Loading...

299 Big Street, Govindpur, India

Open daily 10:00 AM to 10:00 PM

धनु लग्न की कुंडली में गुरुचण्डाल योग – Guruchandal yoga Consideration in Sagittarius/Dhanu

धनु लग्न की कुंडली में गुरु लग्नेश होने के साथ साथ चौथे भाव के स्वामी भी हैं, एक योगकारक गृह बनते हैं । यही गुरु शुभ भाव में स्थित हो जाएँ तो अपनी दशाओं में शुभ फल फल प्रदान करने के लिए बाध्य हो जाते हैं । वहीँ राहु अपनी मित्र राशि में शुभ फलप्रदायक होते हैं और शत्रु राशि में अशुभ । राहु के मित्र राशिस्थ होने पर सम्बंधित भाव के स्वामी की स्थिति देखना भी अनिवार्य है, यानी जिस भाव में राहु हैं उस भाव के मालिक कहीं छह, आठ अथवा बारहवें भाव में तो स्थित नहीं है, या किसी अन्य कारण से कमजोर तो नहीं है । यदि ऐसा है तो राहु की दशाओं में शुभ परिणाम प्राप्त नहीं होते । आइये विस्तार से जानते हैं गुरु व् राहु की युति से किन भावों में बनता है गुरुचण्डाल योग, किस गृह की की जायेगी शांति….


Table of Contents

धनु लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in first house in Sagittarius/Dhanu lgna kundli :

धनु राशि राहु देवता की नीच राशि है । प्रथम भाव में स्थित होने पर राहु गृह की शांति अनिवार्य है । गुरु के प्रथम भावस्थ होने पर हंस नामक पंचमहापुरुष योग का निर्माण होता है । राहु की शांति करवा ली जाए तो गुरु की दशाओं में जातक को अत्यंत शुभ फल प्राप्त होते हैं, प्रेम विवाह का योग बनता है, व्यापार में लाभ होता है, विदेश यात्राओं से उन्नति होती है, भाग्य उन्नत होता है ।

धनु लग्न की कुंडली में द्वितीय भाव में गुरुचण्डाल योग Gajkesari yoga in second house in Sagittarius/Dhanu kundli :

मकर राशि गुरु की नीच राशि है । अतः इस भाव में आकर गुरु अपनी दशाओं में अशुभ फल प्रदान करने के लिए बाध्य हैं । वहीँ राहु मित्र राशिस्थ होकर शुभ फलदायक हैं । राहु की दशाओं में शुभ फल प्राप्त होते हैं । दुसरे भाव से सम्बंधित होने पर गुरु की शांति अनिवार्य है ।

Also Read: धनु लग्न की कुंडली में पंचमहापुरुष योग – Panchmahapurush yoga Consideration in Sagittarius/Dhanu

धनु लग्न की कुंडली में तृतीय भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in third house in Sagittarius/Dhanu lgna kundli :

तृतीय भाव में गुरु को केन्द्राधिपति दोष लगता है और राहु भी इस भाव से सम्बंधित होकर परेशानियों में वृद्धिकारक होते हैं । यहाँ दोनों की शांति करवाई जाती है

धनु लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in fourth house in Sagittarius/Dhanu lgna kundli :

मीन राशि में आकर गुरु पंचमहापुरुष योग बनाते हैं, अपनी दशाओं में शुभ फलदायक होते हैं । वहीँ मीन राहु की शत्रु राशि है । राहु की शांति करवाई जायेगी ।

Also Read: धनु लग्न की कुंडली में बुद्धादित्य योग – Budhaditya yoga Consideration in Sagittarius/Dhanu

धनु लग्न की कुंडली में पंचम भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in fifth house in Sagittarius/Dhanu lgna kundli :

पंचमस्थ गुरु अपनी दशाओं में शुभ फल प्रदान करते हैं । मेष राशि राहु की शत्रु राशि है । राहु की दशाएं शुभफलप्रदायक नहीं होती हैं । राहु की शांति करवाई जाती है अन्यथा राहु की दशाओं में जातक के साथ साथ संतान व् बड़े छोटे भाई बहन को भी कष्ट होता है, गुरु के शुभ फलों में भी कमी आती है ।

धनु लग्न की कुंडली में छठे भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in sixth house in Sagittarius/Dhanu lgna kundli :

इस भाव में गुरु व् राहु दोनों की दशाएं अशुभ फलकारी हैं । दोनों की शांति अनिवार्य है । शुक्र यदि विपरीत राजयोग बना लें तो राहु भी शुभ फल प्रदान करते हैं । ऐसी स्थिति में केवल गुरु की शांति करवाई जाती है ।

धनु लग्न की कुंडली में सातवें भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in seventh house in Sagittarius/Dhanu lgna kundli :

सप्तम भाव में दोनों ग्रहों को दशाएं शुभ फलदायक होती हैं । किसी भी गृह का उपाय नहीं करवाया जाना चाहिए ।

धनु लग्न की कुंडली में आठवें भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in eighth house in Sagittarius/Dhanu lgna kundli :

आठवाँ भाव त्रिक भाव में से एक होता है, शुभ नहीं कहा जाता है । आठवाँ भाव वैसे ही भौतिक दृष्टि से शुभ नहीं कहा गया है । गुरु व् राहु भी इस भाव में अशुभता में ही वृद्धिकारक होते हैं । यहाँ स्थित होने पर राहु व् गुरु दोनों की शांति करवाई जाती है ।

धनु लग्न की कुंडली में नौवें भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in ninth house in Sagittarius/Dhanu lgna kundli :

नवम भाव में मित्र राशिस्थ गुरु शुभफलदायक होते हैं । सिंह राशिस्थ राहु की शांति करवाई जायेगी अन्यथा गुरु की दशाओं में शुभ फलों में कमी आती है ।

धनु लग्न की कुंडली में दसवें भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in tenth house in Sagittarius/Dhanu lgna kundli :

दशम भाव में गुरु व् राहु दोनों की दशाएं शुभ फलदायक होती हैं । दोनों ग्रहों की दशाओं में बहुत शुभ फल प्राप्त होते हैं ।

धनु लग्न की कुंडली में ग्यारहवें भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in eleventh house in Sagittarius/Dhanu lgna kundli :

ग्यारहवें भाव में आने पर राहु व् गुरु दोनों की दशाएं शुभ फलदायक होती हैं । दोनों ग्रहों की दशाओं में प्रेम विवाह के योग बनते हैं । पुत्र संतान प्राप्त होती है । बड़े छोटे भाई बहन से संबंधों में मधुरता रहती है । चित्त प्रसन्न रहता है । अचानक लाभ के योग बनते हैं ।

धनु लग्न की कुंडली में बारहवें भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in twelth house in Sagittarius/Dhanu lgna kundli :

बारहवां भाव त्रिक भावों में से एक होता है, शुभ नहीं माना जाता है । दोनों ग्रहों की दशाओं में व्यर्थ का व्यय लगा ही रहता है । कोर्ट केस में धन व्यय होने के योग बनते हैं । इस भाव में आने पर राहु व् गुरु दोनों की शांति अनिवार्य है ।

( YourAstrologyGuru.Com ) पर विज़िट करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।

Written by

Your Astrology Guru

Discover the cosmic insights and celestial guidance at YourAstrologyGuru.com, where the stars align to illuminate your path. Dive into personalized horoscopes, expert astrological readings, and a community passionate about unlocking the mysteries of the zodiac. Connect with Your Astrology Guru and navigate life's journey with the wisdom of the stars.

Leave a Comment

Item added to cart.
0 items - 0.00