सूर्योदय से पूर्व दिन में दो प्रहार होते है, ब्रहम मुहूर्त उन्ही दो प्रहर में से पहले प्रहर को कहा जाता है. उसके बाद वाले समय को विष्णु मुहूर्त कहते है. अगर समय की बात की जाये तो जिस वक़्त सुबह होती है लेकिन सूर्य अभी दिखाई नही दे रहा होता है, उस वक़्त हमारी घडी हमे प्रातः के 4:24 से 5:12 का समय दिखाती है, उस समय को ब्रहम मुहूर्त कहते है.
लेख सारिणी
ब्रह्म मुहूर्त में निद्रा का निषेध क्यों ?
उत्तम स्वास्थ्य के लिए, स्वस्थ रहकर सुख से दीर्घ जीवन व्यतीत करने के लिए तथा अकाल मृत्यु से बचने के लिए सदा सूर्याेदय से चार घडी़ पूर्व यानी ब्रह्म-मुहूर्त में ही बिस्तर छोड़ देना चाहिए। श्रुति, स्मृति, नीति और पुराणों आदि में सूर्याेदय से पूर्व सोकर उठना लाभदायक रहता है।
यह भी जरूर पढ़े – ब्रह्म वैवर्त पुराण – श्री कृष्णा को परब्रह्मा और समस्त सृष्टि का संचालक मानने…
आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी ब्रह्म मुहुूर्त में उठने का निर्देश दिया गया है। स्वास्थ मनुष्य अपने जीवन की रक्षा के लिए ब्रह्मा-मुहूर्त में उठे और सबसे पहले दुख का नाश करने के लिए भगवान का स्मरण करे। रामायण के बालकाण्ड़ में लिखा है-
उठे लषण निशि विगत सुनि, अरूणशिखा धुनि कान।
गुरू ते पहले जगतपति, जागे राम सुजान।।
इस दोहे से सिद्ध होता है कि पूर्ण ब्रह्म परम परमेंश्वर प्रभु श्रीराम और उनके अनुज लक्ष्मण भी चार घडी़ रात्रि रहे उठ जाते थे।
प्रातः 4 बजे से 5ः30 बजे तक के समय को ‘ब्रह्म मुहूर्त’ कहा गया है। यह समय वेदाध्ययन, योगाभ्यास और ध्यान आदि आध्यात्मिक क्रियाओं के लिए विशेष उपयोगी हैं। वेद-शास्त्रों में कहा गया है कि ब्रह्म मुहुर्त में जागने वाले व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक रोगों से बचाव होता है। ऐसा व्यक्ति तेजवान होता है।
यह भी जरूर पढ़े – आज्ञा-चक्र (Ajna Chakra) जाग्रत करने की विधि, योगासन, मन्त्र और प्राप्त होने वाली सिद्धिया…
आयुर्वेद के ग्रथों के अनुसार ब्रह्म-मुहूर्त मे बहने वाली पवन चंद्रमा से प्राप्त अमृत कणों से परिपूर्ण होने के कारण स्वास्थ के लिए बेहद लाभ प्रद होती है। इसलिए इसे ‘अमृत बेला ’ भी कहते है। सूर्योदय के साथ ही समूचे वायुमंडल में परिवर्तन हो जाता है जिसके फलस्वरूप् मानसिक एकाग्रता और शांति का ह्मस होता है।
ब्रहम मुहूर्त में क्या करना चाहिए
ब्रहम मुहूर्त में आप वैदिक निति को अपनाते हुए संध्या वंदन कर सकते है क्योकि वैदिक निति से की गई संध्या वंदन को सबसे उचित माना जाता है.
इस मुहूर्त में आपको ध्यान भी करना चाहिए.
प्रार्थना के लिए ये समय बहुत उपयुक्त माना जाता है.
अगर आप विद्यार्थी है तो आप ब्रहम मुहूर्त में अध्ययन जरुर करें, अगर आप ऐसा करते है तो ये आपके लिए बहुत लाभदायी होता है. ये समय अध्ययन के लिए सबसे ज्यादा उत्तम भी माना जाता है.
यह भी जरूर पढ़े – अहोई अष्टमी: इस विधि से करें निर्जला व्रत, जानिए क्या है शुभ मुहूर्त
ब्रहम मुहूर्त में क्या नही करना चाहिए
- आप ब्रहम मुहूर्त में अपने आप को अपने नकारात्मक विचारो से, बहस, वार्तालाप, सम्भोग, नींद, भोजन, यात्रा, या किसी भी प्रकार के अन्य शोर से दूर रखना चाहिए.
- कुछ लोग सुबह सुबह बहुत जोर जोर से आरती या पूजा पाठ करते है. कुछ लोग तो हवन भी करने लगते है जो उचित नही है क्योकि ऐसा करने से वे न सिर्फ खुद को बल्कि दुसरो को भी संकट में डालते है. अगर आप समझदार है तो आप ऐसे लोगो से दूर ही रहने की कोशिश करे.