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Svadhisthana Chakra | स्वाधिष्ठान चक्र

Svadhisthana Chakra | स्वाधिष्ठान चक्र

दूसरा चक्र, जिसे स्वाधिष्ठान चक्र ( Svadhisthana Chakra) कहा जाता है, नारंगी रंग से जुड़ा हुआ है, और निचले पेट और आंतरिक श्रोणि में स्थित होता है। “स्वाधिष्ठान” शब्द अपने स्वयं के निवास का अनुवाद करता है।  प्राचीन समय से मानव जीवन में योग और अध्यात्म के क्षेत्र में शरीर के ऊर्जा केंद्रों के रूप […]

Anahata chakra Reveal | अनाहत चक्र का भेद

Anahata chakra Reveal | अनाहत चक्र का भेद

हमारे शरीर में अनाहत चक्र (Anahata chakra ) 7 चक्रों में से सबसे प्रभावशाली ऊर्जा केंद्र होता होता है। शुद्ध प्रेम के माध्यम से देवत्व की खोज इस चौथे चक्र को प्रेरित करती है। स्वतंत्र रूप से प्राप्त करने और देने के लिए हृदय प्रणाली को खोलना हमारे हृदय चक्र द्वारा नियंत्रित होता है। संस्कृत भाषा […]

Sex Bonding in Relationship

Sex Bonding in Relationship

मानव जीवन में यौन भावना ( Sex ) और संबंधो का अत्यंत महत्व है। जिस प्रकार हमें भूख और प्यास लगती है। उसी प्रकार हमारी प्रमुख शारीरिक आवश्यकताओं में से एक आवश्यकता हमारी यौन इच्छाओं की संतुष्टि भी होती है। ज्योतिष में जातक के जीवन का समग्र अध्ययन करते है। उस समय इस पक्ष को […]

Pyar Bhara Sath | प्यार भरा साथ

Pyar Bhara Sath | प्यार भरा साथ

मानव इतिहास में प्राचीन समय से हम लोग अपने आने वाले भविष्य को जानने और समझने के लिए ज्योतिष शास्त्र का सहारा लेते आये हैं।  विशेष रूप से जब हम समाज की सबसे ज़रूरी परंपरा विवाह संस्कार की बात करते है, तो भारतीय समाज में ज्योतिष का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। जब […]

Jane Vivah ki Pratha क्यों जरुरी है विवाह-By Your Astrology Guru

Jane Vivah ki Pratha | क्यों जरुरी है विवाह

विवाह ( Vivah ) हमारे सामाजिक जीवन की एक ऐसी परंपरा है। जिसमे दो लोगों को एक सामाजिक बंधन में बांधा जाता है। आमतौर पर यह एक ऐसी संस्था है, जिसमें

Why Navratna so precious अनमोल नवरत्न

Why Navratna so precious | अनमोल नवरत्न

विश्व की प्रत्येक सभ्यता में रत्नो का विशेष महत्त्व रहा है। सभी में नवरत्न (Navratna) को श्रेष्ठ और चमत्कारिक गुणों से युक्त माना गया है। प्रत्येक रत्न एक गृह विशेष और रंग का प्रतिनिधित्व करता है। इनका प्रयोग शत्रु पर विजय के लिए तो कही स्वास्थ लाभ के लिये, यशश्वी संतान तो कही ग्रहो की […]

Magic of Yantra | यंत्र का जादू

Magic of Yantra | यंत्र का जादू

जिस प्रकार कोई विधुत परिपथ का नक़्शा ( सर्किट ) उसके प्रमुख अवयव एवं उससे जुड़े अन्य अवयवों की स्थिति और संबंध दर्शाता है। उसी प्रकार यंत्र ( Yantra ) भी जिस शक्ति को आह्वाहन करना चाहते है, उसकी ब्रम्हाण्डीय स्थिति और उससे जुडी अन्य सहायक शक्तियों का रेखांकन होता है। जिसमें रेखाओं और वृत्तों […]

Chamatkarik Shri Yantra श्री यंत्र

Chamatkarik Shri Yantra | श्री यंत्र

श्री यंत्र ( Shri Yantra ) में सभी देवताओं की दिव्य अभिव्यक्ति और चमत्कारिक शक्ति समाहित होती है। इसे ब्रह्मांड के निर्माता भगवान ब्रह्मा द्वारा धरती पर लाया हुआ बताया जाता है। इसी तरह यह सभी देवी-देवताओं के दिव्य प्रतिबिंब के साथ पूरे ब्रह्मांड की दिव्यता को दर्शाता है। इसी तरह इस पर भूमि पर सभी […]

Kuber Yantra for Money | कुबेर यंत्र

Kuber Yantra for Money | कुबेर यंत्र

कुबेर को धन के देवता के रूप में पूजा जाता हैं, और पूरी दुनिया में फैले सभी समृद्धि के दिव्य उदय का स्रोत भी उन्ही को कहा जाता हैं। उन्हें धन का निर्माता और समृद्धि और सभी भौतिकवादी संतुष्टि का दिव्य दाता कहा जा सकता है। वह सभी रत्नों और सोने का वास्तविक स्वामी कहा […]

जाने माला के प्रकार, माला जपने का सही तरीका, नियम और फायदे-By Your Astrology Guru

मेष लग्न की कुंडली में मंगल – Mesh Lagn Kundali me Mangal (Mars)

आज हम मेष लग्न की कुंडली के बारे में विस्तार से जान्ने का प्रयास करेंगे । हम जानेंगे की मेष लग्न की कुंडली में 12 भावों में मंगल कैसे फल प्रदान करते हैं । मंगल प्रथम और अष्टम भाव का स्वामी होता है । यह लग्नेश और अष्टमेश होने से जातक के रूप, चिन्ह, जाति, … Continue reading

जाने माला के प्रकार, माला जपने का सही तरीका, नियम और फायदे-By Your Astrology Guru

मेष लग्न की कुंडली में शुक्र – Mesh Lagn Kundali me Shukr (Venus)

आज हम मेष लग्न की कुंडली में शुक्र के बारे में विस्तार से जान्ने का प्रयास करेंगे । हम जानेंगे की मेष लग्न की कुंडली में 12 भावों में शुक्र कैसे फल प्रदान करतेहैं । मेष लग्न कुंडली में शुक्र द्वितीय और सप्तम भाव का स्वामी होने से एक मारक गृह बनता है । अतः … Continue reading

जाने माला के प्रकार, माला जपने का सही तरीका, नियम और फायदे-By Your Astrology Guru

मेष लग्न की कुंडली में गुरु – Mesh Lagn Kundali me Guru (Jupiter)

मेष लग्न कुंडली में देव गुरु वृहस्पति नवमेश , द्वादशेश होते हैं । देव लग्न की कुंडली के त्रिकोण में देव गुरु की मूल राशि आती है । अतः इस लग्न कुंडली में गुरुएक कारक गृह हैं । ऐसी स्थिति में गुरु जिस भाव में स्थित होते हैं , और जिस भाव से दृष्टि संबंध … Continue reading

जाने माला के प्रकार, माला जपने का सही तरीका, नियम और फायदे-By Your Astrology Guru

मेष लग्न की कुंडली में चंद्र – Mesh Lagn Kundali me Chandra (Moon)

मेष लग्न कुंडली में चंद्र चतुर्थ भाव का स्वामी होने से एक कारक गृह बनता है । अतः ऐसी स्थिति में चंद्र जिस भाव में जाएगा और जिस भाव को देखेगा उन भावोंसे सम्बंधित फलों को सकारात्मक तरीके से प्रभावित करेगा और उनमे बढ़ोतरी करेगा । मेष लग्न की कुंडली में अगर चंद्र बलवान ( … Continue reading

जाने माला के प्रकार, माला जपने का सही तरीका, नियम और फायदे-By Your Astrology Guru

मेष लग्न की कुंडली में सूर्य – Mesh Lagn Kundali me Surya (Sun)

भारतीय पौराणिक मान्यताओं में सूर्य को एक आत्म कारक देव गृह माना गया है । इन्हें ऐसे देव गृह कहा जाता है जो दृश्य हैं , जिसे हम प्रत्यक्ष देख सकते हैं । सूर्य देव शरीर में आत्मा , हड्डियों , दिल व् आँखों के कारक कहे जाते हैं । मेष लग्न कुंडली में सूर्य … Continue reading

जाने माला के प्रकार, माला जपने का सही तरीका, नियम और फायदे-By Your Astrology Guru

मेष लग्न की कुंडली में राहु – Mesh Lagn Kundali me Rahu :

वैदिक ज्योतिष में राहु को एक पापी, क्रूर, छाया गृह के रूप में देखा जाता है । अपनी महादशा में राहु एक के बाद एक चौंकाने वाले परिणाम दे सकते हैं । इनका अपना कोई घर नहीं होता । इसलिए राहु देवता जिस घर या राशि में जाते हैं उसके अनुरूप ही परिणाम देते हैं … Continue reading

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