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हाथ किस तरह देखें ? | How To Read Hand According to Palmistry
Hast Rekha Vigyan : हाथ देखने वाले (Palmistry Reader) को चाहिए कि हाथ देखने वाले व्यक्ति के सामने इस तरह बैठे कि जातक के हाथ पर अच्छी तरह रोशनी पड़ सकें । क्योंकि रोशनी जितनी अधिक और अच्छी होगी, हाथ की रेखाऐं उतनी आसानी से देखी जा सकती हैं। जब हाथ देखा जा रहा हो, तब वहाँ तीसरे व्यक्ति का होना वर्जित हैं। क्योंकि वह अचानक कोई भी सवाल करके आप के काम में बाधा उत्पन्न कर सकता हैं। फिर भी बिन्दु मत के अनुसार सूर्योदय के समय या उसके तुरन्त बाद हाथ देखने के लिए सबसे अच्छा समय होता है। क्योंकि दिन की थकावट के बाद शाम की अपेक्षा, प्रात: काल हाथ में रक्त का संचार अधिक होता है।
हाथ देखते समय निम्न बातों को देख्ना चाहिए–
1.हाथ की बनावट किस श्रेणी की है ?
2. अंगुलियां हाथ की बनावट समान हैं या असमान ?
3 पहले बाया हाथ देखना चाहिए।
4.फिर दाहिना।
5.फिर यह देखना चाहिए कि बायें हाथ से दाहिने हाथ में कितना अन्तर हो गया हैं।
6.फलादेश के लिए दाहिने हाथ को ही आधार मानना चाहिए।
जिस हाथ की परीक्षा की जा रही हो, उस हाथ को परीक्षक को खुद पकड़कर उस रेखा को दबाना चाहिए जिस रेखा की परीक्षा की जा रही हैं। ऐसा करने से उसमें रक्त संचार तीव्र हो जाता है और उस रेखा या चिहृ के परिवर्तन के लक्षण भी स्पष्ट हो जाते हैं।
निम्न भागों की परीक्षा नितान्त आवश्यक है
करतल, करपृष्ठ, नाखून, त्वचा, रंग अंगुलिया, अंगूठा और मणिबंध ।
सर्वप्रथम अंगूठा देखना चाहिए
- वह लम्बा है या छोटा है ?
- इसका विकसन कैसा है ?
- इच्छा-शक्ति का पर्व दृढ़ है या लचीला ?
- वह बली या निर्बल ?
फिर करतल की ओर ध्यान देना चाहिए
- यह देखिए की वह कठोर है या मुलायम, पिलपिला है।
इसके बाद अंगुलियों पर आइए
- देखिए करतल से उनका अनुपात क्या है ?
- ये लम्बी हैं या छोटी हैं ?
- उनकी परीक्षा करके यह देखिए कि किस श्रेणी की है ?
अब नाखून देखिये
- उनसे यह जानने का प्रयत्न कीजिए कि स्वभाव और स्वास्थ्य के सम्बन्ध में ये क्या व्यक्त करते हैं।
अन्त में सारे हाथ पर एक तीखी नजर डालिये । यह करने के पश्चात् ग्रह क्षेत्रों की ओर चलिये। यह मालूम कीजिए कि कौन-से ग्रह क्षेत्र प्रमुख रूप से स्पष्ट हैं। गृह क्षेत्रों के बाद रेखाओं को देखिए। आमतौर से परीक्षा जीवन रेखा या स्वास्थ्य रेखा से आरम्भ की जाती है। फिर इसके बाद शीर्ष रेखा, भाग्य रेखा, ह्दय रेखा आदि पर ध्यान देना चाहिए । परीक्षक की हैसियत से जो भी कहें, सच कहें। और साथ ही एक बात का ध्यान भी रखें कि जातक को जो भी कहें, ऐसा न कहें कि सहा उसे कोई गहरा आघात लगे।