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भारतीय वैदिक ज्योतिष में आकाशमण्डल को बारह राशियां में विभाजित किया गया है । प्रत्येक राशि का मान ३० अंश होता है और इन ३० अंशों का अपना एक एरिया या भाग होता है जो एक विशिष्ट आकृति का निर्माण करता है । इस प्रकार हमें बारह भिन्न आकृतियां प्राप्त होती हैं जिनके आधार पर राशियां के नाम दिए गए हैं । ये राशियां अलग अलग ग्रहों द्वारा संचालित होती हैं । कुछ राशियां ऐसी भी हैं जिनको एक ही गृह संचालित करता है । आइये जानते हैं इन राशिओं और इनके स्वामी ग्रहों के बारे में….
Table of Contents
बारह राशियां और उनके स्वामी Twelve rashies and their lords :
मेष राशि Aries/Mesh rashi :
मेष राशि के स्वामी मंगल देवता हैं । मंगल को देवताओं का सेनापति भी कहा जाता है । यह मंगल देवता की मूल त्रिकोण राशि है । पूर्व दिशा पर इस राशि का स्वामित्व है । मेष राशि से मस्तक का विचार किया जाता है ।
वृष राशि Taurus/Vrish rashi :
वृष राशि के स्वामी शुक्र देवता हैं । इन्हें दैत्य गुरु भी कहा जाता है । यह राशि दक्षिण दिशा की स्वामिनी है । वृष राशि से चेहरे और कपोलों की जानकारी प्राप्त होती है ।
मिथुन राशि Gemini/Mithun rashi :
मिथुन राशि के स्वामी बुद्ध देव हैं । इन्हें राजकुमार भी कहते हैं । इसका स्वामित्व पश्चिम दिशा पर है । इस राशि से जातक के कन्धों व् बाहों का विचार किया जाता है ।
कर्क राशि Cancer/Kark rahi :
कर्क राशि के स्वामी चंद्र देव हैं । यह राशि उत्तर दिशा की स्वामिनी है । इसे जातक का मन या माता भी कहा जाता है । इससे जातक/जातिका के वक्षस्थल, गुर्दों व् खून की रवानगी का विचार किया जाता है ।
सिंह राशि Leo/Singh rashi :
सिंह राशि के स्वामी सूर्य देव हैं । पूर्व दिशा पर इसका आधिपत्य है । इन्हें सभी ग्रहों का राजा कहा जाता है । इस राशि से ह्रदय अथवा दिल के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है ।
कन्या राशि Vergo/Kanya raashi :
कन्या राशि के स्वामी बुद्ध देव हैं । दक्षिण दिशा पर इस राशि का अधिपत्य है । यह बुद्ध देवता की मूल त्रिकोण राशि है । कन्या राशि से पेट अथवा पेट से सम्बंधित बीमारी का विचार किया जाता है ।
तुला राशि Libra/Tula rashi :
तुला राशि के स्वामी शुके देवता हैं । यह राशि पश्चिम दिशा की स्वामिनी है । यह शुक्र देव की मूल त्रिकोण राशि है । तुला राशि से इंटरनल सेक्स ऑर्गन्स को विचार जाता है ।
वृश्चिक राशि Scorpio/Vrishchik raashi :
वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल देवता हैं । यह उत्तर दिशा की स्वामिनी है । इस राशि से एक्सटर्नल सेक्स ऑर्गन्स का विचार किया जाता है ।
धनु राशि Sagittarius/Dhanu rashi :
धनु राशि के स्वामी वृहस्पति देव हैं । इन्हें देवगुरु भी कहा जाता है । यह पूर्व दिशा की स्वामिनी है । धनु गुरु की मूल त्रिकोण राशि है । इस राशि से जंघाओं का विचार किया जाता है ।
मकर राशि Capricorn/Makar rashi :
मकर राशि के स्वामी शनि देव हैं । इन्हें न्याय के देवता भी कहा जाता है और दास भी । यह दक्षिण दिशा की स्वामिनी है । इसके द्वारा घुटनो को विचार जाता है ।
कुम्भ राशि Aquarius/Kumbh raashi :
कुम्भ राशि के स्वामी भी शनि देव हैं । यह पश्चिम दिशा की स्वामिनी है । यह शनि देव की मूल त्रिकोण राशि है । इससे घुटनों से लेकर पाँव का विचार किया जाता है ।
मीन राशि Pisces/Meen rashi :
मीन राशि के स्वामी गुरु देव हैं । यह उत्तर दिशा की स्वामिनी है । इस राशि से जातक/जायिका के पाओं का विचार किया जाता है ।
इन बारह राशिओं को एक बार ध्यान से पढ़ लें । ध्यान दें मेष और वृश्चिक के स्वामी मंगल, वृष और तुला के शुक्र, मिथुन व् कन्या के बुद्ध, कर्क के चंद्र, सिंह राशि के स्वामी सूर्य, धनु व् मीन के गुरु तथा मकर, कुम्भ राशि के स्वामी शनि देव हैं । अगले आर्टिकल में थोड़ा और आगे बढ़ेंगे थोड़ा और जानेंगे । तब तक के लिए नमस्कार ।
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