसत्यराधो भगे मां धियमुदवाददन्न: । भगप्रजाननाय गोभिरश्वैर्भगप्रणेतृभिर्नुवन्त: स्याम: । भगाय नम: ।==10000 - उत्तराफालगुनी नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ दैव्या वद्धर्व्यू च आगत (गुं) रथेन सूर्य्यतव्चा । मध्वायज्ञ (गुं) समञ्जायतं प्रत्नया यं वेनश्चित्रं देवानाम । ॐ अर्यमणे नम: ।==5000 - हस्त नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ विभ्राडवृहन्पिवतु सोम्यं मध्वार्य्युदधज्ञ पत्त व विहुतम वातजूतोयो अभि रक्षतित्मना प्रजा पुपोष: पुरुधाविराजति । ॐ सावित्रे नम:===5000 - चित्रा नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ त्वष्टातुरीयो अद्धुत इन्द्रागी पुष्टिवर्द्धनम । द्विपदापदाया: च्छ्न्द इन्द्रियमुक्षा गौत्र वयोदधु: । त्वष्द्रेनम: । ॐ विश्वकर्मणे नम: ।===5000 - स्वाती नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ वायरन्नरदि बुध: सुमेध श्वेत सिशिक्तिनो युतामभि श्री तं वायवे सुमनसा वितस्थुर्विश्वेनर: स्वपत्थ्या निचक्रु: ।ॐ वायव नम: ==5000 - विशाखा नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ इन्द्रान्गी आगत (गुं) सुतं गार्भिर्नमो वरेण्यम । अस्य पात घियोषिता । ॐ इन्द्रान्गीभ्यां नम: ।==10000 - अनुराधा नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ नमो मित्रस्यवरुणस्य चक्षसे महो देवाय तदृत (गुं) सपर्यत दूरंदृशे देव जाताय केतवे दिवस्पुत्राय सूर्योयश (गुं) सत । ॐ मित्राय नम:===10000 - ज्येष्ठा नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ त्रातारभिंद्रमबितारमिंद्र (गुं) हवेसुहव (गुं) शूरमिंद्रम वहयामि शक्रं पुरुहूतभिंद्र (गुं) स्वास्ति नो मधवा धात्विन्द्र: ।ॐ इन्द्राय नम: ।==5000 - मूल नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ मातेवपुत्रम पृथिवी पुरीष्यमग्नि (गुं) स्वयोनावभारुषा तां विश्वेदैवॠतुभि: संविदान: प्रजापति विश्वकर्मा विमुञ्च्त । ॐ निॠतये नम:==5000 - पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ अपाघ मम कील्वषम पकृल्यामपोरप: अपामार्गत्वमस्मद यदु: स्वपन्य-सुव: । ॐ अदुभ्यो नम: ।==5000 - उत्तराषाढ़ा नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ विश्वे अद्य मरुत विश्वSउतो विश्वे भवत्यग्नय: समिद्धा: विश्वेनोदेवा अवसागमन्तु विश्वेमस्तु द्रविणं बाजो अस्मै ।==10000 - श्रवण नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ विष्णोरराटमसि विष्णो श्नपत्रेस्थो विष्णो स्युरसिविष्णो धुर्वोसि वैष्णवमसि विष्नवेत्वा । ॐ विष्णवे नम: ।==10000 - धनिष्ठा नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ वसो:पवित्रमसि शतधारंवसो: पवित्रमसि सहत्रधारम । देवस्त्वासविता पुनातुवसो: पवित्रेणशतधारेण सुप्वाकामधुक्ष: । ॐ वसुभ्यो नम: ।==10000 - शतभिषा नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ वरुणस्योत्त्मभनमसिवरुणस्यस्कुं मसर्जनी स्थो वरुणस्य ॠतसदन्य सि वरुण स्यॠतमदन ससि वरुणस्यॠतसदनमसि । ॐ वरुणाय नम: ।==10000 - पूर्वभाद्रपद नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ उतनाहिर्वुधन्य: श्रृणोत्वज एकपापृथिवी समुद्र: विश्वेदेवा ॠता वृधो हुवाना स्तुतामंत्रा कविशस्ता अवन्तु । ॐ अजैकपदे नम:।==5000 - उत्तरभाद्रपद नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ शिवोनामासिस्वधितिस्तो पिता नमस्तेSस्तुमामाहि (गुं) सो निर्वत्तयाम्यायुषेSत्राद्याय प्रजननायर रायपोषाय ( सुप्रजास्वाय ) । ॐ अहिर्बुधाय नम: । ==1000 - रेवती नक्षत्र वेद मंत्र:
ॐ पूषन तव व्रते वय नरिषेभ्य कदाचन । स्तोतारस्तेइहस्मसि । ॐ पूषणे नम: ।==10000
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