सभी संस्कृतियों में पति पत्नी के सम्बन्ध को सबसे ऊपर रखा गया है। भारत में मान्यता अनुसार इसे सात जन्मो तक चलने वाला सम्बन्ध कहा जाता है।
शादी के बाद पति पत्नी के बीच के अंतरंग सम्बन्धो ( Married life vs sex) पर बात करना अजीब लग सकता है। कुछ युगल इससे असहज होंगे, तो कुछ इसे गैर जरुरी मानेंगे।
सामान्यतया इसका महत्त्व केवल नवविवाहितो के लिए प्रथम संतान होने तक ही होता है। उसके बाद यह उनके लिए गैर जरुरी या कभी कभी संपन्न की जाने वाली खानापूर्ति की प्रक्रिया भर रह जाता है।
विशेषकर महिलाये इस विषय को लेकर अपनी रूचि बहोत जल्दी खो देती है। जिसका उनके वैवाहिक जीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। जिससे मतभेदों, विवादों, यहाँ तक की सम्बद्ध विच्छेद (डाइवोर्स ) तक की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
आइये हम यहाँ कुछ प्रमुख बिन्दुओ पर गौर करते है, जिसके परिणाम स्वरुप ऐसी स्थितियों को टाला जा सके।
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Married life vs Sex | शादी में सेक्स की महत्ता
ऑस्ट्रेलियन यूनिवर्सिटी के द्वारा किये गये एक अध्ययन में पाया गया है, कि जो पति पत्नी परस्पर शारीरिक सम्बन्धो के प्रति रूचि नहीं रखते उनके बीच तनाव अधिक होता है, जिसकी परिणति तलाक भी हो सकती है।
एक अन्य कोलोराडो विश्वविद्यालय के अध्यन के मुताबिक़ जो जोड़े ज़्यादा सेक्स करते हैं, उनके बीच प्रेम भी कामक्रीड़ा के समानुपातिक ही होता हैं।
नियमित सम्बन्ध स्थापित करने से आपस में प्रगाढ़ता बढ़ती हैं और आप एक दुसरे के सुख दुःख को बेहतर तरीके से सुनते और समझते है।
इससे होने वाले सुखद अहसास और मानसिक संतुष्टि से मानसिक तनाव कम होता हैं, जिससे एक दूसरे के प्रति आकर्षण बढ़ता है।
स्कॉटलैंड के विश्वविद्यालय ने भी वर्ष 2006 में एक ऐसा ही शोध किया था। जिसमे यह निष्कर्ष निकला, कि जो विवाहित जोड़े नियमित संभोग करते हैं।
वह अन्य जोड़ो की अपेक्षा बेहतर तरीके से मिलकर चाहे तनाव हो अथवा दैनन्दिनी समस्याओ का सामना करते हैं। यह जीवन से विक्षिप्त लोगों के बीच वैवाहिक जीवन में खुशी बढाता हैं।
यूके के एक प्राध्यापक डेविड विक्स के अनुसार सप्ताह में तीन बार शारीरिक संबंध बनाने से दोनों में में ज़्यादा युवापन रहता हैं एवं रोगो से लड़ने की क्षमता में वृद्धी होती है।
इस बात को सिद्ध करने के लिए किसी प्रमाण की ज़रूरत नहीं हैं, कि जबसे मनुष्य ने जन्म लिया है। तब से यह एक सार्वभौमिक विदित हैं, कि जो शादीशुदा जोड़े ज़्यादा सम्भोग करते हैं, उनके बीच स्नेह भी अधिक होता हैं।
यह तो हुई विवाहितो को होने वाले लाभ की बाते। आगे विस्तार से जानते है, कि हम मनुष्यो का यह नसैर्गिक गुण होने के बावजूद समस्या क्यों उत्पन्न होती है।
मानव जीवन में यौन भावना से जुड़े संबंधो का अत्यंत महत्व है। जिस प्रकार हमें भूख और प्यास लगती है। उसी प्रकार हमारी प्रमुख शारीरिक आवश्यकताओं में से एक आवश्यकता हमारी यौन इच्छाओं की संतुष्टि भी होती है।
सेक्स और उससे जुड़े सम्बन्धो के विषय में जानने के लिये सेक्स और संबंध (sex bonding in relationship ) भी पढ़े।
Lost interest in Sex | वैवाहिक जीवन में सम्भोग से अरुचि
यह समस्या स्त्री अथवा पुरुष में से किसी को भी हो सकती है। इसके लिये भावनात्मक, मानसिक, शारीरिक, सामाजिक अथवा आर्थिक कारण भी हो सकते है। यदपि यह समस्या स्त्रियों की शारीरिक बनावट के कारण महिलाओ में अधिक पायी जाती है।
पुरुषो में इस समस्या का मुख्य कारण शारीरिक न होकर मानसिक अधिक होता है। परन्तु सामाजिक एवं आर्थिक परिस्थितियों के प्रभाव दोनों पर सामान रूप से पड़ते है।
सामाजिक, धार्मिक एवं परिवार में स्त्रियों में सेक्स को लेकर यह मानसिकता बनायीं जाती है, कि यह घृणित कार्य है। शारीरिक सुख का आनंद लेना स्त्रियों के लिये नैतिक पतन का कारण है।
विशेषकर भारतीय समाज में पति पत्नी के बीच संभोग की महत्ता केवल संतान प्राप्ति के लिए ही है। अतः शादी के बाद संतान प्राप्ति अथवा शारीरिक कारणों से इच्छा में कमी आते ही पत्नी पति के सम्भोग के आग्रह को टालने लगती है।
इसके विपरीत पति के लिये पत्नी से शारीरिक सम्बन्ध को दोनों के बीच मानसिक और भावनात्मक जुड़ाव के लिये सेतु की तरह होता है। पत्नी द्वारा टालने पर वह आहत हो उससे जुड़ाव की भावना खोने लगता है।
जिसके फलस्वरूप वह यह भावना और सम्बन्ध अन्यत्र ढूंढने लगता है, जिससे वैवाहिक जोड़ो के इतर सम्बन्ध स्थापित होते है। पत्निया इसे लेकर असुक्षित भावना से ग्रसित हो जाती है, जो दोनों के मध्य तनाव उत्पन्न करता है।
कुछ परिस्थितियों में इसका बिलकुल विपरीत भी देखने को मिलता है, जहा पति किसी मानसिक अथवा शारीरिक अवस्था के चलते पत्नी से सम्भोग नहीं करते है।
दोनों ही परिस्थितियों में यह तनाव बढ़कर झगडे में पैदल जाता है और अततः जिसका परिणाम उदासीन जीवन अथवा सम्बन्ध विच्छेद से होता है।
आइये स्त्री पुरुषो में इस उदासीनता के मुख्य बिन्दुओ को क्रमशः विस्तृत रूप से समझने का प्रयास करते है।
Loss of libido in women | स्त्रियों में यौन इच्छा में कमी
सबसे पहले हम उन लक्षणों पर गौर करते है, जिससे इस समस्या की पहचान की जा सके।
महिलाओ की सम्भोग के प्रति अरुचि के प्रमुख लक्षण :
1. शारीरिक सम्बन्धो को लेकर अनिच्छा का होना।
2. सम्बन्धो को को लेकर आने वाले विचारो के प्रति उत्तेजना का आभाव।
3. रोमेंटिक विचारो अथवा निजी पलो से दुरी बनाना।
Menopause | रजोनिवृत्ति
पहले यह जानना जरुरी है, कि यह प्रक्रिया कई वर्षो तक चलती है। रजोनिवृत्ति के समय एस्ट्रोजन का स्तर गिर जाता है। इससे शारीरिक संबंधो को लेकर रूचि घट सकती है।
योनि भाग के ऊतकों में शुष्कता पैदा हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप सम्भोग करते समय दर्द होने से असहज हो सकते है। हालांकि कई महिलाएं अभी भी रजोनिवृत्ति के दौरान और उसके बाद भी संतोषजनक यौन संबंध रखती हैं।
इसके विपरीत कुछ इस हार्मोनल परिवर्तन से कामेच्छा में कमी का अनुभव करती हैं।
Pregnancy and breast-feeding | गर्भावस्था और स्तनपान
गर्भावस्था के दौरान हार्मोनो के स्तर में बदलाव, बच्चा होने के बाद और स्तनपान के समय आपकी कामेच्छा को कम कर सकते है।
थकान, शरीर के आकार में बदलाव और गर्भावस्था के दबाव या नए बच्चे की देखभाल भी आपकी यौन इच्छा में बदलाव में योगदान कर सकते हैं।
Relationship issues | संबंधो में प्रगाड़ता की कमी
कई महिलाओं के लिए, भावनात्मक निकटता यौन अंतरंगता से पहले आती है। इसलिए रिश्ते में समस्याएं एक प्रमुख कारक हो सकती हैं।
अपने साथी के साथ विश्वास की कमी, अनसुलझे संघर्ष या झगड़े, यौन इच्छाओ और वरीयताओं को लेकर आपस में विचारो का स्पष्ट न होना यौन भावना को कम करता है।
Psychological issues | मानसिक समस्याएं
ख़राब मनःस्थिति भी यौन इच्छा पर विपरीत प्रभाव डालती है। मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे चिंता या अवसाद, वित्तीय तनाव या काम का तनाव, शरीर के गठन को लेकर हींन भावना का होना।
आत्म सम्मान में कमी, पूर्व में शारीरिक या यौन शोषण के नकारात्मक अनुभव मुख्य कारक है।
Loss of libido in men | पुरुषो में यौन इच्छा में कमी
समय-समय पर सेक्स में रुचि कम होना आम बात है। पुरुषो में कामेच्छा का स्तर जीवन भर बदलता रहता है। आपकी यौन सम्बन्धो के लिए वरीयता भी सामान्य कारण है, जो कभी-कभी अपने साथी से मेल नहीं खाती है।
हालांकि, लंबे समय तक कम कामेच्छा कुछ लोगों के लिए चिंता का कारण हो सकता है। यह कभी-कभी ख़राब मानसिक अथवा शारीरिक स्वास्थ्य का संकेत हो सकता है।
Stress | तनाव
यदि आप अत्यधिक दबाव की स्थितियों या लम्बे समय से परेशान हैं, तो यौन इच्छा कम हो सकती है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि तनाव आपके हार्मोन के स्तर को गिरा सकता है।
तनाव के समय आपकी धमनियां संकरी हो सकती हैं। यह संकुचन रक्त प्रवाह को कम करता है, और यौन उत्तेजना में कमी का कारण बनता है।
साइंटिफिक रिसर्च एंड एसेज में प्रकाशित एक अध्ययन ने इस धारणा का समर्थन किया, कि तनाव का पुरुषों और महिलाओं दोनों में यौन समस्याओं पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
रिश्ते की समस्याएं, तलाक, किसी प्रियजन की मृत्यु का सामना करना, वित्तीय चिंताएं, एक नया बच्चा, या व्यस्त काम का माहौल जीवन की कुछ ऐसी घटनाएं हैं जो सेक्स की इच्छा को बहुत प्रभावित कर सकती हैं।
Alcohol, smoking, drug abuse | नशीले पदार्थो का सेवन
पुरुषो में यौन व्यव्हार को मूल रूप से नियंत्रित करने वाला हार्मोन टेस्टोस्टेरोन है। इसकी अधिकता अथवा न्यूनता का सीधा असर पुरुषो की कामेच्छा पर होता है।
अधिक शराब के सेवन जैसे कि एक सप्ताह में 14 से अधिक बार लेने से भी टेस्टोस्टेरोन उत्पादन में कमी होती हैं। लंबे समय तक अत्यधिक मात्रा में शराब पीना आपकी कामेच्छा को कम कर सकती है।
क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार जो पुरुष नियमित रूप से तीन या अधिक बार मादक पेय पदार्थों का सेवन करते हैं, उन्हें कम पीने पर विचार करना चाहिए।
रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र का सुझाव है कि एक औसत वयस्क पुरुष को प्रतिदिन दो या उससे कम मादक पेय पदार्थ पीने चाहिए। इससे अधिक सेवन कोई भी दीर्घकालिक स्वास्थ्य में गिरावट का कारण बन सकता है।
शराब के अलावा, तंबाकू, गांजा और अफीम जैसी अवैध दवाओं के उपयोग को भी टेस्टोस्टेरोन उत्पादन में कमी से जोड़ा गया है। इसके परिणामस्वरूप यौन इच्छा की कमी हो सकती है।
धूम्रपान का शुक्राणु उत्पादन और शुक्राणु की गति पर भी नकारात्मक प्रभाव पाया गया है।
Depression | अवसाद
यह व्यक्ति के जीवन के सभी हिस्सों को बदल देता है। अवसाद से ग्रस्त लोगों को उन गतिविधियों में कम या पूरी तरह से उत्साह की कमी का अनुभव होता है, जिन्हें वे कभी आनंददायक पाते थे, जिसमें सेक्स भी शामिल है।
Chronic illness | लम्बे अंतराल की बीमारिया
जब आप दर्द के प्रभावों के कारण अच्छा महसूस नहीं कर रहे हैं, तो आपकी प्राथमिकताओं की सूची में सेक्स की संभावना कम है।
कुछ बीमारियां, जैसे कि कैंसर, आपके शुक्राणु उत्पादन की संख्या को भी कम कर सकती हैं।
अन्य बीमारियां मधुमेह टाइप 2, मोटापा, उच्च रक्तचाप, उच्च कोलेस्ट्रॉल, जीर्ण फेफड़े, हृदय, गुर्दे और यकृत की समस्या आपकी कामेच्छा पर असर डाल सकती हैं।
यदि आप इन्ही मे से किसी शारीरिक समस्या का सामना कर रहे हैं, तो इस दौरान अपने साथी से अंतरंग होने के तरीकों के बारे में बात करें। आप अपनी समस्याओं के बारे में किसी मैरिज काउंसलर या सेक्स थेरेपिस्ट से मिलने पर भी विचार कर सकते हैं।
Sleeping disorder | अनियमित नींद
जर्नल ऑफ क्लिनिकल स्लीप मेडिसिन में एक अध्ययन में पाया गया कि ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (ओएसए) वाले गैर-मोटे पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होता है। बदले में, यह यौन गतिविधि और कामेच्छा में कमी की ओर जाता है।
अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पाया कि गंभीर स्लीप एपनिया वाले लगभग एक तिहाई पुरुषों में भी टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम था।
एक अन्य हालिया अध्ययन में युवा, स्वस्थ पुरुषों में, एक सप्ताह की समुचित नींद ना लेने के बाद प्रति रात पांच घंटे तक टेस्टोस्टेरोन का स्तर 10 से 15 प्रतिशत तक कम हो गया था।
शोधकर्ताओं ने पाया कि टेस्टोस्टेरोन के स्तर पर समुचित नींद न होने के प्रभाव विशेष रूप से अगले दिन दोपहर 2:00 बजे से रात 10:00 बजे के बीच स्पष्ट परिलक्षित हो रहे थे।
Exercise | व्यायाम
पुरुषों में कम कामेच्छा के लिए बहुत कम या बहुत अधिक व्यायाम भी जिम्मेदार हो सकता है।
बहुत कम या बिल्कुल भी नहीं व्यायाम करना कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है, जो यौन इच्छा और उत्तेजना को प्रभावित कर सकते हैं।
नियमित व्यायाम करने से मोटापा, उच्च रक्तचाप और टाइप 2 मधुमेह के लिए आपका जोखिम कम हो सकता है, ये सभी कम कामेच्छा से जुड़े हैं। मध्यम व्यायाम रात में कोर्टिसोल के स्तर को कम करने और तनाव को कम करने के लिए जाना जाता है, जो सेक्स ड्राइव को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
दूसरी ओर, अधिक व्यायाम भी यौन स्वास्थ्य को प्रभावित करने के लिए दिखाया गया है। एक अध्ययन में नियमित रूप से तीव्र और लंबे समय तक प्रशिक्षण पुरुषों में कम कामेच्छा से जुड़े थे।
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