मेरे मन की शहनाई,
रो रोकर तुझे पुकारे,
आजा रे कन्हैया,
आजा रे।
कभी ये बजा करती थी,
अपनी ही धुन में,
खिलते थे फूल मेरे,
मन उपवन में,
सुर भी आज पड़े हैं मध्यम,
ये सारे के सारे,
आजा रे कन्हैया,
आजा रे।
आज बज रही है ये तो,
जग के इशारो पे,
तुझ पर असर नहीं होगा,
इसकी पुकारों से,
कोई ख़ुशी कोई गम के,
करता इसे ईशारे,
आजा रे कन्हैया,
आजा रे।
गाती रही है ये तो,
गीत बेबसी के,
गायेगी कब ये मोहन,
गीत ये ख़ुशी के,
बाट उडीके तेरी संजू,
हर दिन साँझ सकारे,
आजा रे कन्हैया,
आजा रे।
मेरे मन की शहनाई,
रो रोकर तुझे पुकारे,
आजा रे कन्हैया,
आजा रे।
मेरे मन की शहनाई,
रो रोकर तुझे पुकारे,
आजा रे कन्हैया,
आजा रे।