लाजवंत आप इसे लाजवर्त भी कहते हैं यह एक नीले रंग का चमकदार धब्बा से युक्त रत्न है जो किसी राशि अथवा ग्रह से विशेष संबंधित नहीं है लाजवर्त अफगानिस्तान में पर्याप्त मात्रा में पाया जाने वाला एक के चमत्कारी रत्न है जिसे हम भूत प्रेत जादू टोना मानसिक अशांति रोग अथवा काम में आ रही बाधा तथा पढ़ाई में मन लगने हेतु धारण किया जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के विद्वानों ने शोध एवं गहन अध्ययन करने के पश्चात ऐसा माना है कि यह जो पत्थर है लाजवर्त यह शनि ग्रह से कहीं ना कहीं संबंध जरूर रखता है इसका किसी ना किसी प्रकार से शनि ग्रह से संबंध है।
ज्योतिष में अगर हम बात करें शनिदेव की तो शनि देव मेष लग्न, कर्क लग्न, सिंह लग्न, वृश्चिक लग्न व धनु लग्न में अकारक ग्रह माना गया है, इन लग्न में शनि देव अच्छे फल नहीं देते इसलिए इस लग्न के जातकों को शनि देव के रत्न पहनने की मनाही कही गई है, वही वृषभ लग्न, मिथुन लग्न, कन्या लग्न, तुला लग्न, मकर एवं कुंभ लग्न वाले जातकों के लिए शनि देव शुभ माने गए हैं किंतु मित्रों यहां पर
आप यदि शनि की महादशा आपके जीवन में चल रही हो शनि की ढैया चल रही हो अथवा शनि की साढ़ेसाती के कष्टों का आपको सामना करना पड़ रहा है तो आप निश्चित तौर पर लाजवर्त रत्न धारण कर सकते हैं यह रत्न स्थाई रूप से धारण नहीं किया जाता है यह रत्न केवल मात्र अस्थाई रूप से धारण किया जाता है कभी भी किसी भी व्यक्ति के जीवन में शनि के द्वारा किसी भी प्रकार की पीड़ा भोग रहा हो उस स्थिति में व्यक्ति को उस दशा काल तक ही इस रत्न को धारण करना चाहिए। यह शनि की पीड़ा से मुक्ति दिलाता है उसके कष्टों से हमें अति शीघ्र लाभ प्रदान करता है।
यह राहु और केतु के लिए भी लाभकारी माना गया है किसी भी व्यक्ति के जीवन में यदि कालसर्प दोष हो अथवा राहु के द्वारा व्यक्ति पीड़ित हो तो भी लाजवर्त धारण किया जा सकता है किंतु मूलतः यह शनिदेव के पीडा में विशेष लाभकारी होता है।
लाजवर्त नौकरी में आ रही परेशानियों के लिए भी अति उत्तम माना गया है अगर आपको नौकरी में आपके कार्यस्थल में कहीं से भी किसी प्रकार की परेशानी आ रही हो तो आप इस रत्न को धारण करके उस परेशानियों से निजात पा सकते हैं लाजवर्त कई प्रकार के लाभों को प्रदान करने वाला रत्न माना गया है।
लाजवर्त को किसी भी रत्न के साथ पहना जा सकता है यह कोई राशि रत्न नहीं है इसके पहनने से किसी भी प्रकार का कोई साइड इफेक्ट नहीं माना गया है यह आपको मात्र केवल लाभ ही प्रदान करता है इसमें किसी भी प्रकार का कोई बुरा प्रभाव नहीं पाया गया है आप इसे शनिवार के दिन चांदी में दाहिने हाथ की मध्यमा उंगली में धारण कर सकते हैं इसे धारण करने से पहले यदि आप शिवलिंग में स्पर्श करा करके धारण करेंगे तो यह बहुत ही लाभकारी रहेगा क्योंकि शनि देव को शिव का अंश माना गया है शिवलिंग में स्पर्श कराकर के और आप इसे धारण करते हैं तो विशेष लाभकारी रहेगा अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में दुर्घटना का योग बना हुआ है तो आप इस रत्न को 27000 36000 55000 सवा लाख महामृत्युंजय मंत्र से सिद्ध करके धारण करने से दुर्घटना में बहुत ही राहत मिलती है।
लाजवर्त को धारण करने से पहले यदि आप इसे कुछ समय के लिए या चार पांच घंटों के लिए सरसों के तेल मैं रख कर, फिर इसे धारण करने से इसके विशेष शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
लाजवर्त रत्न कम समय के लिए ही पहनना चाहिए। जब तक कुंडली में शनि की साढ़ेसाती का प्रकोप रहे तब तक ही इस रत्न को धारण करना चाहिए। जैसे ही शनि, राहु और केतु की दशा समाप्त हो जाए, लाजवर्त रत्न को बहते पानी में प्रवाह कर देना चाहिए।
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