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वृष लग्न की कुंडली में बुद्धादित्य योग – Budhaditya yoga Consideration in Taurus/Vrish

बुद्ध व् सूर्य के योगकारक होकर किसी शुभ भाव में युति को बुध आदित्य योग कहा जाता है । वृष लग्न की कुंडली में सूर्य चतुर्थ भाव के स्वामी होकर एक सम गृह बनते हैं वहीँ बुद्ध दुसरे व् पांचवें भाव के स्वामी होने की वजह से एक कारक गृह बनते हैं । वृष लग्न की कुंडली में बुधादित्य योग बनता है ।


Table of Contents

वृष लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in first house in Taurus/Vrish lgna kundli :

वृष लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में बुद्ध हों तो बुद्ध की दशाओं में जातक का स्वास्थ्य अच्छा रहने के योग बनते हैं, धन की कमी नहीं आती है, कुटुंब साथ देता है, पार्टनरशिप से लाभ होता है । सूर्य लग्न में हों तो जातक उनकी दशाओं में परिवार, माता का सुःख भोगता है, भूमि, मकान, वाहन से भी सुख प्राप्त करता है । व्यापार में पार्टनरशिप से लाभ प्राप्ति के योग बनते हैं । प्रथम भाव में बुद्धादित्य योग बनता है ।

वृष लग्न की कुंडली में द्वितीय भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in second house in Taurus/Vrish lgna kundli :

वृष लग्न की कुंडली में द्वितीय भाव में बुद्धादित्य योग अवश्य बनता है । दुसरे भाव में सूर्य बुद्ध की युति होने पर बुद्ध की महादशा में पुत्री प्राप्ति का योग बनता है, जातक धार्मिक होता है, रुकावटें बुद्धिमानी से दूर हो जाती हैं । वहीँ सूर्य की दशाओं में कुटुंब की प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है, बाधाएं आसानी से दूर हो जाती हैं । भूमि, मकान, वाहन का सुख प्राप्त होता है ।

वृष लग्न की कुंडली में तृतीय भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in third house in Taurus/Vrish lgna kundli :

सूर्यबुद्ध की युति तीसरे घर में होने पर बुद्ध व् सूर्य दोनों की दशाओं में बहुत मेहनत करने के बाद ही भाग्य का साथ प्राप्त होता है । सूर्य की दशाओं में मकान, वाहन, भूमि सम्बन्धी परेशानियां लगी रहती हैं, जातक विदेश यात्राएं करता है, पिता से अनबन रहती है । यहाँ बुधादित्य योग नहीं बनता ।

वृष लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in fourth house in Taurus/Vrish lgna kundli :

सूर्यबुद्ध की युति यदि चतुर्थ भाव में हो तो बुध की दशाओं में माता का स्वास्थ्य उत्तम रहने के योग बनते हैं और मकान, वाहन व् भूमि का सुख प्राप्त होता है । सूर्य की दशाओं में मकान, वाहन व् भूमि का सुख प्राप्त होता है । जातक का माता से बहुत लगाव होता है । उन्नति के योग बनते हैं ।

वृष लग्न की कुंडली में पंचम भाव में बुद्धादित्य योग Budhadityai yoga in fifth house in Taurus/Vrish lgna kundli :

सूर्य पुत्र प्राप्ति का योग बनाते हैं, बड़े भाई बहन से लाभ प्राप्त करवाते हैं । बुद्ध की दशाओं में पुत्री प्राप्ति का योग बनता है और बड़े भाई बहन से लाभ प्राप्ति के योग बनते हैं । इस प्रकार पंचम भाव में भी बुद्धादित्य योग बनेगा ।

वृष लग्न की कुंडली में छठे भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in sixth house in Taurus/Vrish lgna kundli :

त्रिक भाव में बुद्धादित्य योग नहीं बनता । माता, संतान या किसी कुटुंबजन के स्वास्थ्य खराब रहने का योग बनता है ।

वृष लग्न की कुंडली में सातवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in seventh house in Taurus/Vrish lgna kundli :

सप्तम भाव में बुद्धादित्य योग बनता है । सूर्य व् बुद्ध दोनों की महादशा में इस योग के लाभ जातक को प्राप्त होते हैं ।

वृष लग्न की कुंडली में आठवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in eighth house in Taurus/Vrish lgna kundli :

आठवाँ भाव् त्रिक भाव में से एक भाव होता है, शुभ नहीं माना जाता है । यहाँ भी बुद्धादित्य योग नहीं बनता ।

वृष लग्न की कुंडली में नौवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in ninth house in Taurus/Vrish lgna kundli :

यहाँ सूर्य की दशाओं में जातक के उच्च शिक्षा ग्रहण के योग बनते हैं, विदेश यात्राओं से लाभ होता है, जातक पिता का सम्मान करता है । बुद्ध की दशाओं में भी उच्चतर शिक्षा के योग बनते हैं । मेहनत का लाभ अवश्य मिलता है । भाग्य जातक का साथ देता है । जातक विदेश यात्राओं से भी लाभ कमाता है । वृष लग्न की कुंडली में नौवें भाव में बुद्धादित्य योग बनता है ।

वृष लग्न की कुंडली में दसवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in tenth house in Taurus/Vrish lgna kundli :

सूर्य व् बुध की दशाओं में उन्नति के योग बनते हैं । जातक भूमि, मकान व् वाहन का सुख भोगता है । नौकरी व्यापार में उन्नति होती है । दसवें भाव में बुद्धादित्य योग बनता है ।

वृष लग्न की कुंडली में ग्यारहवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in eleventh house in Taurus/Vrish lgna kundli :

मीन राशि में बुद्ध नीच के माने जाते हैं । यदि किन्हीं प्रकारों से नीच भंग हो भी जाए तो भी बुद्ध बहुत अच्छे परिणाम नहीं दे पाते । यहाँ बुधादित्य योग नहीं बनता ।

वृष लग्न की कुंडली में बारहवें भाव में बुद्धादित्य योग Budhaditya yoga in twelth house in Taurus/Vrish lgna kundli :

त्रिक भावों में से किसी भी भाव में कोई योग नहीं बनता ।

ध्यान दें की कोई भी योग बनाने वाले ग्रहों का बलाबल अवश्य देख लें । इसके साथ ही राशियां, दृष्टियां भी ग्रहों व् योगों पर अपना प्रभाव रखती हैं । उन सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर ही किसी निर्णय पर पहुंचना चाहिए ।

आशा है की उपरोक्त विषय आपके लिए ज्ञानवर्धक रहा । आदियोगी का आशीर्वाद सभी को प्राप्त हो । ( YourAstrologyGuru.Com ) पर विज़िट करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।

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