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जाने माला के प्रकार, माला जपने का सही तरीका, नियम और फायदे-By Your Astrology Guru

नवग्रह 9 ग्रहों के मंत्र और दान

सूर्य सूर्य तांत्रिक मंत्र – ॐ ह्रां ह्रीं हौं स: सूर्याय नम:।एकाक्षरी बीज मंत्र- ॐ घृणि: सूर्याय नम: जप संख्या- 7000।दान- माणिक्य, गेहूं, धेनु, कमल, गुड़, ताम्र, लाल कपड़े, लाल पुष्प, सुवर्ण। चंद्र चंद्र तांत्रिक मंत्र – ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:’।चंद्र एकाक्षरी मंत्र- ॐ सों सोमाय नम:।जप संख्या- 11,000।दान- वंशपात्र, तंदुल, कपूर, […]

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नौ रत्न और चार उँगली

नव रत्न सामान्य तौर पर ग्राहों-नक्षत्रों के अनुसार ज्योतिष में मात्र नवरत्नों को ही लिया जाता है। इन रत्नों के उपलब्ध न होने पर इनके उपरत्न या समान प्रभावकारी रत्नों का प्रयोग किया जाता है। भारतीय मान्यता के अनुसार कुल 84 रत्न पाए जाते हैं, जिनमें माणिक्य, हीरा, मोती, नीलम, पन्ना, मूँगा, गोमेद, तथा वैदूर्य […]

कौन-कौन से रत्न एक साथ नहीं पहनने चाहिए ?

कौन-कौन से रत्न एक साथ नहीं पहनने चाहिए ?

एक साथ वर्जित रत्न जब मैंने रत्नों के बारे में लिखा तो बहुत से लोगों ने कई अजीब बातें बताई. कोई जन्म तिथि के अनुसार रत्न पहन रहा है, तो कोई शौक से, कोई नीलम और माणिक एक साथ पहन रहा है तो कोई पुखराज और गोमेद, ऐसे ही शत्रु ग्रहों के रत्न लोग पहने […]

रत्न पहनने के लिए दशा-महादशाओं का अध्ययन भी जरूरी है

रत्न पहनने के लिए दशा-महादशाओं का अध्ययन भी जरूरी है

केंद्र या त्रिकोण (1,4,5,7,9,10) के स्वामी की ग्रह महादशा में उस ग्रह का रत्न पहनने से अधिक लाभ मिलता है। आप को रत्न के अनुसार उस ग्रह के लिए निहित वार वाले दिन शुभ घड़ी में रत्न पहना जाता है। पहनने से पहले रत्न को मंत्र जाप करके रत्न को सिद्ध करें, तत्पश्चात इष्ट देव […]

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नवग्रहों से बनने वाले शुभ अशुभ योगों

पंच महापुरूष योगों का ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। ये योग हैं रूचक, भद्र, हंस, मालव्य, शश। जो क्रमशः मंगल, बुध, गुरू, शुक्र व शनि ग्रहों के कारण बनते हैं। मंगल ग्रह के कारण रूचक योग –यदि मंगल अपनी स्वराशि या उच्च राशि में होकर केंद्र में स्थित हो तो “रूचक” नामक योग बनता […]

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रत्न

मनुष्य रत्नों एवं मणियों का प्रयोग आभूषणों, मुकुटों, राज सिंहासनों, महलों की सजावट आदि में प्राचीन काल से करता आया है।आयुर्वेद में इन रत्नों की भस्मों आदि का उपयोग विभिन्न रोगों की चिकित्सा में किया जाता है। अधिकांशतः रत्न खनिज हैं। मुख्यतः रत्नों की संख्या 84 बताई गई है। विभिन्न रत्नों के उपरत्न भी उपलब्ध […]

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कुंडली में कौन से योग उच्च अधिकारी में सफलता दिला सकते हैं

कुंडली में बनने वाले योग ही बताते है कि व्यक्ति की आजीविका का क्षेत्र क्या रहेगा. प्रशासनिक सेवाओं में प्रवेश की लालसा अधिकांश लोगों में रहती है। प्रशासनिक अधिकारी बनकर सफलता पाने के लिए सूर्य, गुरु, मंगल, राहु व चन्द्र आदि ग्रह बली होने चाहिए। यदि कुण्डली में अमात्यकारक ग्रह बली है अर्थात् स्वराशि, उच्च […]

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जन्म कुंडली

जन्मकुंडली के प्रथम भाव से जातक, तीसरे भाव से छोटे भाई-बहन, चैथे भाव से माता, पांचवे भाव से पुत्र, छठे भाव से मामा का सुख, सातवें भाव से पति/पत्नी, दसवें भाव से पिता और ग्यारहवें भाव से बड़े भाई-बहनों का विचार किया जाता है। कुछ ज्योतिष नवें भाव से पिता का विचार करते हैं। जैसे […]

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27 नक्षत्रों के वेद मंत्र

अश्विनी नक्षत्र वेद मंत्र:ॐ अश्विनौ तेजसाचक्षु: प्राणेन सरस्वतीवीर्य्यम वाचेन्द्रो बलेनेन्द्रायदद्युरिन्द्रियम । ॐ अश्विनी कुमाराभ्यो नम: === 5000 भरणी नक्षत्र वेद मंत्र:ॐ यमाय त्वाङ्गिरस्य्ते पितृिमते स्वाहा स्वाहा धर्माय स्वाहा धर्मपित्रे । 10000 कृतिका नक्षत्र वेद मंत्र:ॐ अयमग्नि सहस्रीणो वाजयस्य शान्ति (गुं) वनस्पति: मूर्द्धा कबोरयीणाम् । अग्नये नम: 10000 रोहिणी नक्षत्र वेद मंत्र:ॐ ब्रहमजज्ञानं प्रथमं पुरस्ताद्विसीमत: सूरुचे […]

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27 नक्षत्रों की जानकारी

अश्विनी नक्षत्र: अश्विनी नक्षत्र देवता : अश्विनीकुमार नक्षत्र स्वामी : केतु नक्षत्र आराध्य वृक्ष : कुचला राशी व्याप्ती : ४ हि चरण मेष राशी मे नक्षत्र प्राणी: घोडा नक्षत्र तत्व : वायु नक्षत्र स्वभाव : शुभ वेद मंत्र:ॐ अश्विनौ तेजसाचक्षु: प्राणेन सरस्वती वीर्य्यम वाचेन्द्रो बलेनेन्द्राय दधुरिन्द्रियम । ॐ अश्विनी कुमाराभ्यो नम: । पौराणिक मंत्र:अश्विनी देवते […]

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नौ गृह और उनके तत्व Nine Planets and their Characteristics

ज्योतिषहिंदी.इन ( Jyotishhindi.in ) के विज़िटर्स को ह्रदय से नमन । करीब करीब पिछले १२ वर्षों से हम प्रयासरत हैं की ज्योतिष प्रेमियों को कोई ऐसा प्लेटफार्म उपलब्ध करवाया जाए जहाँ वैदिक ज्योतिष से सम्बंधित जानकारी सरलता से प्राप्त हो सके और ज्योतिष जिज्ञासु सिलसिलेवार तरीके से ज्योतिष की बारीकियां सीख पाएं । हम समय … Continue reading

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गृह और उनके दिशा बल Planets and their Directional Strength

ग्रहों के दिशाबाल के बारे मे विचार करने से पूर्व आपको एक बहुत महत्वपूर्ण बात बताते चलें की भिन्न भिन्न लग्न कुंडलियों में भिन्न भिन्न शुभ अशुभ एवं सम गृह होते हैं । सभी ग्रहों को अलग अलग दिशा में एक ख़ास प्रकार का बल प्राप्त होता है जिसे दिशा बल कहा जाता है । … Continue reading

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नव गृह और उनकी उच्च नीच राशियां Nine planets and their Exalted and Debilitated

जैसा की आप सभी को भली प्रकार से विदित है की एक अच्छा ज्योतिषी बनने के लिए कुछ बेसिक्स की जानकारी परम आवश्यक है । कुछ महत्वपूर्ण बेसिक जानकारी हमने आपके साथ साझा की है और आज हम आपको बताएँगे की किस राशि में कौन सा गृह उच्च स्थिति में आ जाता है या उच्च … Continue reading

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