कुबेर को धन के देवता के रूप में पूजा जाता हैं, और पूरी दुनिया में फैले सभी समृद्धि के दिव्य उदय का स्रोत भी उन्ही को कहा जाता हैं।
उन्हें धन का निर्माता और समृद्धि और सभी भौतिकवादी संतुष्टि का दिव्य दाता कहा जा सकता है। वह सभी रत्नों और सोने का वास्तविक स्वामी कहा गया है।
कुबेर यंत्र ( Kuber Yantra ) स्थापित करने वाले के घर में सभी भौतिक सुख लाता है, क्योंकि यह स्थापित करने वाले को सर्वोत्तम धन और समृद्धि प्रदान करता है।
यह व्यापार और वित्त के मार्ग से सभी बाधाओं को दूर करता है, और व्यक्ति की सभी भौतिकवादी इच्छाओं को पूरा करने में उसकी सहायता करता है।
इसे अपने घर या दुकान में स्थापित करने वाला व्यक्ति ऊंचाइयों की ओर बढ़ता है, और सफलता की ऊंचाइयों की ओर आगे बढ़ते हुए सम्मान के साथ-साथ सभी अधिकार तथा वर्चस्व की प्राप्ति करता है ।
कुल मिलाकर यह जीवन को अच्छा बनाने के साथ-साथ घर में सुख-समृद्धि भी लाता है। हिंदू धर्म में लक्ष्मी और कुबेर को शुभ यंत्रों में से एक माना जाता है।
जिसमे कुबेर को धन और संपत्ति का देवता माना गया है। इसलिए कुबेर यंत्र का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।
हम सभी जानते हैं, कि देवी लक्ष्मी धन की देवी हैं, और भगवान कुबेर धन के देवता होने के साथ ही यक्षों के राजा हैं। भगवान कुबेर धन, वैभव और समृद्धि के प्रतिनिधि हैं।
इसे सभी यंत्रों में सबसे दिव्य और शक्तिशाली यंत्र मन गया है। इस यंत्र में देवी लक्ष्मी और कुबेर देवता दोनों की शक्तियां समाहित होती है।
यह यंत्र घर में अत्यधिक सकारात्मकता और वृद्धि लाता है। यह यंत्र किसी भी व्यक्ति के व्यक्तिगत जीवन के साथ-साथ व्यापारिक जीवन में भी सफलता और समृद्धि ला सकता है।
यदि किसी को आर्थिक तंगी, व्यापार में घाटा या कोई अन्य धन संबंधी समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो यह यंत्र उनके लिए बहुत उपयोगी साबित होता है।
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Structure of Kuber Yantra | कुबेर यंत्र का स्वरूप
आमतौर पर इसे सोने, चांदी और तांबे से बनाया जाता है। इसे दशहरा, धन त्रयोदशी और दीपावली पर इसका विशेष पूजन संस्कार के साथ स्थापित करने पर इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।
चुकि ये दिवस समृद्धि के अवसर माने जाते हैं, और इसलिए इन दिनों कुबेर यंत्र की पूजा करने से सभी अच्छे परिणाम सामने आते हैं।
समृद्धि और सफलता की इच्छा के साथ घर के प्रति सकारात्मक चिंतन करते हुए सामान्यतः इन्हें घर की वेदी पर या कार्य स्थल पर या धन रखने के स्थान पर रखा जाता है।
भारत के दक्षिणी भाग में, कुबेर यंत्र को कुबेर कोलम के नाम से जाना जाता है। जिसे चावल के आटे का उपयोग करके फर्श पर खींचा जाता है।
कुबेर कोलम पारंपरिक भारतीय रंगोली के समान है, और इसे दक्षिण भारत के कई घरों में स्थापित देखा जा सकता है।
पेंटिंग के प्रसिद्ध रूपों में से एक, कोलम को चाक, चाक पाउडर या चावल के आटे का उपयोग करके चित्रित किया गया है।
कुबेर कोलम एक रहस्यमय वर्ग है। माना जाता है, कि यह धन और समृद्धि को आकर्षित करता है। कुबेर कोलम का निर्माण बिंदुओं के साथ किया जाता है, जो नौ घर बनाने के लिए रेखाओ से जुड़े हुए हैं।
इन घरो में 20, 21, 22, 23, 24, 25, 26, 27 और 28 जैसे अंक भरे जाते हैं जो एक सिक्के और फूल से सजे होते हैं। सुडोकू पहेली के समान, प्रत्येक पंक्ति और स्तंभ का योग 72 तक होता है।
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Use of kuber Yantra | कुबेर यंत्र का उपयोग
आर्थिक स्थिरता और धन लाभ आदि के लिए इस शुभ यंत्र की पूजा की जाती है। ऐसा कहा जाता है, कि कुबेर पृथ्वी के सभी खजानों के देवता हैं।
अगर आप भी अपने घर या व्यापार में असीमित धन और समृद्धि चाहते हैं। तो यह यंत्र आपके लिए मददगार सिद्ध हो सकता है।
यह यंत्र मनुष्य की सभी सांसारिक इच्छाओं को प्राप्त करने और आंतरिक ब्रह्मांडीय शक्ति द्वारा आपकी सभी इच्छाओं को पूरा करने का स्रोत होता है।
ऐसा माना जाता है, कि भगवान कुबेर की सहमति के बिना देवी लक्ष्मी किसी को धन नहीं दे सकती हैं। इसी कारण दिवाली के दिनों में घर में लक्ष्मी कुबेर यंत्र की स्थापना करना बहुत शुभ माना जाता है।
इन दिनों में यदि आप भगवान कुबेर और देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं। तो आपको प्रतिदिन लक्ष्मी कुबेर यंत्र की पूजा करनी चाहिए।
Benifits of Kuber Yantra | लक्ष्मी कुबेर यंत्र के लाभ
यह यंत्र आपको धन संबंधी सभी समस्याओं को हल करने में मदद करता है।
यह आय के स्रोत को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इसकी स्थापना और पूजन से आपको अपने जीवन में धन, सफलता, समृद्धि मिलेगी।
जिस घर या व्यापारिक स्थान में यह यंत्र स्थापित होता है वहां से नकारात्मकता और दुर्भाग्य व्यक्ति से दूर रहते हैं।
Cautions during Kuber Yantra Sthapna | कुबेर यंत्र स्थापना पूर्व ध्यान रखने योग्य बातें
1. यंत्र सदैव ताम्र, स्वर्ण, अष्टधातु, भोजपत्र या कागज का ही स्थापित करना चाहिए।
2. इसको सदैव पूजन स्थल पर पूर्व दिशा में मंगलवार या शुक्रवार के दिन स्थापित करना चाहिए।
3. शुभ तिथि के रूप में विजयदशमी, धनतेरस, दीपावली और रविपुष्य नक्षत्र के दिन स्थापित करना शुभ माना जाता है।
4. इस यंत्र की स्थापना हमेशा शुद्धिकरण, प्राण प्रतिष्ठा और ऊर्जा संग्रही की प्रक्रियाओं के माध्यम से विधिवत रूप में ही करना चाहिए।
5. इस यंत्र को सदैव किसी प्रशिक्षित ज्योतिषी या ज्ञानी व्यक्ति से सिद्ध करवाने के बाद ही स्थापित किया जाना चाहिए।
Pooja vidhi for Kuber Yantra | कुबेर यंत्र स्थापना या पूजन विधि
यंत्र की स्थापना के दिन सबसे पहले प्रातः काल उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर इसके सामने दीप-धूप प्रज्वलित करना चाहिए।
तत्पश्चात इसको कच्चे दूध और गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए।
इसके पश्चात 11 या 21 बार कुबेर मंत्र, ‘ॐ श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं, ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:।’ का जाप करना चाहिए।
अधिक शुभ फल पाने के लिए धन के देवता कुबरे से प्रार्थना करनी चाहिए।
इसके बाद इस यंत्र को तिजारो या अलमारी में स्थापित कर देना चाहिए। इसे स्थापित करने के पश्चात इसे नियमित रूप से धोकर इसकी पूजा करें ताकि इसका प्रभाव कम ना हो।
यदि आप इस यंत्र को बटुए या गले में धारण करते हैं, तो स्नानादि के बाद अपने हाथ में लेकर उपरोक्त विधिपूर्वक इसका पूजन करें।
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