मोती अलग-अलग प्रकार के पाए जाते हैं:–
मोती, साउथ सी मोती, कैसी मोती, या बसरा मोती, मुक्ता, मोक्तिम, इंदुरत्न, आदि कई नामों से जाना जाता है। मोती रत्न के स्वामी चन्द्र है. इस रत्न को अपने लग्न अनुसार धारण किया जाये तो यह रत्न व्यक्ति को माता सुख, मन, यश, बुद्धि, संपति ओर राज ऎश्वर्य आदि देता है. मोती को मुक्तारत्न के नाम से भी जाना जाता है। मोती रत्न के विषय में एक मान्यता है, कि इस रत्न को जो भी व्यक्ति धारण करता है, उसे लक्ष्मी, लावण्य, वैभव, प्रतिष्ठा और गुरु की प्राप्ति होती है।
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मोती रत्न कौन धारण करें
मोती चन्द्र का रत्न है। और ग्रहों में चन्द्र को मन का स्वामी बनाया गया ह। 12 लग्नों के लिये चन्द्र रत्न मोती धारण करना निम्न रुप से शुभ या अशुभ रहता ह। मोती हो या कोई अन्य रत्न व्यक्ति को अपने लग्न की जांच कराने के बाद ही कोई रत्न धारण करना सर्वथा अनुकुल रहता ह। आईए अलग-अलग लग्नों के लिये मोती को धारण करने के फल जानने का प्रयास करते है।
मेष लग्न–मोती रत्न
मेष लग्न के लिये चन्द्र चतुर्थ भाव के स्वामी ह। इसके साथ ही ये लग्नेश मंगल के मित्र भी है। इसीलिए मेष लग्न के व्यक्तियों के लिये ये विशेष रुप से शुभ हो जाते है। इस लग्न के व्यक्तियों को मानसिक शान्ति, मातृ्सुख, विधा प्राप्ति के लिये मोती रत्न धारण करना चाहिए।
वृषभ लग्न–मोती रत्न
वृ्षभ लग्न के लिये चन्द्र तीसरे भाव के स्वामी है। इस लग्न के व्यक्तियों को यह रत्न कदापि नहीं पहना चाहिए।
मिथुन लग्न–मोती रत्न
मिथुन लग्न के व्यक्तियों के लिये चन्द्र दुसरे भाव यानि धन भाव के स्वामी है। इस लग्न के व्यक्तियों को यह रत्न केवल चन्द्र महादशा / अन्तर्दशा में ही धारण करना चाहिए। दूसरे भाव को मारकेश भी कहा जाता है. इसलिये जहां तक संभव हो इस लग्न के व्यक्तियों को यह रत्न धारण करने से बचना चाहिए।
कर्क लग्नमोती रत्न
इस लग्न के लिये चन्द्र लग्नेश होकर सर्वथा शुभ हो जाते है। इस लग्न के व्यक्तियों को मोती धारण करने से स्वास्थय सुख की प्राप्ति होगी. आयु बढेगी।
सिंह लग्न मोती रत्न
सिंह लग्न में चन्द्र बारहवें भाव के स्वामी है। इसलिये इस लग्न के व्यक्तियों के लिये मोती धारण करना अनुकुल नहीं है।
कन्या लग्न–मोती रत्न
इस लग्न में कर्क राशि एकादश भाव की राशि बनती है। कर्क राशि स्वामी चन्द्र का रत्न मोती कन्या लग्न के व्यक्तियों को केवल चन्द्र महादशा और अन्तर्दशा में ही धारण करना चाहिए. क्योकि चन्द्र और लग्नेश बुध दोनों सम संबन्ध रखते है।
तुला लग्न–मोती रत्न
तुला लग्न के व्यक्तियों को मोती रत्न धारण करने से यश, मान-धर्म, पितृ्सुख और धर्म कार्यो में रुचि देता है।
वृश्चिक लग्न–मोती रत्न
इस लग्न के लिये चन्द्र नवम भाव के स्वामी है। नवम भाव भाग्य भाव है. इसलिये वृ्श्चिक लग्न के लिये मोती सभी रत्नों में सर्वश्रेष्ठ फलकारी रहते है।
धनु लग्न–मोती रत्न
इस लग्न के लिये ये अष्टम भाव के स्वामी है। धनु लग्न के व्यक्ति मोती रत्न कभी भी धारण न करें।
मकर लग्न–मोती रत्न
मकर लग्न के लिये चन्द्र सप्तम भाव है. सप्तम भाव भी मारक भाव है. इस स्थिति में मोती रत्न विशेष परिस्थितियों में ही धारण करना चाहिए. ऎसे में इस रत्न को चन्द्र महादशा में धारण करना चाहिए. जहां तक संभव हो, इस लग्न के लिये नीलम रत्न ही धारण करना चाहिए
कुम्भ लग्न–मोती रत्न
कुम्भ लग्न के लिये चन्द्र छठे भाव के स्वामी है। कुम्भ लग्न के व्यक्ति मोती रत्न कभी भी धारण न करें।
मीन लग्न–मोती रत्न
मीन लग्न के लिये चन्द्र त्रिकोण भाव के स्वामी है. यह भाव शुभ है। इसलिये इस भाव का रत्न धारण करना शुभ रहेगा. इसे धारण करने से व्यक्ति को संतान, विद्धा, बुद्धि का लाभ देते है।
मोती रत्न के साथ क्या पहने
मोती रत्न धारण करने वाला व्यक्ति इसके साथ में माणिक्य, मूंगा और पुखराज या इन्हीं रत्नों के उपरत्न धारण कर सकता है।
मोती रत्न के साथ क्या न पहने
मोती रत्न के साथ कभी भी एक ही समय में हीरा, नीलम या पन्ना धारण नहीं करना चाहिए। इसके अतिरिक्त मोती रत्न के साथ इन्ही रत्नों के उपरत्न धारण करना भी शुभ फलकारी नहीं रहता है।
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मोती रत्न धारण करने से पहले इस बात का सबसे पहले ध्यान रखना चाहिए की रत्न को उसी के नक्षत्र में धारण करना चाहिए । जैसे की मोती को चन्द्र के नक्षत्र में जैसे की रोहिणी, हस्त, श्रवण, में या सोमवार या चन्द्रपुष्य नक्षत्र या कोई पुष्य नक्षत्र में चन्द्र के होरे में धारण करना चाहिए।
सव्वा चार कैरेट से सव्वा आठ कैरेट या रत्ती के बीच मे जो भी वजन का मिले तो पहेन सकते है।
मोती की अंगूठी छोटी उंगली या कनिष्का में या गले में लॉकेट बनाकर धारण करना चाहिए इस बात ध्यान रखना चाहिए उस समय राहु काल ना हो।
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