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गृह और रिश्ते Grahas and their Impact on Our Relations

गृह और रिश्ते Grahas and their impact on our relations ….. शायद आपको यकीन न आये लेकिन गृह रिश्तों का प्रतिनिधित्व भी करते हैं और उन्हें प्रभावित भी करते हैं । आज हम यही जानने का प्रयास करेंगे की कौन से गृह किन किन रिश्तों को दर्शाते हैं और क्या ऐसे उपाय हो सकते हैं जिनके उपयोग से रिश्तों की कड़वाहट या नकारात्मकता को कम किया जा सकता है । आज हम ये भी जानेंगे की कौन से रिश्ते हमारे लिए सहयोगी हैं और इन्हे किस प्रकार और सहायक बनाया जा सकता है ।


सूर्य पिता का प्रतिनिधित्व करता है Sun represents Father :

पिता का प्रतीक है सूर्य । यदि आपकी कुंडली सूर्य बिगड़ा हुआ है तो आपकी आपके पिता के साथ निभनी बहुत मुश्किल होगी । राज्य पक्ष से परेशानी और सरकारी नौकरी में समस्याएं उत्पन्न होती ही रहती हैं । यदि आप पिता अथवा पिता तुल्य व्यक्तियों की सेवा करते हैं तो सूर्य देव का नकारात्मक परिणाम निसंदेह कम होगा ।

चन्द्रमा माता का प्रतिनिधित्व करता है Moon represents mother :

छोटी बहनो व् माता का सम्मान करें । छोटी बहन और माँ से सम्बन्ध सुधारिये मन शांत होगा । इन्हें परेशां कदापि न करें ।

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मंगल भ्राता ( छोटे भाई ) का प्रतिनिधित्व करता है Mars represents younger brother :

छोटे भाई बहनों से प्रेम रख्खें । मंगल छोटे भाई बहन का प्रतीक है । छोटे भाई बहन से प्रेम व् सौहार्द रखें, उनको खूब स्नेह दें । यदि मंगल अथवा अन्य कोई गृह खराब अवस्था में न भी हो तो भी उन ग्रहों से सम्बंधित रिश्तों का आदर सम्मान करने से गृह विशेष की शक्ति बढ़ती है ।

बुद्ध मामा का प्रतिनिधित्व करता है Mercury represents maternal uncle :

मामा का आदर सम्मान करें । यदि मामा से नहीं बन रही है तो बहुत अधिक चान्सेस हैं की आपका बुद्ध पीड़ित हो । ऐसे में मामा मामी की सेवा और उनके प्रति आदर भाव से आप बुद्ध की नकारात्मकता को कम कर सकते हैं और बुद्ध के शुभ परिणामों में वृद्धि कर सकते हैं ।

गुरु गुरुजनो, ब्राह्मणों, साधु सन्यासियों का प्रतिनिधित्व करता है Jupiter represents gurus teachers, Brahmins, saints and sanyasi :

बड़े भाई, गुरुजनों, ब्राम्हणों, साधु सन्यासियों की सेवा करें । इनका स्नेहशीर्वाद प्राप्त करें । प्रकृति ने जिसे आपसे बड़ा बना दिया है उसका सम्मान करें गुरु की शक्ति से सब शुभ होगा ।

शुक्र पत्नी और अन्य स्त्रियों का प्रतिनिधित्व करता है Venus represents wife and other ladies in the society :

अपनी पत्नी और अन्य स्त्रियों का सम्मान करें । सम्पूर्ण स्त्री जाती से सम्बन्ध अच्छे रख्खें । इनसे वाद विवाद न करें । शुक्र की नकारात्मकता में कमी आएगी ।

शनि ताया जी और चतुर्थ श्रेणी का प्रतिनिधित्व करता है Saturn represents Uncle ( Father’s elder brother ) :

नौकरों, चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों और मेहनतकश लोगों को परेशां न करें । इनकी यथासंभव सहायता करें । जामुन का पेड़ लगाएं । ताया जी और बड़े बुजुर्गों की सेवा का आनंद लें । कर्मफलदाता प्रसन्न होंगे ।

राहु Rahu is Considered as Shadow of Saturn :

चीटियों को आटा, पक्षियों को दाना और पानी की व्यवस्था करें । मंदिर में रौशनी ( लाइट की चमचमाने वाली लड़ी ) की व्यवस्था कर सकते हैं । किसी चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी को चाय पत्ती दान कर सकते हैं ।

केतु Ketu is Considered as Shadow of Mars :

कुत्तों को घी चुपड़ी रोटी खिलाएं और पक्षियों के लिए दाने पानी की व्यस्था करें ।

इसके साथ ही यदि ग्रहों की सकारात्मकता या पॉज़िटिव एनर्जी को बढ़ाना चाहते हैं तो रत्न धारण करें । रत्नो के द्वारा ग्रहों की शक्ति को और अधिक बल दिया जा सकता है । यदि कोई गृह कारक अथवा विशेष रूप से योग कारक है और उसकी शक्ति कम है तो इसे रत्न धारण कर और शक्तिशाली बनाया जा सकता है । आइये जानते हैं कौन सा रत्न किस ऊँगली और किस धातु में सप्ताह से कौन से दिन धारण किया जाना चाहिए ।

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Stones Metal and Fingers Consideration in Jyotish :

मोती और पन्ना सबसे छोटी ऊँगली में धारण किया जाता है । मोती सोमवार और पन्ना बुधवार को चढ़ते पक्ष ( शुक्ल पक्ष ) में धारण करना चाहिए । मोती सर्वदा चांदी में ही धारण करना उचित रहता है ।

अनामिका अथवा रिंग फिंगर में माणिक और मूंगा धारण किया जाता है । माणिक रविवार को और मूंगा मंगलवार को ( शुक्ल पक्ष ) धारण करना उचित रहता है । केतु रत्न लहसुनिया भी अनामिका ऊँगली में मंगलवार को धारण किया जाता है । माणिक सोने और चांदी दोनों में धारण किया जा सकता है । मूंगा ताम्बे में धारण किया जाता है और लहसुनिया चांदी धातु में पहना जाता है ।

मध्यमा अथवा मिडल फिंगर में हीरा, नीलम और गौमेध पहना जाता है । हीरा शुक्रवार को और नीलम तथा गौमेध शनि वार की शाम को धारण करें । नीलम रत्न को हमेशा पंचधातु ( लोहा, चांदी, ताम्बा, जस्ता और सोना ) में ही धारण करना श्रेयस्कर है । इसी प्रकार हीरे को सोने में अथवा प्लैटिनम धातु की अंगूठी में धारण किया जाना चाहिए । गौमेध के लिए चांदी की अंगूठी बेहतर रहती है ।

तर्जनी ऊँगली में पुखराज धारण किया जाता है । इसी प्रकार पुखराज गुरुवार यानि वीरवार को चढ़ते पक्ष में धारण करना श्रेयस्कर होता है । इसे सोने की अंगूठी में धारण किया जाता है ।

रत्न धारण करते समय यदि नक्षत्र का भी ध्यान रख लिया जाए तो विशेषकर शुभ कहा जाता है । जिस गृह का रत्न धारण किया जा रहा है यदि उसी गृह का नक्षत्र भी चल रहा है तो कहना ही क्या ।

ध्यान देने योग्य है की रत्न धारण करने से पूर्व कुंडली का विस्तृत विश्लेषण अवश्य करवाएं । अपनी इच्छानुसार रत्न धारण न करें ।

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