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इंसाफ का दर है तेरा यही सोच के आता हु लिरिक्स | Insaf Ka Dar Hai Tera, Yahi Soch Ke Aata Hoon lyrics

इंसाफ का दर है तेरा यही सोच के आता हु,
हर बार तेरे दर से खाली ही जाता हु…..

आवाज लगाता हु क्यों जवाब नहीं मिलता,
दानी हो सबसे बड़े मुझको तो नहीं लगता,
शायद किस्मत में नहीं दिल को समझाता हु,
इंसाफ का दर है तेरा…..

जज्बात दिलो के प्रभु धीरे से सुनाता हु,
देखे न कही कोई हालात छुपाता हु,
सब हस्ते है मुझ पर मैं आंसू बहाता हु,
इंसाफ का दर है तेरा…..

दिनो को सताने का अंदाज़ पुराना है,
देरी से आने का बस एक बहाना है,
खाली जाने से प्रभु दिल में शर्माता हु,
इंसाफ का दर है तेरा…..

हैरान हु प्रभु तुमने दुखियो को लौटाया है,
फिर किसके लिए तुमने दरबार लगाया है,
वनवारी महिमा तेरी कुछ समझ न पाता हु,
इंसाफ का दर है तेरा…..

Written by

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