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Swara shastra vigyan | स्वर शास्त्र विज्ञान

Swara shastra vigyan | स्वर शास्त्र विज्ञान

स्वर विज्ञान (Swara shastra vigyan) के अनुसार स्वरोदय नाक के छिद्र से ग्रहण किया जाने वाला श्वास है। जो वायु के रूप में होता है। श्वास ही जीव का प्राण है, और इसी श्वास को स्वर कहा जाता है। स्वर के चलने की क्रिया को उदय होना मानकर स्वरोदय कहा गया है तथा विज्ञान, जिसमें […]

Holi holika dahan utsav | होली होलिका दहन

Holi holika dahan utsav | होली होलिका दहन

विशेष रूप से मध्य भारत में इस उत्सव (Holi holika dahan) का विशेष महत्व है। होली के त्यौहार के साथ भारत में फागुन ऋतु का स्वागत रंगों एवं हर्षोल्लास से किया जाता है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है, तथा उसके दुसरे दिन एक दुसरे को रंग लगाकर लोग अपनी ख़ुशी को […]

Swara yoga healing | स्वर योग से रोग निवारण

Swara yoga healing | स्वर योग से रोग निवारण

शरीर में टूटन के साथ दर्द प्रारम्भ होता है, जिससे हमे बुखार आने का अनुमान हो जाता है। जिस प्रकार छीको का आना जुकाम होने का परिचायक होता है। ऐसे लक्षणों के प्रगट होने पर रोग विशेष के आक्रमण की आशंका होती है। शारीरिक रोग इस बात के चिह्न हैं, कि शरीर में कहीं कुछ […]

स्वर योग से मनचाही संतान उत्पन्न करना

स्वर योग से मनचाही संतान उत्पन्न करना

साधारणत: स्त्री के रजस्वला होने के चौथे दिन से लेकर सोलहवें दिन तक गर्भाधान स्वर योग से मनचाही संतान के लिए उत्तम समझा जाता है। इसमें उत्तरोत्तर दिन ठीक हैं। प्रथम तीन रातें, अष्टम, एकादशी, त्रयोदशी, अमावस्या और पूर्णिमा वर्जित हैं। शास्त्रकारों का मत है कि रजस्वला होने से चौथी रात्रि में गर्भ रहने से […]

Tatv gyan se divya drishti swara yoga

Tatv gyan se divya drishti swara yoga

स्वर-योग तत्व ज्ञान से दिव्य दृष्टि ( Tatv gyan se divya drishti ) संबंधी जो ग्रंथ उपलब्ध होते हैं, उनमें प्रश्नोत्तर या भविष्य कथन के संबंध में भी कुछ उल्लेख मिलता है। जिस मनुष्य को स्वर, ज्ञान है, लक्ष्मी उसके चरणों के नीचें रहती है, और उसका शरीर भी सर्वत्र सदा सुखी रहता है। परोक्ष […]

Wind chime for feng shui | विंड चाइम्स

Wind chime for feng shui | विंड चाइम्स

जब भी फेंगशुई की बात होती है, तो सजावट की जिस वस्तु  का ध्यान हमारे दिमाग में सबसे पहले आता है, वो विंड चाइम्स (wind chime) होती है।  इनका प्रयोग घर के बाहर,भीतर दोनों जगह किया जाता है। इनकी ध्वनि किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर लेती है।  विंड चाइम्स का उपयोग करने के […]

Feng shui coins for prosperity | सिक्के

Feng shui coins for prosperity | सिक्के

फेंगशुई एक प्राचीन चीनी कला है, जो आपके घर एवं जीवन में सकारात्मक तथा भाग्यशाली ऊर्जा शामिल करने के लिए सार्थक प्रतीकों का उपयोग करती है। इनमें से एक चिन्ह या साज-सज्जा वस्तु चीनी सिक्के होते है। यदि आप फेंगशुई में रुचि रखते हैं, तो आप इन सिक्कों को लाल धागे या डोरी में बांधकर […]

Feng shui bamboo | बांस का पौधा फेंगशुई कला

Feng shui bamboo | बांस का पौधा फेंगशुई कला

शुभ बांस का पौधा (feng shui bamboo) फेंगशुई कला में अत्यंत महत्व रखता है। क्योंकि भाग्यशाली बांस छोटा होता है, इसे घर के अंदर इस्तेमाल किया जा सकता है। भाग्यशाली बांस असली बांस की तरह दिखता है एवं  इसे एक दूसरे के स्थान पर इस्तेमाल किया जा सकता है।  इसका एक मुख्य कारण इसके एशिया […]

feng shui turtle for office home | कछुआ

feng shui turtle for office home | कछुआ

फेंगशुई में कछुए का प्रयोग आपके घर एवं कार्यालय (feng shui turtle for office home) में सुख -समृद्धि को आकर्षित करने के लिए किया जाता है। किन्तु इसके लिए आपको इसको प्रयोग करने की सही विधि या तरीके का पता होना आवश्यक है।  फेंगशुई में उत्तरीय क्षेत्र में पाया जाने वाला काला कछुआ चार खगोलीय […]

जाने माला के प्रकार, माला जपने का सही तरीका, नियम और फायदे-By Your Astrology Guru

वृश्चिक लग्न की कुंडली में शनि – Vrishchik Lagn Kundali me Shani (Saturn) :

सूर्य-पुत्र शनि मकर और कुम्भ राशि के स्वामी हैं । मेष राशि मंदगामी शनि देव की नीच व् तुला उच्च राशि है । वृश्चिक लग्न कुंडली में मंदगामी शनि तृतीयेश , चतुर्थश होते हैं । अतः मंगल देव केअति शत्रु कहे जाने वाले शनि देव इस लग्न कुंडली में एक सम गृह हैं । इस … Continue reading

जाने माला के प्रकार, माला जपने का सही तरीका, नियम और फायदे-By Your Astrology Guru

सिंह लग्न की कुंडली में केतु – Singh Lagn Kundali me Ketu

वैदिक ज्योतिष में केतु को एक मोक्षकारक पापी , क्रूर , छाया गृह के रूप में देखा जाता है । जहां एक तरफ केतु को आध्यात्मिकता का कारक कहा गया है , वहीं केतु तर्क, बुद्धि, ज्ञान, वैराग्य, कल्पना, अंतर्दृष्टि, मर्मज्ञता, विक्षोभ के भी कारक है। इन्हें मंगल देवता जैसे परिणाम देने वाला भी कहा … Continue reading

जाने माला के प्रकार, माला जपने का सही तरीका, नियम और फायदे-By Your Astrology Guru

कन्या लग्न की कुंडली में केतु – Kanya Lagn Kundali me Ketu

वैदिक ज्योतिष में केतु को एक मोक्षकारक पापी , क्रूर , छाया गृह के रूप में देखा जाता है । जहां एक तरफ केतु को आध्यात्मिकता का कारक कहा गया है , वहीं केतु तर्क, बुद्धि, ज्ञान, वैराग्य, कल्पना, अंतर्दृष्टि, मर्मज्ञता, विक्षोभ के भी कारक है। इन्हें मंगल देवता जैसे परिणाम देने वाला भी कहा … Continue reading

जाने माला के प्रकार, माला जपने का सही तरीका, नियम और फायदे-By Your Astrology Guru

वृश्चिक लग्न की कुंडली में केतु – Vrishchik Lagn Kundali me Ketu

वैदिक ज्योतिष में केतु को एक मोक्षकारक पापी , क्रूर , छाया गृह के रूप में देखा जाता है । जहां एक तरफ केतु को आध्यात्मिकता का कारक कहा गया है , वहीं केतु तर्क, बुद्धि, ज्ञान, वैराग्य, कल्पना, अंतर्दृष्टि, मर्मज्ञता, विक्षोभ के भी कारक है। इन्हें मंगल देवता जैसे परिणाम देने वाला भी कहा … Continue reading

जाने माला के प्रकार, माला जपने का सही तरीका, नियम और फायदे-By Your Astrology Guru

धनु लग्न की कुंडली में केतु – Dhanu Lagn Kundali me Ketu

वैदिक ज्योतिष में केतु को एक मोक्षकारक पापी , क्रूर , छाया गृह के रूप में देखा जाता है । जहां एक तरफ केतु को आध्यात्मिकता का कारक कहा गया है , वहीं केतु तर्क, बुद्धि, ज्ञान, वैराग्य, कल्पना, अंतर्दृष्टि, मर्मज्ञता, विक्षोभ के भी कारक है। इन्हें मंगल देवता जैसे परिणाम देने वाला भी कहा … Continue reading

जाने माला के प्रकार, माला जपने का सही तरीका, नियम और फायदे-By Your Astrology Guru

कुम्भ लग्न की कुंडली में केतु – Kumbh Lagn Kundali me Ketu

वैदिक ज्योतिष में केतु को एक मोक्षकारक पापी , क्रूर , छाया गृह के रूप में देखा जाता है । जहां एक तरफ केतु को आध्यात्मिकता का कारक कहा गया है , वहीं केतु तर्क, बुद्धि, ज्ञान, वैराग्य, कल्पना, अंतर्दृष्टि, मर्मज्ञता, विक्षोभ के भी कारक है। इन्हें मंगल देवता जैसे परिणाम देने वाला भी कहा … Continue reading

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