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जाने माला के प्रकार, माला जपने का सही तरीका, नियम और फायदे-By Your Astrology Guru

वृश्चिक लग्न की कुंडली में गजकेसरी योग – Gajkesari yoga Consideration in Scorpio/Vrishchik

गजकेसरी योग का निर्माण गुरुचंद्र के योगकारक होकर किसी शुभ भाव में स्थित होने पर होता है । आसान भाषा में गजकेसरी योग की निर्मिति के लिए चंद्र और गुरु दोनों का योगकारक होना, और किसी शुभ भाव में युति बनाकर स्थित होना आवश्यक होता है । दोनों ही ग्रहों में जितना बल होता है … Continue reading

मूल नक्षत्र ज्योतिष रहस्य – Mool Nakshatra Vedic Astrology

आज की हमारी चर्चा मूल नक्षत्र पर केंद्रित है । यह आकाशमण्डल में मौजूद उन्नीसवां नक्षत्र है जो २४० डिग्री से लेकर २५३.२० डिग्री तक गति करता है । इस नक्षत्र को असुर भी कहा जाता है । मूल नक्षत्र के स्वामी केतु, नक्षत्र देवी निरित्ती (निवृत्ती देवी) और राशि स्वामी गुरु हैं । यदि … Continue reading

जाने माला के प्रकार, माला जपने का सही तरीका, नियम और फायदे-By Your Astrology Guru

धनु लग्न की कुंडली में गजकेसरी योग – Gajkesari yoga Consideration in Sagittarius/Dhanu

गुरु व् चंद्र के योगकारक होकर शुभ भाव में स्थित होने से बनता है गजकेसरी योग । गजकेसरी योग की निर्मिति के लिए चंद्र और गुरु दोनों का योगकारक होना, और किसी शुभ भाव में युति बनाकर स्थित होना आवश्यक होता है । दोनों ही ग्रहों में जितना बल होता है उसी के अनुरूप यह … Continue reading

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र ज्योतिष रहस्य – Purva Nakshatra Vedic Astrology

आज की हमारी चर्चा पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र पर केंद्रित है । यह आकाशमण्डल में मौजूद बीसवां नक्षत्र है जो २५३.२० डिग्री से लेकर २६६.४० डिग्री तक गति करता है । इस नक्षत्र को जलम या तोयम भी कहा जाता है । पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के स्वामी शुक्र, नक्षत्र देवता जल और राशि स्वामी गुरु हैं । यदि … Continue reading

उत्तराषाढ़ा नक्षत्र ज्योतिष रहस्य – Uttar Ashadha Nakshatra Vedic Astrology

आज की हमारी चर्चा उत्तराषाढ़ा नक्षत्र पर केंद्रित है । यह आकाशमण्डल में मौजूद इक्कीसवाँ नक्षत्र है जो २६६.४० डिग्री से लेकर २८० डिग्री तक गति करता है । इस नक्षत्र को विश्वम भी कहा जाता है । उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के स्वामी सूर्य, नक्षत्र देवता विश्वदेव और राशि स्वामी गुरु तथा शनि हैं । यदि … Continue reading

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मकर लग्न की कुंडली में गजकेसरी योग – Gajkesari yoga Consideration in Capricorn/Makar

मकर लग्न की जन्मपत्री में चंद्र सप्तमेश होने के साथ साथ लग्नेश शनि के शत्रु भी हैं, एक अकारक गृह गिने जाते हैं । गुरु तृतीयेश, द्वादशेश होकर अकारक गृह बनते हैं । यदि गुरु विपरीत राजयोग बना लें तो छह, आठ या बारहवें भाव में स्थित होकर शुभफलदायक होते हैं, अन्यथा दोनों गृह अपनी … Continue reading

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कुम्भ लग्न की कुंडली में गजकेसरी योग – Gajkesari yoga Consideration in Aquarius/Kumbh

कुम्भ लग्न की जन्मपत्री में चंद्र षष्ठेश ( रोगेश ) होने के साथ साथ लग्नेश शनि के शत्रु भी हैं, एक अकारक गृह गिने जाएंगे । साथ ही गुरु द्वितीयेश, एकादशेश हैं, दो शुभ स्थानों के स्वामी होने की वजह से एक योगकारक गृह बनेंगे । जहाँ गुरु अपनी दशाओं में शुभ फल प्रदान करते … Continue reading

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श्रवण नक्षत्र ज्योतिष रहस्य – Shravana Nakshatra Vedic Astrology

आज की हमारी चर्चा श्रवण नक्षत्र पर केंद्रित है । यह आकाशमण्डल में मौजूद बाइसवां नक्षत्र है जो २८० डिग्री से लेकर २९३.२० डिग्री तक गति करता है । इस नक्षत्र को विष्णु, श्रुति भी कहा जाता है । श्रवण नक्षत्र के स्वामी चंद्र, नक्षत्र देवता विष्णु और राशि स्वामी शनि हैं । यदि आपके … Continue reading

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मीन लग्न की कुंडली में गजकेसरी योग – Gajkesari yoga Consideration in Pisces/Meen

मीन लग्न की जन्मपत्री में गुरु लग्नेश, दशमेश होकर एक योगकारक गृह बनते हैं वहीँ चंद्र त्रिकोण के स्वामी हैं, पंचमेश हैं । एक योगकारक गृह हैं, शुभ फलप्रदायक हैं । दोनों ग्रहों की किसी शुभ भाव में युति से गजकेसरी योग अवश्य बनता है । ध्यान देने योग्य है की चंद्र गुरु में से … Continue reading

धनिष्ठा नक्षत्र ज्योतिष रहस्य – Dhanishtha Nakshatra Vedic Astrology

आज की हमारी चर्चा धनिष्ठा नक्षत्र पर केंद्रित है । यह आकाशमण्डल में मौजूद तेइसवां नक्षत्र है जो २९३.२० डिग्री से लेकर ३०६.४० डिग्री तक गति करता है । इस नक्षत्र को अविहा, वसु भी कहा जाता है । धनिष्ठा नक्षत्र के स्वामी मंगल, नक्षत्र देवता वसु और राशि स्वामी शनि हैं । यदि आपके … Continue reading

Nageshwar Jyotirlinga | नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

Nageshwar Jyotirlinga | नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

हिन्दू आस्था से ओतप्रोत ज्योतिर्लिंग भगवान शिव की शक्तियों को अपने भीतर समाहित किए हुए अपने भक्तों को अपनी और आकर्षित करते है।  “ज्योतिर्लिंग” का शाब्दिक अर्थ है “प्रकाश का लिंग या स्तम्भ ”  इन मंदिरों को शिव की शक्ति पूजा के लिए सबसे शक्तिशाली पूजा स्थल माना जाता है। उन्ही में से एक है […]

Kedarnath Jyotirlinga | केदारनाथ ज्योतिर्लिंग

Kedarnath Jyotirlinga | केदारनाथ ज्योतिर्लिंग

केदारनाथ ( Kedarnath Jyotirlinga ) बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिन्हें हिंदू परंपरा के अनुसार भगवान शिव का विशेष रूप से पवित्र मंदिर माना जाता है। केदारनाथ मंदिर भारतीय राज्य उत्तराखंड में स्थित है।  इसे हिंदुओं के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। मंदिर हिमालय पर्वतमाला में स्थित है, तथा […]

Somnath Jyotirlinga | सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

Somnath Jyotirlinga | सोमनाथ ज्योतिर्लिंग

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग ( Somnath Jyotirlinga ) उन 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिन्हें हिंदू धर्म में भगवान शिव का सबसे पवित्र मंदिर माना जाता है।  सोमनाथ मंदिर पश्चिमी भारतीय राज्य गुजरात में अरब सागर के तट पर वेरावल शहर में स्थित है। इसे भारत के सबसे प्राचीन एवं  समृद्ध मंदिरों में से एक माना […]

Mallikarjuna Jyotirlinga | मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग

Mallikarjuna Jyotirlinga | मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग

भगवान महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से दूसरा स्थान मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग ( Mallikarjuna Jyotirlinga ) का आता है। भगवान शिव की शक्तियों से ओतप्रोत इस ज्योतिर्लिंग में हर वर्ष लाखों भक्त अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करने आते हैं।  “ज्योतिर्लिंग” का शाब्दिक अर्थ है “प्रकाश का लिंग या स्तम्भ ”  इन मंदिरों को शिव की शक्ति […]

Mahakaleshwar jyotirlinga | महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

Mahakaleshwar jyotirlinga | महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग

हम सभी अपनी आस्था एवं विश्वास के आधार पर अपने आराध्य का चयन  करते है,  भारत में हिन्दू धर्म में आस्था रखने वालों की संख्या अनगिनत है।  भारतीय हिन्दुओं के सबसे बड़े आराध्य के रूप में महादेव की पूजा अर्चना का महत्व सबसे अधिक है, क्योंकि उन्हें हर चीज़ की शुरुआत करने तथा अंत के […]

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