आज की हमारी चर्चा का केंद्र अश्लेषा नक्षत्र है । यह आकाशमण्डल में मौजूद नौवां नक्षत्र है जो १०६.४० डिग्री से लेकर १२० डिग्री तक गति करता है । अश्लेषा नक्षत्र को अहि, भुजंग और सर्प नाम से भी जाना जाता है । अश्लेषा नक्षत्र के स्वामी बुद्ध देव, नक्षत्र देव सर्प और राशि स्वामी चंद्र तथा सूर्य देव हैं । यदि आपके कोई सवाल हैं अथवा आप हमें कोई सुझाव देना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट ( YourAstrologyGuru.Com ) पर विज़िट कर सकते हैं । आपके प्रश्नों के यथासंभव समाधान के लिए हम वचनबद्ध हैं ।
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अश्लेषा नक्षत्र वैदिक ज्योतिष में – Ashlesha Nakshatra in Vedic Astrology :
अश्लेषा नक्षत्र पांच तारों से मिलकर बनता है । इसकी आकृति कुंडली मारकर बैठे हुए सांप की तरह प्रतीत होती है । इस नक्षत्र को अहि, भुजंग और सर्प नाम से भी जाना जाता है । अश्लेषा नक्षत्र के स्वामी बुध हैं और यह नक्षत्र १६.४० डिग्री से ३० डिग्री कर्क राशि में गति करता है । इस नक्षत्र के देवता सर्प हैं । इसलिए अश्लेषा नक्षत्र के जातकों के जीवन पर बुद्ध व् चंद्र का प्रत्यक्ष प्रभाव देखा जा सकता है ।
- नक्षत्र स्वामी : शनि
- नक्षत्र देव : सर्प
- राशि स्वामी : चंद्र
- विंशोत्तरी दशा स्वामी : शनि
- चरण अक्षर : डी, डु, डे, डो
- वर्ण : शूद्र
- गण : राक्षस
- योनि : मार्जार ( बिल्ला )
- पक्षी : उल्लू
- नाड़ी : अन्त्य
- तत्व : जल
- प्रथम चरण : गुरु
- द्वितीय चरण : शनि
- तृतीय चरण : शनि
- चतुर्थ चरण : गुरु
- वृक्ष : नागकेसर या नागचम्पा
- बीज मंत्र : ॐ खं, ॐ गं
अश्लेषा नक्षत्र जातक की कुछ विशेषताएं व् जीवन- Ashlesha Nakshatra Jatak Characteristics & Life:
अश्लेषा नक्षत्र के जातक बहुत तीक्ष्ण बुद्धि के स्वामी, निरंतर उन्नतिशील, दूसरों के मन की भांप लेने वाले, अपने काम से काम रखने वाले, अत्यंत क्रोधी स्वभाव के कहे जा सकते हैं । ये किसी के काम में हस्तक्षेप नहीं करते और अपने कार्य में भी किसी का हस्तक्षेप पसंद नहीं करते । इनसे सम्बन्ध बनाये रखना या इनको हैंडल कतरना सबके बस की बात ही नहीं है । खतरा महसूस होने पर ये जानलेवा हमला करते हैं । इनकी वाक्शक्ति गजब की होती है और आँखें भी बहुत आकर्षक होती हैं । इनमे खतरे को समय रहते भांप लेने की दूरदृष्टि होती है । परिस्थितिनुसार अपने ही वचन से किनारा कर लेते हैं । इनको किसी का साथ मिले न मिले भाई का साथ हमेशा मिलता है । अश्लेषा नक्षत्र के जातक समाज में सफल, उन्नति की और अग्रसर, प्रतिष्ठित व् धनवान होते हैं ।
इस नक्षत्र का सम्बन्ध सर्प से भी है और विष से भी । यह मुख्य वजह है की ऐसे जातक को किसी भी किस्म के नशे से बचना चाहिए अन्यथा ये अनजानी समस्याओं से घिर सकते हैं । अश्लेषा नक्षत्र में जन्मे जातक बहुत बुद्धिमान होते हैं, समझदार के लिए इशारा काफी है ।
अश्लेषा नक्षत्र के जातक/ जातिका की मैरिड लाइफ Ashlesha Nakshatra jatak/jatika married life :
इस नक्षत्र के जातक का वैवाहिक जीवन सुखी नहीं कहा जा सकता है इसका मुख्य कारण इनका क्रोध ही है । अश्लेषा नक्षत्र की जातिकाएँ लज्जाशील होने के साथ साथ थोड़ी झगड़ालू प्रवृत्ति की भी होती हैं, लेकिन यदि ये आपसे प्रेम करती हैं तो जीवनभर आपका साथ निभाएंगी ।
अश्लेषा नक्षत्र जातक का स्वास्थ्य Ashlesha Nakshatra jaataka health :
अश्लेषा नक्षत्र में जन्मे जातक को सर्दी-जुकाम, कफ, वायु रोग अथवा पीलिया रोग हो सकते हैं । अधिकतर जातकों के घुटनों में दर्द रहता है और विटामिन बी की कमी से होने वाली बीमारी से पीड़ित रहने की सम्भावना बनती है ।
अश्लेषा नक्षत्र जातक शिक्षा व् व्यवसाय – Ashlesha Nakshatra jatak Education & business :
सर्वप्रथम धर्म से सम्बंधित प्रवक्ता हो सकते हैं । अध्यापक हो सकते हैं । ऐसे जातक उच्च श्रेणी के डॉक्टर , वैज्ञानिक या अनुसंधानकर्ता भी होते हैं । आपमें एक अच्छे लेखक के गुण होते हैं और आप बेहतरीन लेखक होते भी हैं । आप सफल अभिनेता हो सकते हैं। कला अथवा वाणिज्य दोनों ही क्षत्रों में ऊतम प्रदर्शन करते हैं । व्यवसाय में अधिक सफल होते हैं। अश्लेषा नक्षत्र के जातक खूब तरक्की करते हैं और धन धन्य से संपन्न व् समाज में प्रतिष्ठित होते हैं ।
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