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क्यों खाया पांडवों ने अपने मृत पिता का मांस – Stories of Mahabharata

महाभारत की कथाएं – Stories of Mahabharata

stories of mahabharata – महाभारत की कथाएं (stories of mahabharata in hindi) में कई ऐसे क़िस्से हैं जो हमे रोमांचित करते हैं। यही नहीं, इनसे जुड़ी घटनाएँ हमें प्रेरित भी करती हैं। आज हम आपको एक ऐसी चौंकाने वाली घटना के विषय में बताएंगे, जिसे अपने शायद ही सुना होगा।


अम्बालिका और ऋषि व्यास के पुत्र थे पाण्डु। उनके ज्येष्ठ भ्राता धृतराष्ट्र के नेत्रहीन होने के कारण उन्हें हस्तिनापुर का राजा घोषित कर दिया गया था। पांडु की दो रानियाँ थीं–कुंती और माद्री, जिनसे उनके पाँच पुत्र थे युधिष्ठर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव। पाँचों पुत्रों में से युधिष्ठर, भीम और अर्जुन की माता कुंती थीं तथा नकुल और सहदेव की माता माद्री थीं।

क्यों दिया ऋषि ने पाण्डु को श्राप

एक बार महाराज पाण्डु अपनी दोनों रानियों कुंती और माद्री के साथ वन में गए थे। वहाँ उन्होंने मृग के भ्रम में बाण चला दिया जो एक ऋषि को लग गया। जिस समय ऋषि को बाण लगा उस वक़्त वह अपनी पत्नी के साथ सहवासरत थे, इसलिए उन्होंने पाण्डु को श्राप दे दिया की जब भी वह अपनी पत्नी या किसी भी अन्य स्त्री के साथ सम्भोग करेंगे तो उनकी मृत्यु हो जाएगी।

कैसे हुआ पाण्डवों का जन्म

पांडु की पत्नी कुंती को कुँवारेपन में ॠषि दुर्वासा ने उनकी सेवा-भावना से प्रसन्न होकर वरदान के रूप में एक मंत्र दिया था। उस मंत्र के आह्वान से वह किसी भी देवता को बुला सकती थीं और उनसे संतान प्राप्ति की कामना कर सकती थीं।

तब कुंती और माद्री दोनों ने ही भगवान का आह्वान किया और पाँच पुत्रों को प्राप्त किया–युधिष्ठर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव। इन पाँचों को पांडव कहा जाता है।

पाण्डु ने अपने पुत्रों को क्यों कहा था उनके मृत शरीर का मांस खाने के लिए

चूँकि पाण्डु के पुत्र वरदान से प्राप्त हुए थे इसलिए उनका ज्ञान और कौशल उनके पुत्रों में नहीं आ पाया था। इसलिए उन्होंने अपने पुत्रों से कहा था कि वे उनके मृत्यु के बाद उनके शरीर का माँस मिल बाँट कर खा लें ताकि उनका  ज्ञान बच्चों में स्थानांतरित हो जाए।


पांडवो द्वारा पिता का मांस खाने के सम्बन्ध में दो मान्यता प्रचलित है। एक ओर जहाँ यह माना जाता है कि पाण्डु के शरीर का मांस पाँचों भाइयों ने मिलकर खाया था वहीं दूसरी ओर ऐसी मान्यता है कि पांडवो में सिर्फ सहदेव ने पिता की इच्छा का पालन करते हुए उनके शरीर का मांस खाया था इसलिए उसके पास सबसे ज़्यादा ज्ञान था।

सहदेव ने पाण्डु के शरीर का कौन सा हिस्सा खाया था ?

कहा जाता है कि सहदेव ने पांडु के मस्तिष्क के तीन हिस्से खाये थे। पहले टुकड़े को खाते ही सहदेव को इतिहास का ज्ञान हुआ, दूसरे टुकड़े को खाने पर वर्तमान का और तीसरे टुकड़े को खाते ही भविष्य का।

किसने दिया था सहदेव को शाप?

इस बात का कहीं-कहीं उल्लेख है कि भगवान श्री कृष्ण के अलावा सहदेव को भविष्य में होने वाले महाभारत के युद्ध के बारे में ज्ञान था। श्री कृष्ण को इस बात का भय था कि कहीं सहदेव भविष्य की बातों को उजागर न कर दें, इसलिये उन्होंने उसे शाप दे दिया की अगर वो ऐसा करेगा तो उसकी मृत्यु हो जाएगी।

कैसे हुई पांडु की मृत्यु?

ऋषि के श्राप से पाण्डु बहुत दुःखी थे और उन्होंने अपना राज-पाट त्यागकर वन में ही रहने का निर्णय किया था। उन्होंने अपनी पत्नियों को भी हस्तिनापुर लौट जाने को कहा था। किन्तु कुन्ती और माद्री ने पाण्डु के साथ वन में ही अपना जीवन व्यतीत करने का फ़ैसला कर लिया था। एक दिन पाण्डु और माद्री वन में विहार कर रहे थे, उस समय पाण्डु अपने काम-वेग पर नियंत्रण न रख सके और माद्री के साथ सम्भोग कर लिया। इस तरह ऋषि के शाप के अनुसार पाण्डु की मृत्यु हो गयी।

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