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हनुमान जयंती की पूजन विधि, मुहूर्त और कथा के साथ अत्यधिक लाभ हेतु उपाय

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हनुमान जयंती – Hanuman Jayanti

चैत्र पूर्णिमा को मनाई जाने वाली हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti in Hindi) के एक दिन हनुमान भक्तों को हनुमान जयंती व्रत (Hanuman Jayanti Vrat) के लिए एक दिन पूर्व ही शाम को भोजन का त्याग कर देना चाहिए। पूर्ण ब्रहचर्य का पालन करते हुए प्रभु श्रीराम, हनुमान नाम का जप करना चाहिए (Hanuman Mantra)। प्रभु हनुमान, भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार हैं। आज भी जहां रामचरित मानस का पाठ होता हैं वहां प्रभु हनुमान किसी न किसी रूप में अवश्य मौजूद होते हैं।

हनुमान जयंती पूजन विधि से लाभ – Hanuman Jayanti Pujan Vidhi

  • विधि-विधान से पूजन करने के साथ ही हनुमान जी को गुलाब की माला चढ़ाएं। इससे भक्तों को प्रभु की कृपा प्राप्त होगी।
  • पूजन करते समय चोला चढ़ाने से हर मनोकामना पूर्ण होगी।
  • पीपल के 11 पत्तों पर श्रीराम लिख कर प्रभु को अर्पित करने से आर्थिक रूप से परेशान लोगों को फायदा मिलेगा।
  • एक पान के पत्ते पर दो बूंदी के लड्डू रखकर एक-एक लौंग भी रखें और प्रभु हनुमान को अर्पित करने से करियर में सफलता पाना आसान हो जाएगा।
  • प्रभु की विशेष कृपा पाने के लिए पान का बीड़ा चढ़ाएं।
  • हनुमान जयंती के दिन सुंदरकांड का पाठ करें।
  • हनुमान मूर्ति पर सिंदूर अर्पित करें।
  • जयंती के दिन प्रभु हनुमान को प्रसन्न करने के लिए श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण, हनुमान नाम का जाप करते रहें।

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हनुमान जयंती की कथा – Hanuman Jayanti katha

एक बार, अंगिरा ऋषि स्वर्ग के राजा, देवराज इन्द्र से मिलने के लिए स्वर्ग गए और उनका स्वागत स्वर्ग की अप्सरा पुंजीक्ष्थला के नृत्य के साथ किया गया। हालांकि,  अंगिरा ऋषि को इस तरह के नृत्य में कोई रुचि नहीं थी, उन्होंने उसी स्थान पर उसी समय अपने प्रभु का ध्यान करना शुरु कर दिया। नृत्य के अन्त में, इन्द्र ने उनसे नृत्य के प्रदर्शन के बारे में पूछा। वे उस समय चुप रहे और उन्होंने कहा कि, मैं अपने प्रभु के गहरे ध्यान में था, क्योंकि मुझे इस तरह के नृत्य प्रदर्शन में कोई रुचि नहीं है। यह इन्द्र और अप्सरा के लिए बहुत अधिक लज्जा का विषय था; इससे अप्सरा पुंजीक्ष्थला ने अंगिरा ऋषि को निचा दिखाना शुरु कर दिया और तब अंगिरा ऋषि ने उसे श्राप दिया कि, “ देखो ! तुमने स्वर्ग से पृथ्वी को नीचा दिखाया है। तुम पर्वतीय क्षेत्र के जंगलों में मादा बंदर के रुप में पैदा हो जाओगी ।”

अप्सरा पुंजीक्ष्थला को अपनी गलती का अहसास हुआ और ऋषि अंगिरा से क्षमा याचना की। तब ऋषि अंगिरा को उस पर थोड़ी सी दया आई और उन्होंने उसे आशीर्वाद दिया कि, “प्रभु का एक महान भक्त तुमसे पैदा होगा। वह सदैव परमात्मा की सेवा करेगा।” इसके बाद अप्सरा पुंजीक्ष्थला ने कुंजार (पृथ्वी पर वानरों के राजा) की बेटी के रूप में जन्म लिया और उनका विवाह सुमेरु पर्वत के राजा केसरी से हुआ। उन्होंने पाँच दिव्य तत्वो जैसे- ऋषि अंगिरा का श्राप और आशीर्वाद, उनकी पूजा, भगवान शिव का आशीर्वाद, वायु देव का आशीर्वाद और पुत्रश्रेष्ठी यज्ञ से हनुमान जी को पुत्र रूप में जन्म दिया। यह माना जाता है कि, भगवान शिव ने पृथ्वी पर मनुष्य के रुप पुनर्जन्म 11वें रुद्र अवतार के रुप में हनुमान बनकर जन्म लिया; क्योंकि वे अपने वास्तविक रुप में भगवान श्री राम की सेवा नहीं कर सकते थे।

सभी वानर समुदाय सहित मनुष्यों को बहुत खुशी हुई और महान उत्साह और जोश के साथ नाचकर, गाकर, और बहुत सी अन्य खुशियों वाली गतिविधियों के साथ उनका जन्मदिन मनाया। तब से ही यह दिन, उनके भक्तों के द्वारा उन्हीं की तरह ताकत और बुद्धिमत्ता प्राप्त करने के लिए हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है।

शनि के नियंत्रक – भगवान हनुमान की विशिष्ट शक्तियां

वैदिक भजन “असाध्य साधक स्वामी” बताता है कि हनुमान जी ऐसे देव हैं जो असंभव को संभव कर सकते हैं| नवग्रह तथा विशेषकर शनि को नियंत्रित करने वाले केवल दो देव हैं| भगवान हनुमान उन दो देवों में से एक हैं| हनुमान जी की शक्तियां इतनी महान हैं कि शनि भी उन्हें या उनके भक्तों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने से डरता है| हनुमान जी अपनी पूंछ द्वारा शनि को नियंत्रित करते हैं लेकिन वास्तव में वे प्रेम के माध्यम से शनि को नियंत्रित करते हैं| शनिदेव हनुमान जी को इतना प्रेम तथा सम्मान देते हैं कि जो उनकी सुरक्षा के अधीन है उसे वह नुकसान नहीं पहुंचा सकते।

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बजरंगबली के जन्मदिन पर यदि कुछ विशेष उपाय – Hanuman Jayanti ke Upay

  • हनुमान जयंती की रात घी में सिंदूर मिलाकर हनुमान जी को लेप लगाएं. पैसे की दिक्कत दूर होगी.
  • सर्सों के तेल में लौंग डालकर हनुमान जी की आरती करें. संकट दूर होगा और धन भी प्राप्त होगा.
  • हनुमान जयंती के दिन यदि गोपी चंदन की 9 डलियां केले के पेड़ पर बांध दी जाएं तो धन लाभ के बीच आ रही हर बाधा दूर की जा सकती है. इस बात का ध्यान रखें कि गोपी चंदन की डलियां पीले रंग के धागे से ही केले के पेड़ में बांधें.
  • एक नारियल लें और उसकी कामिया सिन्दूर(सामान्य सिन्दूर से अलग), मौली, अक्षत से पूजा करें. फिर हनुमान जी के मन्दिर में चढ़ा आएं. धन लाभ होगा.
  • पीपल के पेड़ की जड़ में तेल का दीपक जला दें. फिर वापस घर आ जाएं एवं पीछे मुड़कर न देखें. धन लाभ होगा.

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