सूर्य सम्पूर्ण जगत की आत्मा है । वैदिक ज्योतिष में सूर्य देवता को नव ग्रहों का राजा कहा गया है । इनकी महादशा छह वर्षों की होती है । यधपि सूर्य को एक क्रूर गृह के रूप में जाना जाता है किन्तु कुछ ज्योतिष विद्वान सूर्य देवता को निम्न पापी गृह भी मानते हैं । आज हम YourAstrologyGuru.Com के माध्यम से आपसे सांझा करने जा रहे हैं की सूर्य की महादशा में हमें किस प्रकार के फल प्राप्त होने संभावित हैं । इसके साथ ही हम यह भी आपको ऐसे उपायों के बारे में भी बताएँगे जो सूर्य के नकारात्मक परिणामों को कम करने में सहायक हैं । आइये जानते हैं ग्रहों के राजा की महादशा में प्राप्त होने वाले शुभ अशुभ फलों के बारे में …
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सूर्य महादशा के शुभ फल Positive Results Of Sun Mahadasha:
यदि लग्न कुंडली में सूर्य एक कारक गृह हों और शुभ स्थित भी हों तो जातक/जातिका को निम्लिखित फल प्राप्त होने संभावित होते हैं …
- ह्रदय स्वस्थ रहता है ।
- धन आगमन होता है ।
- पुत्र संतान प्राप्ति होती है ।
- यश मान प्रतिष्ठा प्राप्ति होती है ।
- पदोन्नति होती है ।
- राज्य से लाभ सम्मान प्राप्त होता है ।
- चारों दिशाओं में कीर्ति होती है ।
- प्रतियोगिताओं में विजय पताका फहराती है ।
- दुश्मन सामने टिक नहीं पाते हैं ।
- सुदूर देशों की यात्राओं के अवसर प्राप्त होते हैं ।
- जातक रति क्रेडा में कुशल होता है ।
- मकान, वहां, भूमि व् अन्य सभी प्रकार के सुख प्राप्त करता है ।
- कार्य व्यापार से लाभ होता है ।
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सूर्य महादशा के अशुभ फल Negitive Results Of Sun Mahadasha:
यदि लग्न कुंडली में सूर्य एक अकारक गृह हों और अशुभ भाव में स्थित भी हों तो जातक/जातिका को निम्लिखित फल प्राप्त होने संभावित होते हैं …
- बंधू बांधवों से मतभेद स्वाभाविक हो जाते हैं ।
- जातक को पित्त सम्बन्धी समस्याएं झेलनी पड़ती हैं ।
- जातक दांतों के विकार से ग्रसित रह सकता है ।
- परिवार से वियोग झेलना पड़ता है ।
- राज्य से हानि होती है ।
- कीर्ति को बट्टा लगता है ।
- डिमोशन हो सकती है ।
- मकान, वाहन के सुख में कमी आती है ।
- जातक वैश्यागामी हो सकता है ।
- पिता से, पिता तुल्य व्यक्तियों व् गुरुजनो से संबंधों में कटुता आ जाती है ।
- धन व् मान हानि होती है ।
- ह्रदय सम्बन्धी रोग हो सकता है ।
- नेत्र रोग हो सकता है ।
- स्वजनों से विरोध रहने लगता है ।
- राज्य से दंड का भय होता है ।
- आग व् चोरी से नुक्सान होने का भय बना रहता है ।
- जातक अकेला पद जाता है ।
- ज्वर और मधुमेह आदि रोग पीड़ा पहुंचते हैं ।
सूर्य के कुप्रभाव से बचने के उपाय Remidies for bad effects of Sun :
यदि लग्नकुंडली में सूर्य मारक हैं तो सूर्य से सम्बंधित वस्तुओं तांबा, गेहूं एवं गुड़ का दान करें । स्थति बहुत बत्तर हो तो ताम्बे का एक टुकड़ा लें, इसको दो भागों में बाँट लें, एक पानी में बहा दें और एक टुकड़ा हमेशा अपने साथ रख्खें ।
- पिता व् पिता तुल्य बुजुर्गों, गुरुओं का सम्मान करें । इनका आशीर्वाद प्राप्त करें ।
- बिना किसी गैप के सूर्य को अर्घ्य दें । रोजाना सूर्य को जल चढ़ाएं और कृपा के लिए प्रार्थना करें ।
- सूर्योदय के समय ॐ ब्रम्ह स्वरूपेण सूर्य नारायणाय नमः अथवा ॐ रं रवये नमः या ॐ घृणी सूर्याय नमः 108 बार नियमित जाप करें ।
- आदित्य हृदय स्तोत्र का नियमित पाठ करें ।
- घर की पूर्व दिशा सूर्य देव की दिशा है । इसे स्वच्छ रखें ।
- रविवार का व्रत रखें ।
- काम पर निकलते वख्त मीठा खाकर घर से निकलें ।
- सूर्य देव से पहले उठें । सूर्योदय के समय सूर्य देवता को प्रणाम करें । विष्णु भगवान् का आदर करें ।
- सूर्य से सम्बंधित रत्न माणिक केवल तभी धारण करें जब सूर्य एक कारक गृह हों और शुभ स्थित भी हों ।
ध्यान देने योग्य है सूर्य को छह, आठ अथवा बारहवें भाव का दोष नहीं लगता है और यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में सूर्य नीच राशिस्थ हो तो भी घबराने की आवश्यकता नहीं है । अधिकतर कुंडलियों में नीच भंग हुआ रहता है और ऐसी स्थिति में भी जातक नीच भंग हुए गृह की दशा में बहुत अच्छे फल भोगता है । यहाँ हमने ( YourAstrologyGuru.Com ) केवल सूर्य की महादशा में प्राप्त होने वाले फलों की संभावना व्यक्त की है । किसी भी उपाय को अपनाने अथवा कोई स्टोन धारण करने से पूर्व किसी योग्य विद्वान से कुंडली विश्लेषण करवाना परम आवश्यक है ।