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कन्या लग्न की कुंडली में गुरुचण्डाल योग – Guruchandal yoga Consideration in Virgo/Kanya

कन्या लग्न की कुंडली में गुरु चौथे और सातवें भाव के मालिक होकर एक सम गृह बनते हैं । आइये विस्तार से जानते हैं गुरु व् राहु की युति से किन भावों में बनता है गुरुचण्डाल योग, किस गृह की की जायेगी शांति….


Table of Contents

कन्या लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in first house in Virgo/Kanya lgna kundli :

कन्या राशि में गुरु व् राहु दोनों शुभ फल प्रदान करते हैं । यहाँ किसी भी गृह से सम्बंधित उपाय नहीं करवाया जाएगा । दोनों ग्रहोंकी दशाओं में जातक को शुभ फल प्राप्त होते हैं ।

कन्या लग्न की कुंडली में द्वितीय भाव में गुरुचण्डाल योग Gajkesari yoga in second house in Virgo/Kanya kundli :

तुला राशि राहु की मित्र राशि है और दूसरा भाव गुरु का करक भाव है, अपनी अपनी दशाओं में गुरु व् राहु दोनों शुभ फल प्रदान करते हैं । यहाँ किसी भी गृह से सम्बंधित उपाय नहीं करवाया जाएगा । राहु की दशाओं में केवल वाणी थोड़ी क्रूर हो जाती है, उससे भी जातक को लाभ ही मिलता है ।

कन्या लग्न की कुंडली में तृतीय भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in third house in Virgo/Kanya lgna kundli :

वृश्चिक राशि में राहु नीच के माने जाते हैं और गुरु जो इस कुंडली में एक सम गृह हैं तीसरे भाव में आकर केन्द्राधिपति योग से पीड़ित हो जाते हैं । गुरु व राहु दोनों की दशाएं अशुभ फलप्रदायक हो जाती हैं । तीसरे भाव में आने पर गुरु व राहु दोनों की शांति करवाई जाती है ।

कन्या लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in fourth house in Virgo/Kanya lgna kundli :

धनु राशि में भी राहु नीच के हो जाते हैं, राहु की दशाएं कष्टकारी होती हैं । केवल गुरु ही शुभफल प्रदान करते हैं, हंस नाम का पंचमहापुरुष योग बनाते हैं । यदि गुरु गुरु की दशाओं का का पूर्ण लाभ उठाना चाहते हैं तो राहु की शांति अवश्य करवाएं ।

कन्या लग्न की कुंडली में पंचम भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in fifth house in Virgo/Kanya lgna kundli :

मकर राशि गुरु की नीच राशि होती है जबकि यही राशि राहु की मित्र राशि होती है । राहु की दशाएं शुभफलप्रदायक होती हैं । गुरु की शांति करवाई जाती है ।

कन्या लग्न की कुंडली में छठे भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in sixth house in Virgo/Kanya lgna kundli :

इस भाव में दोनों की दशाएं अशुभ फलकारी हैं । दोनों की शांति अनिवार्य है । छठे भाव में स्थित होकर राहु शुभ रिजल्ट दे सकते हैं यदि शनि विपरीत राजयोग बना लें तो, अन्यथा राहु भी अनिष्टकारक ही कहे जाएंगे ।

कन्या लग्न की कुंडली में सातवें भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in seventh house in Virgo/Kanya lgna kundli :

सप्तम भाव में गुरु पंचमहापुरुष योग बनाते है, अपनी दशाओं में शुभफलदायक होते हैं । राहु अपनी शत्रु राशि में हैं इसलिए राहु की शांति करवाई जाती है ।

कन्या लग्न की कुंडली में आठवें भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in eighth house in Virgo/Kanya lgna kundli :

आठवाँ भाव त्रिक भाव में से एक होता है, शुभ नहीं कहा जाता है । आठवाँ भाव वैसे ही भौतिक दृष्टि से शुभ नहीं कहा गया है । राहु भी इस भाव में अशुभता में ही वृद्धिकारक होते हैं । इस वजह से यहाँ स्थित होने पर राहु व् गुरु दोनों की शांति करवाई जाती है ।

कन्या लग्न की कुंडली में नौवें भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in ninth house in Virgo/Kanya lgna kundli :

नवम भाव में मित्र राशिस्थ राहु शुभफलदायक होते हैं । वहीँ गुरु भी एक सम गृह होकर अपने कारक भाव में आये हैं इसलिए शुभ फलदायक होते हैं । किसी भी गृह की शांति नहीं करवाई जायेगी ।

कन्या लग्न की कुंडली में दसवें भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in tenth house in Virgo/Kanya lgna kundli :

दशम भाव में गुरु व् राहु के स्थित होने पर गुरु व् राहु दोनों की दशाओं में बहुत शुभ फल प्राप्त होते हैं । इस भाव में आने पर दोनों ग्रहों में से किसी भी गृह की शांति नहीं करवाई जाती ।

कन्या लग्न की कुंडली में ग्यारहवें भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in eleventh house in Virgo/Kanya lgna kundli :

ग्यारहवें भाव में गुरु राहु की युति होने पर राहु से सम्बंधित उपाय करवाया जाएगा । कर्क राशि में गुरु उच्च के हो जाते हैं और ग्यारहवां भाव गुरु का कारक भाव भी है । इस वजह से गुरु की दशाएं शुभ फल प्रदान करती हैं । वहीँ कर्क राशि राहु की शत्रु राशि होती है । इसलिए राहु की शांति इस भाव में अनिवार्य हो जाती है ।

कन्या लग्न की कुंडली में बारहवें भाव में गुरुचण्डाल योग Guruchandal yoga in twelth house in Virgo/Kanya lgna kundli :

बारहवां भाव त्रिक भावों में से एक होता है, शुभ नहीं माना जाता है । दोनों ग्रहों की दशाओं में व्यर्थ का व्यय लगा ही रहता है । कोर्ट केस में धन व्यय होने के योग बनते हैं । इस भाव में आने पर राहु व् गुरु दोनों की शांति अनिवार्य है ।

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