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मकर लग्न की कुंडली में प्रथम भाव से मांगलिक विचार Manglik dosha consideration when Mars is in first house in Capricorn/Makar lgna kundli
मकर लग्न की कुंडली में मेष राशि चतुर्थ व् मकर राशि एकादश भाव में आती है, मंगल चतुर्थेश तथा एकादशेश होते हैं । मूल त्रिकोण राशि चौथे भाव में होने की वजह से एक सम गृह का दर्जा रखते हैं । यदि मंगल प्रथम भाव में हों और सातवीं दृष्टि से सप्तम भाव को देखते हों तो मांगलिक दोष नहीं बनता है । मंगल अपनी महादशा अन्तर्दशा में सप्तम भाव सम्बन्धी शुभ परिणाम ही प्रदान करते हैं ।
मकर लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव से मांगलिक विचार Manglik consideration when Mars is in fourth house in Capricorn/Makar kundli :
मकर लग्न की जन्मपत्री में चौथे भाव में मेष राशि आती है । इस कुंडली में स्वराशिस्थ मंगल जब अपनी चौथी दृष्टि से सप्तम भाव को देखते हैं तो मांगलिक दोष का निर्माण नहीं करते वरन सप्तम भाव को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं । इस प्रकार मकर लग्न की कुंडली के चौथे भाव में स्थित होने पर मांगलिक दोष नहीं बनता है ।
मकर लग्न की कुंडली में सातवें भाव से मांगलिक विचार Manglik consideration when Mars is in seventh house in Capricorn/Makar lgna kundli :
इसी लग्न कुंडली में यदि मंगल सातवें भाव में अपनी नीच राशि में स्थित हो जाए तो मांगलिक दोष माना जाता है । यहाँ मंगल देवता नीच के हो जाते हैं और अपनी महादशा अन्तर्दशा में सातवें भाव सम्बन्धी अशुभ फल प्रदान करते हैं । साथ ही अपनी चौथी, सातवीं और आठवीं दृष्टि से दसवें, लग्न व् दुसरे भाव को देखते हैं और इन भावों सम्बन्धी भी अशुभ परिणाम प्रदान करते हैं ।
मकर लग्न की कुंडली में आठवें भाव से मांगलिक विचार Manglik consideration when Mars is in eighth house in Capricorn/Makar lgna kundli :
मकर लग्न की कुंडली में आठवें भाव में मंगल के स्थित होने पर भी मांगलिक दोष बनता है । अष्टम भाव त्रिक भाव में से एक भाव होता है, कुंडली का एक अशुभ भाव माना जाता है । जन्मपत्री का शुभ गृह आठवें भाव में स्थित होने पर उसकी अशुभता ले लेता है और अपनी महादशा अन्तर्दशा में अशुभ फलों में वृद्धि करते हैं ।
मकर लग्न की कुंडली में बारहवें भाव से मांगलिक विचार Manglik consideration when Mars is in twelth house in Capricorn/Makar lgna kundli :
इसी लग्न कुंडली में यदि मंगल द्वादशस्थ हो जाए तो मांगलिक दोष नहीं माना जाता है । बारहवां भाव त्रिक भावों में से एक होता है, कुंडली का अशुभ स्थान माना जाता है । परन्तु यहां बारहवें भाव में वृहस्पति देव की मूल त्रिकोण क्षत्रीय वर्ण राशि आती है । साथ ही मान्यता है की मोक्ष का भाव यदि वृहस्पति देव सँभालते हों तो यहाँ मांगलिक दोष भांग माना जाता है । इस वजह से कुंडली के सातवें भाव को देखने पर भी मांगलिक दोष का निर्माण नहीं होता है ।
इस प्रकार हमने जाना की मकर लग्न की कुंडली में पहले, चौथे व् बारहवें भाव में मंगल देवता के स्थित होने पर मांगलिक दोष नहीं बनता । साथ ही हमने यह भी जाना की इस जन्मपत्री में यदि मंगल सातवें अथवा आठवें भाव में स्थित हो जाएँ तो मांगलिक दोष अवश्य बनता है ।
ध्यान दें किसी भी कुंडली के मांगलिक दोष को निर्धारित करते समय मांगलिक दोष के कैंसलेशन पॉइंट्स जरूर देख लें । इनकी जानकारी आपको नेट पर आसानी से उपलब्ध हो जायेगी । मांगलिक दोष के कैंसलेशन पॉइंट्स जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट YourAstrologyGuru.Com पर भी लॉगिन कर सकते हैं ।
आशा है की आज का विषय आपके लिए ज्ञानवर्धक रहा । आदियोगी का आशीर्वाद सभी को प्राप्त हो । ज्योतिषहिन्दी.इन ( YourAstrologyGuru.Com ) पर विज़िट करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।