कर्क लग्न कुंडली में चंद्र लग्नेश होने के साथ साथ एक कारक गृह होते है । अगर चंद्र बलवान ( डिग्री से भी ताकतवर ) होकर शुभ स्थित हो तो भी अधिकतर फल शुभ ही प्राप्त होते हैं । इस लग्न कुंडली में चंद्र डिग्री में ताकतवर न हो तो इनके शुभ फलों में कमीआती है । ध्यान दें की कारक ग्रह का बलाबल में सुदृढ़ होना और शुभ स्थित होना उत्तम जानना चाहिए और मारक गृह का बलाबल में कमजोर होना उत्तम जानें । कुंडली के उचित विश्लेषण के बाद ही उपाय संबंधी निर्णय लिया जाता है की उक्त ग्रह को रत्न सेबलवान करना है , दान से ग्रह का प्रभाव कम करना है , कुछ तत्वों के जल प्रवाह से ग्रह को शांत करना है या की मंत्र साधना से उक्त ग्रह का आशीर्वाद प्राप्त करके रक्षा प्राप्त करनी है । मंत्र साधना सभी के लिए लाभदायक होती है । यदि चंद्र लग्न कुंडली के 1, 2, 4, 5, 7, 9, 10, 11 में से किसी भाव में स्थित हों तो मोती रत्न धारण किया जा सकता है । आज हम कर्क लग्न की कुंडली के 12 भावों में चंद्र देव के शुभाशुभ प्रभाव को जान्ने का प्रयास के रहे हैं :
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कर्क लग्न – प्रथम भाव में चंद्र – Karka Lagan – Chandra pratham bhav me :
वृष लग्न कुंडली में यदि लग्न में चन्द्रमा हो तो जातक सौम्य प्रवृति का , देखने में आकर्षक , स्वभाव से भावुक होगा । ऐसा जातक कलात्मक , सृजनात्मक प्रवृत्ति का होता है । ये किसी भी समस्या से आसानी से बाहर आ जाते हैं ।
कर्क लग्न – द्वितीय भाव में चंद्र – Karka Lagan – Chandr dwitiya bhav me :
जातक धन अर्जित करता है , परिवार का स्नेह पाता है । कमाल की वाणी होती है । चंद्र महादशा में धन में वृद्धि होती है , जातक का परिवार जातक से प्रसन्न रहता है , रुकावटें दूर होती हैं , मन प्रसन्न रहता है ।
कर्क लग्न – तृतीय भाव में चंद्र – Karka Lagan – Chandra tritiy bhav me :
बहुत परिश्रमी होता है । छोटी बहन का योग बनता है । पिता से मन मुटाव रहता है । ऐसा जातक कुछ स्थितियों में नास्तिक भी हो जाता है ।
कर्क लग्न – चतुर्थ भाव में चन्द्रमा – Karka Lagan – Chandr chaturth bhav me :
जातक भूमि , मकान , वाहन का सुख प्राप्त करता है। जातक का माता से विशेष लगाव रहता है । छाती संबंधी विकार दूर होते हैं , जातक का प्रोफेशन बहुत अच्छा चलता है ।
कर्क लग्न – पंचम भाव में चन्द्रमा – Karka Lagan – Chandr pncham bhav me :
क्यूंकि वृश्चिक चन्द्रमा की नीच राशि है अतः बुद्धि क्षीण होती है , मन डांवाडोल रहता है , निर्णय क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है । बड़े भाइयों बहनो से संबंध मधुर नहीं रहते हैं । जातक रोमांटिक होता / होती है । प्रेम संबंधों में असफलता मिलती है , डिप्रेशनकी स्थिति बनती है ।
कर्क लग्न – षष्टम भाव में चंद्र – Karka Lagan – Chandra shashtm bhav me :
कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है । कई शत्रु खड़े हो जाते हैं , दुर्घटना का भय बना रहता है । मन परेशान रहता है । व्यर्थ का खर्चा करना पड़ता है ।
कर्क लग्न – सप्तम भाव में चंद्र – Karka Lagan – Chandr saptam bhav me :
जातक / जातीका का पति / पत्नी बहुत आकर्षक होते हैं । चन्द्रमा की महादशा में ऐसे जातक को साझेदारी के काम से लाभ प्राप्ति का योग बनता है ।
कर्क लग्न – अष्टम भाव में चन्द्रमा – Karka Lagan – Chandr ashtam bhav me :
अष्टम भाव होने से जातक के हर काम में रुकावट आती है , परिश्रम का फल नहीं मिलता और मानसिक परेशानियां बढ़ती हैं । कभी कभी जातक डिप्रेशन का शिकार हो जाता है । मनोचिकित्सक की सहायता लेनी पड़ सकती है ।
कर्क लग्न – नवम भाव में चन्द्रमा – Karka Lagan – Chander nvm bhav me :
जातक आस्तिक , पितृ भक्त , छोटे भाई बहन का ध्यान रखने वाला होता है । विदेश यात्रा करके भी लाभ प्राप्ति का योग बनता है ।
कर्क लग्न – दशम भाव में चन्द्रमा – Karka Lagan – Chandra dasham bhav me :
जातक का प्रोफेशन बहुत अच्छा चलता है । छाती संबंधी विकार दूर होते हैं , जातक भूमि , मकान , वाहन का सुख प्राप्त करता है। ऐसे जातक का माता से विशेष लगाव रहता है ।
कर्क लग्न – एकादश भाव में चन्द्रमा – Karka Lagan – Chandr ekaadash bhav me :
यहां स्थित होने पर बड़े भाई बहनो का सहयोग मिलता है । कहीं न कहीं से लाभ प्राप्त होता रहता है । सुंदर पुत्री प्राप्ति का योग बनता है ।
कर्क लग्न – द्वादश भाव में चन्द्रमा – Karka Lagan – Chandra dwadash bhav me :
मन में कोई न कोई चिंता लगातार बनी रहती है । कोर्ट केस , हॉस्पिटल में खर्चा होता है । दुर्घटना का भय बना रहता है । चंद्र की महादशा में विदेश सेटलमेंट हो सकती है ।
कृपया ध्यान दें चन्द्रमा के फलों में बलाबल के अनुसार कमी या वृद्धि जाननी चाहिए । कुंडली का उचित विश्लेषण करवाने के उपरान्त ही किसी उपाय को अपनाएँ ।