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नागपंचमी – नागराज की पूजा करने से मिलेगी कालसर्प दोष से मुक्ति …

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नाग पंचमी – Nag Panchami 

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। जहां सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को उत्तर भारत में नाग पूजा की जाती है, वहीं दक्षिण भारत में ऐसा ही पर्व कृष्ण पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में नाग पंचमी का अत्यंत महत्व माना जाता है। एक मान्यता के अनुसार इस दिन सर्पों के 12 स्वरूपों की पूजा की जाती है, और दूध चढ़ाया जाता है। भगवान शिव को सर्प अत्यंत प्रिय हैं इसीलिए उनके प्रिय माह सावन में नाग पंचमी का त्योहार आता है जिसे श्रद्घा पूर्वक विधि विधान से मनाने पर भोलेनाथ प्रसन्न हो कर अपनी कृपा बरसाते हैं।

नाग पंचमी कब है

इस वर्ष 2021 में नाग पंचमी 13 अगस्त को शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी।

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नाग पंचमी क्यों मनाई जाती है

भविष्य पुराण के अनुसार सावन महीने की पंचमी नाग देवता को समर्पित है यही कारण है कि इसे नागपंचमी कहते हैं पौराणिक कथा के अनुसार सावन महीने की शुक्ल पक्ष पंचमी को भगवान श्री कृष्ण ने वृदांवन में नाग को हराकर लोगों का जीवन बचा लिया था श्री कृष्ण भगवान ने सांप के फन पर नृत्य किया, जिसके बाद वह नथैया कहलाये, एक और पौराणिक कथा भी है जिसके अनुसार इस दिन सृष्टि रचयिता ब्रह्रमा जी ने अपनी कृपा से शेषनाग को अलंकृत किया था पृथ्वी का भार धारण करने के बाद लोगों ने नाग देवता की पूजा करनी शुरू कर दी, तभी से यह परंपरा चली आ रही है|

नागपंचमी पूजन और सर्पदोष से मुक्ति

मान्यताओं के अनुसार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को नागपंचमी के दिन व्रत भी रखा जाता है, व्रत के बारे में गरूण पुराण में लिखा है कि व्रत रखने वाले को मिट्टी या आटे के सांप बनाकर उन्हें अलग-अलग रंगो से सजाना चाहिए, सजाने के बाद फूल, खीर, दूध, दीप आदि से उनकी पूजा करें, क्योंकि नाग देवता को पंचम तिथि का स्वामी माना जाता है पूजा के बाद भुने हुये चने और जौ को प्रसाद के रूप में बांट दें|

जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष है उन लोगों को इस दिन नाग देवता की पूजा करनी चाहिए, इस दिन पूजा करने से कुंडली का यह दोष समाप्त होता है |

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नाग पंचमी व्रत विधान

नाग पंचमी सावन की शुक्ल पंचमी को मनाई जाती हैं, उस समय कई लोग सावन के व्रत करते हैं. जिसमें कई लोग धन धान्य की ईच्छा से नाग पंचमी का व्रत करते हैं. इस दिन नाग देवता के मंदिर में श्री फल चढ़ाया जाता हैं. ‘ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा’ श्लोक का उच्चारण कर सर्प का जहर उतारा जाता हैं, और सर्प के प्रकोप से बचने के लिए नाग पंचमी की पूजा की जाती हैं |

नागपंचमी पर नाग पूजन के मंत्र 

मंत्र 1 – ॐ भुजंगेशाय विद्महे, सर्पराजाय धीमहि, तन्नो नाग: प्रचोदयात्।।

मंत्र 2 – ‘सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथ्वीतले। ये च हेलिमरीचिस्था ये न्तरे दिवि संस्थिता:।। ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:। ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।’

अर्थात् – संपूर्ण आकाश, पृथ्वी, स्वर्ग, सरोवर-तालाबों, नल-कूप, सूर्य किरणें आदि जहां-जहां भी नाग देवता विराजमान है। वे सभी हमारे दुखों को दूर कर हमें सुख-शांतिपूर्वक जीवन दें। उन सभी को हमारी ओर से बारम्बार प्रणाम है | 

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व पर प्रमुख नाग मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है और भक्त नागदेवता के दर्शन व पूजा करते हैं। सिर्फ मंदिरों में ही नहीं बल्कि घर-घर में इस दिन नागदेवता की पूजा करने का विधान है।

ऐसी मान्यता है कि जो भी इस दिन श्रद्धा व भक्ति से नागदेवता का पूजन करता है उसे व उसके परिवार को कभी भी सर्प भय नहीं होता।  इस दिन नागदेवता की पूजा किस प्रकार करें, इसकी विधि इस प्रकार है~

नागपंचमी पूजन विधि

नागपंचमी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद सबसे पहले भगवान शंकर का ध्यान करें इसके बाद नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा (सोने, चांदी या तांबे से निर्मित) के सामने यह मंत्र बोलें –

अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शंखपाल धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात:काले विशेषत:।।
तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।।

इसके बाद पूजा व उपवास का संकल्प लें। नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा को दूध से स्नान करवाएं। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराकर गंध, फूल, धूप, दीप से पूजा करें व सफेद मिठाई का भोग लगाएं। यह प्रार्थना करें –

सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले।।
ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।

प्रार्थना के बाद नाग गायत्री मंत्र का जप करें

ॐ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात्।

इसके बाद सर्प सूक्त का पाठ करें

ब्रह्मलोकुषु ये सर्पा: शेषनाग पुरोगमा:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासुकि प्रमुखादय:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
कद्रवेयाश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
इंद्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखादय:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखादय:

यह भी पढ़े नाग पंचमी कथा

नाग पंचमी 2021 तिथि व पूजा मुहूर्त

  • नाग पंचमी तिथि : 13 अगस्त 2021, शुक्रवार
  • पूजा मुहूर्त : सुबह 05 बजकर 49 मिनट से 08 बजकर 28 मिनट तक (13 अगस्त 2021)
  • पंचमी तिथि प्रारंभ : 12 अगस्त 2021 को दोपहर 03 बजकर 24 मिनट से
  • पंचमी तिथि समाप्ति : 13 अगस्त 2021 को दोपहर 01 बजकर 42 मिनट तक

इस नाग पंचमी बन रहा है ये संयोग

इस नाग पंचमी गजब का संयोग बन रहा है। क्योंकि इस दिन साध्य योग  दोपहर 01 बजकर 47 मिनट तक रहेगा, जो कि साधक के लिए काफी विशेष महत्व रखता है। इस योग को ज्योतिष में काफी महत्व दिया गया है। इसके बाद शुभ योग  लग जाएगा, जो कि अपने नाम से ही शुभ है। साथ ही इस तिथि में हस्त व चित्रा नक्षत्र  रहना वाला है।

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