रत्न पहनने के लिए दशा-महादशाओं का अध्ययन भी जरूरी है। केंद्र या त्रिकोण के स्वामी की ग्रह महादशा में उस ग्रह का रत्न पहनने से अधिक लाभ मिलता है। जन्म कुंडली में त्रिकोण सदैव शुभ होता है इसलिए लग्नेश, पंचमेश व नवमेश का रत्न धारण किया जा सकता है।
लग्न एवं ग्रहों की स्थिति का विश्लेषण कराकर ही धारण करना उचित व हितकारी होता है। कुण्डली के बारहों भावों में, प्रत्येक लग्न की स्थिति के अनुसार ग्रहों की उपस्थिति कल्पित करके,एक विश्लेषण निम्न प्रकार सन्दर्भित है। जातक की जन्म कुण्डली में यदि शुभग्रह निर्बल है तो उस जातक को उस ग्रह के प्रभाव की वृद्धि हेतु उसी ग्रह का रत्न धारण करना चाहिए। उदाहरणार्थ जैसे निर्बल सूर्य को बलिष्ठ करने हेतु सूर्य रत्न माणिक्य धारण किया जाता है।
यदि कोई ग्रह शुभ एवं अशुभ दोनों को प्रभावित करता है, तब उसका रत्न भी दोनों भावों का प्रभाव बढ़ायेगा। मेष लग्न वाले व्यक्ति को सूर्य ग्रह का प्रतिनिधि रत्न माणिक्य अनुकूल प्रभाव देता है। ज्योतिषविदों के मतानुसार कुंडली के ऊपरी विश्लेषण से शुभ प्रतीत होने वाला पुखराज उसके लिए वस्तुतः लाभप्रद नहीं होगा। अन्य ग्रहों की स्थिति देखते हुए कहा जा सकता है कि यदि मेष लग्न वाले व्यक्ति माणिक्य, मूँगा एवं नीलम रत्न धारण करें तो इन रत्नों की संयुक्त शक्ति उनके लिए अनुकूल रहेगी। वृष लग्न वाले व्यक्ति की कुण्डली में कारक शुभ व अनुकूल फल प्रदाता ग्रहों की स्थिति अनुसार यदि ऐसे व्यक्ति नीलम, पन्ना एवं हीरा रत्न धारण करें तो विशेष रूप से लाभान्वित होंगे। मिथुन लग्न वाले व्यक्ति की कुण्डली में स्थित ग्रहों के अनुसार वस्तुतः यही उचित होगा कि वे हीरा एवं पन्ना रत्न धारण करें। कर्क लग्न कुण्डली वाले व्यक्ति के लिए ग्रहो की अनुकूलता हेतु मूँगा एवं मोती रत्न का धारण करना अति उत्तम होता है।
ऐसे व्यक्ति जिनकी कुण्डली सिंह लग्न की हो, मूँगा एवं माणिक्य रत्न धारण करना विशेष लाभकारी होता है। क्यूंकि इन रत्नो को धारण करने से सूर्य एवं मंगल ग्रह बलिष्ठ होकर अनुकूल प्रभाव प्राप्त होता है। कन्या लग्न वाले वाले व्यक्ति की कुण्डली का विश्लेषण उन्हें मोती एवं पन्ना रत्न धारण करने की संस्तुति करता है। किन्तु कुछ विदुषियों के मतानुसार पन्ना एवं मोती संयुक्त रूप से धारण नहीं किये जा सकते अतः सम्बंधित व्यक्ति अपनी कुण्डली का विश्लेषण विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य से भली प्रकार कराकर ही रत्न धारण करे ऐसा हितकारी रहेगा। तुला लग्न वाले व्यक्तियों की ग्रहस्थिति की विवेचना अनुसार उनके लिए चन्द्रमा एवं शुक्र अनुकूल एवं लाभप्रद ग्रह हैं, अतः यदि तुला लग्न वाले व्यक्ति हीरा तथा मोती रत्न धारण करें, तो उचित लाभ प्राप्त कर सकते हैं। वृश्चिक लग्न वाले व्यक्तियों हेतु मोती, मूँगा एवं माणिक्य रत्न धारण करना लाभकारी होता है। धनु लग्न वाले व्यक्तियों पर मुख्यतः सूर्य और बृहस्पति की अनुकूलता रहती है, अतः यदि वे इन ग्रहों के रत्न क्रमशः माणिक्य एवं पुखराज धारण करें तो शुभ प्रभाव की प्राप्ति होती है। मकर लग्न की कुंडली वाले व्यक्तियों को ग्रहों के शुभ प्रभाव एवं अनुकूलता की प्राप्ति हेतु हीरा, मोती एवं नीलम रत्न धारण करना उचित एवं लाभप्रद होता है। कुम्भ लग्न की कुण्डली वाले व्यक्ति को नीलम, हीरा तथा माणिक्य धारण करना विशेष रूप से लाभप्रद रहता है । मीन लग्न की कुंडली वाले व्यक्ति मोती एवं पुखराज रत्न धारण करके उन्नति एवं सौभाग्यवृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।
Table of Contents
लग्नेश के रत्न
रत्न धारण हेतु ज्योतिषाचार्य परामर्श प्रस्तुत करने में अनेक दृष्टिकोण अपनाते हैं। ज्योतिष शास्त्र बहुत ही विशाल एवं असीमित है कि इसे सीमाबद्ध नहीं किया जा सकता।
ज्योतिष शास्त्र से सम्बंधित किसी भी सिद्धान्त को कहना उचित नहीं है। ज्योतिष का प्रत्येक आयाम एक नयी दिशा देता है। प्राचीन सभी सिद्धान्त एवं मान्यतायें प्रामाणित एवं स्वमं में पूर्ण हैं।
यह विषय अपने में इतना प्रामाणिक एवं सशक्त है कि किसी भी तर्कसंगत पद्धति से परखा जाए, सही उतरता है।
यही कारण है कि भारतीय ज्योतिष के अनेक सिद्धान्तों में परस्पर भिन्नता होते हुए भी उनका फलित प्रभाव एक ही है।
रत्न धारण का मुख्य आधार जन्म कुंडली के भिन्न भिन्न भावों में स्थित ग्रहों को माना गया है। परन्तु ज्योतिष विशेषज्ञों ने और अधिक खोजबीन व विस्तार पूर्ण विश्लेषण करके, बड़ी सूक्ष्मता से ग्रह एवं रत्न के मध्य स्थापित सामंजस्य को परखने का प्रयास किया है, ताकि किसी नये तथ्य की जानकारी हो सके, कोई नया अन्वेषण किया जा सके।
शोध के इसी क्रम में ग्रहों का राशि, लग्न और नक्षत्र से भी सम्बन्ध जोड़ा गया है। अधिकाधिक तथ्यों पर आधारित मान्यता स्थायी, प्रामाणिक एवं लाभप्रद होती है।
रत्न धारण विधि का एक आयाम यह भी है कि ग्रह तथा लग्न के साथ लग्न स्वामी ग्रह लग्नेश का रत्न भी धारण करना चाहिए। अतः जो भी ग्रह लग्नेश हो, उसके अनुसार उसका भी लग्नेश का रत्न धारण करना चाहिए।
सावधान रहे – रत्न और रुद्राक्ष कभी भी लैब सर्टिफिकेट के साथ ही खरीदना चाहिए। आज मार्केट में कई लोग नकली रत्न और रुद्राक्ष बेच रहे है, इन लोगो से सावधान रहे। रत्न और रुद्राक्ष कभी भी प्रतिष्ठित जगह से ही ख़रीदे। 100% नेचुरल – लैब सर्टिफाइड रत्न और रुद्राक्ष ख़रीदे, अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें
अगर आपको यह लेख पसंद आया है, तो हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब करें, नवग्रह के रत्न, रुद्राक्ष, रत्न की जानकारी और कई अन्य जानकारी के लिए। आप हमसे Facebook और Instagram पर भी जुड़ सकते है
नवग्रह के नग, नेचरल रुद्राक्ष की जानकारी के लिए आप हमारी साइट Your Astrology Guru पर जा सकते हैं। सभी प्रकार के नवग्रह के नग – हिरा, माणिक, पन्ना, पुखराज, नीलम, मोती, लहसुनिया, गोमेद मिलते है। 1 से 14 मुखी नेचरल रुद्राक्ष मिलते है। सभी प्रकार के नवग्रह के नग और रुद्राक्ष बाजार से आधी दरों पर उपलब्ध है। सभी प्रकार के रत्न और रुद्राक्ष सर्टिफिकेट के साथ बेचे जाते हैं। रत्न और रुद्राक्ष की जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।