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जाने माला के प्रकार, माला जपने का सही तरीका, नियम और फायदे-By Your Astrology Guru

वृश्चिक लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – Mahalakshmi yoga Consideration in Scorpio/Vrishchik

वृश्चिक लग्न की कुंडली में चंद्र नवम भाव के स्वामी हैं, एक योगकारक गृह बनते हैं । मंगल लग्नेश हैं और आठवें भाव के स्वामी हैं, इस वजह से मंगल एक अति योगकारक गृह बने । इस प्रकार चंद्र व् मंगल दोनों ही अपनी दशाओं में जातक को अधिकतर शुभ फल ही प्रदान करते हैं … Continue reading

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रोहिणी नक्षत्र ज्योतिष रहस्य – Rohini Nakshatra Vedic Astrology

अभी तक हमने अश्विनी,भरनी और कृतिका नक्षत्र के बारे में जाना । आज की हमारी चर्चा रोहिणी नक्षत्र पर केंद्रित होगी । यदि आपके कोई सवाल हैं अथवा आप हमें कोई सुझाव देना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट ( jyotishhindi.in ) पर विज़िट कर सकते हैं । आपके प्रश्नों के यथासंभव समाधान के लिए … Continue reading

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धनु लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – Mahalakshmi yoga Consideration in Saggitarious/Dhanu

धनु लग्न की कुंडली में चंद्र अष्टम भाव के स्वामी हैं । आप अच्छी तरह जान चुके हैं की आठवां घर त्रिक भाव होता है, शुभ नहीं माना जाता है । इस वजह से चंद्र इस कुंडली में एक मारक गृह बनते हैं । वहीँ मंगल पंचमेश व् द्वादशेश हैं, लग्नेश गुरु के मित्र भी … Continue reading

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पंचमहापुरुष योग – Panchmahapurush Yoga – Panch Mahapurush Yoga

यूंतो जन्मपत्री में अनेक प्रकार के योग बनते हैं जो अपने अपने स्वभाव अनुरूप जातक को सकारात्मक अथवा नकारात्मक परिणाम प्रदान करते हैं, परन्तु इनमे भी कुछ योग बहुत ही महत्वपूर्ण कहे गए हैं । यह योग जातक को मान प्रतिष्ठा तो प्रदान करते ही हैं साथ ही उसे सामाजिक भी बनाते हैं । ऐसा … Continue reading

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मकर लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – Mahalakshmi yoga Consideration in Capricorn/Makar

मकर लग्न की कुंडली में चंद्र सप्तम भाव के स्वामी हैं, लग्नेश शनि के अति शत्रु हैं । इस वजह से चंद्र इस कुंडली में एक मारक गृह माने जाते हैं । वहीँ मंगल चतुर्थेश व् एकादशेश हैं । इस वजह से मकर लग्न की कुंडली में मंगल एक सम गृह कहे जाते हैं । … Continue reading

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कुंडली में पितृ दोष – Kundli me Pitra Dosh in Hindi

ज्योतिष कुंडली में पितृ दोष – Pitra dosh in Vedic Astrology प्रचलित मान्यता के अनुसार यदि परिवार में किसी की अकाल मृत्यु हुयी हो, घर में बड़े बुजुर्गों का अपमान किया गया हो, माता पिता की मृत्यु पर्यन्त उचित ढंग से क्रियाकर्म और श्राद्ध न किया गया हो अथवा वार्षिक श्राद्ध न करने से पितरों … Continue reading

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कुम्भ लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – Mahalakshmi yoga Consideration in Aqquarious/Kumbh

कुम्भ लग्न की कुंडली में चंद्र छठे भाव के स्वामी हैं, लग्नेश शनि के अति शत्रु हैं । इस वजह से चंद्र इस कुंडली में एक मारक गृह माने जाते हैं । वहीँ मंगल तृतीयेश व् दशमेश होकर एक सम गृह गिने जाते हैं । इस लग्न कुंडली में चन्द्रमंगल दोनों ग्रहों की किसी भाव … Continue reading

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ज्योतिष कुंडली में गोचर का अर्थ और महत्व – Janiye Gochar jyotish ke bare me

गोचर क्या है What is gochar गोचर दो शब्दों की संधि है । गो + चर । गो से अर्थ लिया जाता है तारा । इसे हम नक्षत्र या गृह भी कहते हैं । इसी प्रकार चर से अभिप्राय है चलायमान । अतः ग्रहों की निरंतर गतिशीलता को गोचर कहा जाता है । ज्योतिषीय दृष्टि … Continue reading

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मीन लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – Mahalakshmi yoga Consideration in Pisces/Meen

मीन लग्न की कुंडली में चंद्र पंचम भाव के स्वामी हैं, लग्नेश गुरु के अति मित्र हैं । इस वजह से चंद्र इस कुंडली में एक योगकारक गृह जाने जाते हैं । वहीँ मंगल द्वितीयेश व् नवमेश होकर एक सम गृह गिने जाते हैं । इस लग्न कुंडली में चन्द्रमंगल दोनों ग्रहों की शुभ भावों … Continue reading

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ज्योतिष में ग्रहों व् राशियों की दिशा – Direction for Planets & Signs

ज्योतिष में दिशा – Know about Favourable Direction in Jyotish किसी भी जातक की सफलता उसके ग्रहों की दशा और दिशा दोनों पर निर्भर करती है । साधारण तौर पर ग्रहों का कारकत्व मारकत्व, गृह का बल, नवमांश में गृह की स्थिति, चलित, देश, काल, परिस्थिति आदि तथ्यों को ध्यान में रखकर फलादेश कर दिया … Continue reading

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ज्योतिष कुंडली में प्रेम विवाह योग – Love Marriage Yoga in Kundali

ज्योतिष कुंडली में प्रेम विवाह योग – Love Marriage Yoga in Kundali कहा जाता है की जिस हृदय में प्रेम नहीं वो पाषाण है । खुदा की नेमत है प्रेम । यदि आपको प्रेम ही नहीं हुआ तो आपने व्यर्थ ही जीवन गवां दिया । पत्थर में भी फूल खिलाने की क्षमता रखता है प्रेम … Continue reading

मृगशिरा नक्षत्र ज्योतिष रहस्य – Mrigshira Nakshatra Vedic Astrology

अभी तक हमने अश्विनी,भरनी, कृतिका और रोहिणी नक्षत्र के बारे में जाना । आज की हमारी चर्चा मृगशिरा नक्षत्र पर केंद्रित होगी । यदि आपके कोई सवाल हैं अथवा आप हमें कोई सुझाव देना चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट ( jyotishhindi.in ) पर विज़िट कर सकते हैं । आपके प्रश्नों के यथासंभव समाधान के … Continue reading

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आर्द्रा नक्षत्र ज्योतिष रहस्य – Ardra Nakshatra Vedic Astrology

आज की हमारी चर्चा आर्द्रा नक्षत्र पर केंद्रित होगी । यह आकाशमण्डल में मौजूद छठवां नक्षत्र है जो ६६.४० डिग्री से लेकर ८० डिग्री तक गति करता है । आर्द्रा नक्षत्र के स्वामी राहु, नक्षत्र देव शिव (रौद्र रूप ) और राशि स्वामी बुद्ध देव हैं । यदि आपके कोई सवाल हैं अथवा आप हमें … Continue reading

पुष्य नक्षत्र ज्योतिष रहस्य – Pushy Nakshatra Vedic Astrology

आज की हमारी चर्चा पुष्य नक्षत्र पर केंद्रित होगी । यह आकाशमण्डल में मौजूद आठवाँ नक्षत्र है जो ९३.२० डिग्री से लेकर १०६.४० डिग्री तक गति करता है । पुष्य नक्षत्र को तिष्य और अमरेज्य नाम से भी जाना जाता है । पुष्य नक्षत्र के स्वामी शनि देव, नक्षत्र देव अदिति देवी और राशि स्वामी … Continue reading

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वृश्चिक लग्न की कुंडली में बुद्धादित्य योग – Budhaditya yoga Consideration in Scorpio/Vrishchik

वृश्चिक लग्न की जन्मपत्री में किसी भी भाव में बुधादित्य योग नहीं बनता है । इसका मुख्य कारण बुद्ध गृह का अकारक होना होना है । बुद्ध लग्नेश मंगल के अति शत्रु हैं और साथ ही अष्टमेश, एकादशेश भी हैं । अपनी दशाओं में अशुभ फल प्रदान करने के लिए बाध्य है । हाँ यदि … Continue reading

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