किरपा को क्या मैं गाऊं, किरपा से गा रहा हूँ,
खुशकिस्मती है मेरी,
खुशकिस्मती है मेरी, इनको रिझा रहा हूँ,
किरपा को क्या मैं गाऊँ, किरपा से गा रहा हूँ ।।
तर्ज – दुनिया ने दिल दुखाया।
भावों के समुंदर में, जिसने मुझे तिराया,
उनके दिए ही भावों में,
उनके दिए ही भावों में, उनको डूबा रहा हूँ,
किरपा को क्या मैं गाऊँ, किरपा से गा रहा हूँ…
थोड़ा सा क्या सजाया, मन में गुमान आ गया,
जिसने मुझे सजाया,
जिसने मुझे सजाया, मैं उसको सजा रहा हूँ,
किरपा को क्या मैं गाऊँ, किरपा से गा रहा हूँ…
सुनलो ऐ दुनिया वालो, अंदर की बात है ये,
वो बीज बो रहा है,
वो बीज बो रहा है, और फल मैं खा रहा हूँ,
किरपा को क्या मैं गाऊँ, किरपा से गा रहा हूँ…
इनकी कृपा का वर्णन, ग्रंथो मे भी ना हो सका,
शुभम रूपम जो भी सुना,
शुभम रूपम जो भी सुना, वो गुनगुना रहा हूँ,
किरपा को क्या मैं गाऊँ, किरपा से गा रहा हूँ…
किरपा को क्या मैं गाऊं, किरपा से गा रहा हूँ,
खुशकिस्मती है मेरी,
खुशकिस्मती है मेरी, इनको रिझा रहा हूँ,
किरपा को क्या मैं गाऊँ, किरपा से गा रहा हूँ ।।