लेख सारिणी
गीता जयंती महत्व और कथा – Gita Jayanti
मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है. गीता केवल एक धर्म ग्रंथ ही नहीं, बल्कि यह एक जीवन ग्रंथ भी है, जो हमें पुरुषार्थ की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है. शायद इसी कारण से हजारों साल बाद आज भी यह हमारे बीच प्रासंगिक है.
गीता की उत्पत्ति के इस दिन को गीता जयंती (Gita Jayanti) के तौर पर मनाया जाता है. गीता जयंती के दिन श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ किया जाता है और देशभर में भगवान कृष्ण और गीता की पूजा की जाती है. बता दें, श्रीमद्भगवद्गीता में कुल 18 अध्याय हैं, जिनमें 6 अध्याय कर्मयोग, 6 अध्याय ज्ञानयोग और आखिर के 6 अध्याय भक्तियोग पर आधारित हैं. इसी गीता के अध्यायों से ही श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिए थे.
गीता जयंती कथा – Gita Jayanti Katha
भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत के दौरान कशमकश में फंसे अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता से ही उपदेश दिए. ताकि वह कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को उनके कर्तव्य और कर्म के बारे में राह दिखा सकें. मान्यता के अनुसार कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन अपने विपक्ष में परिवार के लोगों और संबंधियों को देखकर भयभीत हो गए थे. साहस और विश्वास से भरे अर्जुन महायुद्ध का आरम्भ होने से पहले ही युद्ध स्थगित कर रथ पर बैठ जाने लगते हैं.
वो श्री कृष्ण से कहते हैं, ‘मैं युद्ध नहीं करूंगा. मैं पूज्य गुरुजनों तथा संबंधियों को मार कर राज्य का सुख नहीं चाहता, भिक्षान्न खाकर जीवन धारण करना श्रेयस्कर मानता हूं.’ ऐसा सुनकर सारथी बने भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उनके कर्तव्य और कर्म के बारें में बताया. उन्होंने आत्मा-परमात्मा से लेकर धर्म-कर्म से जुड़ी अर्जुन की हर शंका का निदान किया.
भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के बीच हुआ यह संवाद ही श्रीमद्भगवद गीता है. जिस दिन श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया उस दिन मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी थी. इस एकदाशी को मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है. मोक्षदा एकादशी के दिन ही गीता जयंती मनाई जाती है.
गीता जयंती महत्व – Gita Jayanti
गीता आत्मा एवं परमात्मा के स्वरूप को व्यक्त करती है. कृष्ण के उपदेशों को प्राप्त कर अर्जुन उस परम ज्ञान की प्राप्ति करते हैं जो उनकी समस्त शंकाओं को दूर कर उन्हें कर्म की ओर प्रवृत करने में सहायक होती है. गीता के विचारों से मनुष्य को उचित बोध कि प्राप्ति होती है यह आत्मा तत्व का निर्धारण करता है उसकी प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है. आज के समय में इस ज्ञान की प्राप्ति से अनेक विकारों से मुक्त हुआ जा सकता है.
आज जब मनुष्य भोग विलास, भौतिक सुखों, काम वासनाओं में जकडा़ हुआ है और एक दूसरे का अनिष्ट करने में लगा है तब इस ज्ञान का प्रादुर्भाव उसे समस्त अंधकारों से मुक्त कर सकता है क्योंकी जब तक मानव इंद्रियों की दासता में है, भौतिक आकर्षणों से घिरा हुआ है, तथा भय, राग, द्वेष एवं क्रोध से मुक्त नहीं है तब तक उसे शांति एवं मुक्ति का मार्ग प्राप्त नहीं हो सकता.
कैसे मनाई जाती है गीता जयंती – Gita Jayanti Puja vidhi
- इस दिन भगवत गीता का पाठ किया जाता हैं.
- देश भर के इस्कॉन मंदिर में भगवान कृष्ण एवम गीता की पूजा की जाती हैं. भजन एवम आरती की जाती हैं.
- महाविद्वान इस दिन गीता का सार कहते हैं. कई वाद विवाद का आयोजन होता हैं. जिसके जरिये मनुष्य जाति को इसका ज्ञान मिलता हैं.
- इस दिन कई लोग उपवास रखते हैं.
- इस दिन धार्मिक और भजन संध्या का आयोजन किया जाता हैं.
- गीता के उपदेश पढ़े एवम सुने जाते हैं.
गीता जयंती मोक्षदा एकादशी के दिन आती है इसलिए इस दिन विष्णु भगवान की पूजा भी की जाती हैं. भगवत गीता का पाठ किया जाता हैं. इससे मनुष्य को मोक्ष का मार्ग मिलता हैं.
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