लेख सारिणी
Hast Rekha Gyan – व्यक्ति गुणों के आधार पर हाथ का वर्गीकरण
Hast Rekha Gyan : हाथ की बनावट यानी प्रकार करपृष्ठ आदि से मनुष्य की प्रवृति शक्ति, बौद्विक स्तर एवं नैतिक चरित्र का पता चलता हैं। हाथ की आकृति एवं पर्वतों की रचना (Hast Rekha Vigyan) एवं रेखाचिन्हृ प्रत्येक हाथ में अलग-अलग होते हैं, फिर भी सभी हाथों में कुछ समानताएं भी होती हैं। भारतीय मनीषियों ने व्यक्ति गुणों के आधार पर हाथ को निम्न तीन भागों में विभक्त किया था-
- सात्विक
- राजस, और
- तामस
परवर्ती विद्वानों ने इनके भी भेदोपभेद किये। उनका विचार था कि कोई भी हाथ ऐसा नहीं है जिसे शुद्व रूप से उपर्युक्त प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकें। उनका मत था कि उपर्युक्त तीनों प्रकारों में से किन्हीं दो के मिश्रित गुण ही प्रायः देखनें को मिलते हैं। उनके द्वारा किया गया वर्गीकरण इस प्रकार हैं –
- सात्विक हाथ,
- राजस हाथ,
- तामस हाथ,
- सात्विक-राजस मिश्रित हाथ,
- राजस-तामस मिश्रित हाथ,
- तामस-सात्विक मिश्रित हाथ, और
- सात्विक-राजस-तामस मिश्रित हाथ
पाश्चात्य विद्वान तथा महान हस्तरेखा विशेषज्ञ कान्टे सी0 डी0 सेण्ट जर्मेन ने हाथ का वर्गीकरण निम्न भागों में किया हैं-
- आदर्श हाथ
- कलात्मक हाथ
- उपयोगी हाथ
- आवश्यक हाथ
- दार्शनिक हाथ
- प्रारम्भिक हाथ
- कलात्मक-प्रारम्भिक हाथ
- हत्यारे का हाथ
- मूर्ख काक हाथ
- मिश्रित हाथ
- नारी का हाथ
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हाथ की छाप किस प्रकार लें ?
दो हाथ एकसमान नहीं होते। हाथों का प्रमुख रेखाएं, छोटी रेखएं और सूक्ष्म रेखाएं होती हैं, जिन्हें इस नंगी आंखों से नहीं पड़ सकते। हाथ के अध्ययन की सही विधि यह है कि हाथ के छापे का अध्ययन करें। छापे के द्वारा सही रिकार्ड रखा जा सकता है । ऐसा करना हाथ के विस्तारपूर्वक अध्ययन और संदभों के लिए महत्वपूर्ण हैं। हाथों की छाप एक ही प्रकार से कागज पर कई वर्षो तक, नियमित अन्तराल के साथ लेते रहनी चाहिए। इसमें हाथों की रेखाओं में होता परिवर्तन सामने आता रहेगा ।
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हाथ के छापे की आम तौर पर दो विधिया हैं
पहली विधि में धुएं से काला किया गया कागज हैं। दूसरी विधि छापे की स्याही है। छापे की स्याही का उपयोग रोलर की सहायता से किया जाता है। यह विधि स्थायी और अच्छे परिणाम देने वाली होती है। छापे साफ और स्पष्ट हों।