साईं बाबा (Sai Baba) की ही माया है कि उनके जन्म को लेकर कोई भी पुख्ता प्रमाण मौजूद नहीं है। जब कभी उनके जन्म के सम्बन्ध में कुछ भी पूछा जाता बाबा बड़े ही रहस्य्मय तरीके से टाल जाते थे। प्रचलित मान्यता के अनुसार साईं बाबा का जन्म सन 1835 में महाराष्ट्र के परभणी जिले के पाथरी गांव के भुसारी परिवार में हुआ माना जाता है। प्रचलित धारणाओं से यह जानकारी प्राप्त होती है कि अपने जन्मसमय से पूरे 12 वर्ष तक बाबा अपने पहले गुरु रोशनशाह फकीर के घर पर ही रहे। इसके पश्चात् 1846 से 1854 तक बाबा बैंकुशा के आश्रम में रहे।
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साईं बाबा का जीवन परिचय – Shirdi Sai Baba Ki Jeevani Aur Vichar
शिरडी में प्रथम आगमन – Shirdi Arrival
सन् 1854 में पहली बार बाबा अपनी चिर परिचित मुद्रा में शिरडी (Shirdi) में नीम के वृक्ष के तले बैठे हुए दिखाई दिए। कुछ ही समय पश्चात् किसी अज्ञात कारणवश बाबा शिरडी में दिखाई देना बंद ही गए और करीब चार वर्ष पश्चात् 1858 में चांद पाटिल के संबंधी की शादी में बारात के साथ फिर फिर से शिरडी आ पहुंचे।
इसके बाद जीवनपर्यन्त बाबा शिरड़ी में ही रहे। शिरडी निवासियों ने इस फ़कीर को साईं बाबा नाम से पुकारना शुरू कर दिया। साईं शब्द धार्मिक भिक्षुओं से जुड़ा है और बाबा शब्द भारत में पिता के लिए प्रयुक्त किया जाता है। यानी साईं बाबा को उनके चाहने वाले अपने पिता के समतुल्य मानते रहे हैं।
सबका मालिक एक है – God Is One
साईं बाबा आध्यात्मिक जगत के ऐसे सुनहरे रत्न हैं जिनकी ख्याति आज पूरे विश्व में फ़ैल चुकी है। भारत के महराष्ट्र, उडीसा, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात के साथ साथ करीब समस्त भारत में साईं बाबा को पूजा जाता है। शायद ही ऐसा कोई अन्य संत हो जिसे हिन्दू – और मुसलमान दोनों सम्प्रदायों के लोग एक समान सम्मान से देखते हैं व् इनमे श्रद्धा रखते हैं। “सबका मालिक एक” और “अल्लाह मालिक” शब्द अक्सर बाबा के मुख से सुने जा सकते थे। खंडोबा के एक स्थानीय पुँजारी महालसापति साईं बाबा के पहले भक्त थे। जब बाबा शिरडी आये तो बाबा कि वेश भूषा व्स्था लम्बे बाल देख स्थानीय लोगों ने उन्हें एक मुस्लिम फ़कीर समझा और रहने के लिए एक मस्जिद में स्थान दिया जिसका नाम साईं ने द्वारकामाई रखा। साई कि पैनी दृष्टी में हिन्दू मुस्लिम व् अन्य सभी धर्मो के लोग एक हैं, सभी में एक ही नूर है और “सबका मालिक एक है”।
साईं बाबा के चमत्कार – Sai Baba Miracles
पानी से दिया जलाना – Lighting Lamp With Water
दिवाली का त्यौहार और बाबा के पास दिए जलाने के लिए उपयुक्त सामग्री नहीं थी। अब बनिए भी बाबा को मुफ्त तेल नहीं देना चाहते थे सो झूठ कह दिया कि तेल बचा ही नहीं है। बाबा ज्यों के त्यों बिना कुछ कहे मस्जिद वापिस लौट आये। बाबा को दिए जलाना यूँ भी प्रिय था सो मिटटी के दीयों में पानी भरा और बाती जला दी। कहते हैं कि ये दिए मध्यरात्री तक जलते रहे। जब इसकी सुचना बनियों तक पहुची तो वे बाबा पास आकर क्षमायाचना करने लगे। साई ने सबको माफ़ कर दिया और कभी झूठ न बोलने कि सलाह दी।
बारिश रोकना – Stopping The Rain
एक बार राय बहादुर नाम का व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ साईं बाबा (Sai Baba) के दर्शन के लिए शिरडी आया। जैसे ही वो पति पत्नी बाबा के दर्शन करवापस जाने लगे, मूसलाधार बारिश शुरु हो गयी। जोरो से बिजलिया कडकने लगी और तूफ़ान चलने लगा। साईं बाबा ने प्रार्थना की “हे अल्लाह, बारिश को रोक दो, मेरे बच्चे घर जा रहे है उन्हें शांति से घर जाने दो”। उसके बाद बारिश बंद हो गयी और वो पति-पत्नी सकुशल घर पहुच गये।
डूबती बच्ची को बचाना – Saving A Child From Drowning
एक बार बाबु नामक व्यक्ति की तीन साल की बच्ची कुंवे में गिर गयी, आस पास के सभी लोग घबरा गए। जब कुछ लोग कुएं के समीप पहुंचे तो उन्होंने देखा कि बच्ची हवा में लटक रही है, जैसे किसी अदृश्य हाथ ने उसे पकड़ रखा हो। गाओं वालों ने बच्ची को बहार निकाला। कहते हैं कि साईं बाबा को वो बच्ची बहुत प्यारी थी। वो अक्सर कहा करती थी कि “मै बाबा की बहन हु”। बाबा ने इस छोटी सी बच्ची के प्रेम कि लाज रख्खी और अपनी छोटी बहन को बचा लिया। ॐ साई राम।