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धनु लग्न की कुंडली में महालक्ष्मी योग – Mahalakshmi yoga Consideration in Saggitarious/Dhanu

धनु लग्न की कुंडली में चंद्र अष्टम भाव के स्वामी हैं । आप अच्छी तरह जान चुके हैं की आठवां घर त्रिक भाव होता है, शुभ नहीं माना जाता है । इस वजह से चंद्र इस कुंडली में एक मारक गृह बनते हैं । वहीँ मंगल पंचमेश व् द्वादशेश हैं, लग्नेश गुरु के मित्र भी हैं । इस वजह से मंगल एक अति योगकारक गृह बने । इस प्रकार चंद्र की दशाओं में जातक को अधिकतर अशुभ फल ही प्राप्त होते हैं तथा मंगल की दशाओं में शुभ । इस लग्न कुंडली में चन्द्रमंगल दोनों ग्रहों की किसी भाव में युति से महालक्ष्मी योग नहीं बनता है । जानते हैं धनु लग्न की कुंडली के विभिन्न भावों में चन्द्रमंगल की युति के कैसे परिणाम आ सकते हैं …


Table of Contents

धनु लग्न की कुंडली में प्रथम भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in first house in Saggitarious/Dhanu lgna kundli :

मंगल अपनी दशाओं में अपने स्वामित्व वाले भावों के साथ साथ चौथे, सातवें व् आठवें भाव सम्बन्धी शुभ फलों में वृद्धिकारक होते हैं । वहीँ चंद्र की दशाओं में जातक का स्वास्थ्य खराब रहता है, सातवें भाव सम्बन्धी नकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं ।

धनु लग्न की कुंडली में द्वितीय भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in second house in Saggitarious/Dhanu lgna kundli :

द्वितीयस्थ चंद्र परिवार कुटुंब को/से हानि पहुंचाते हैं, जातक चुभने वाली भाषा बोलता है । चंद्र सप्तम दृष्टि से हर काम में रुकावटें बढ़ाते हैं । मंगल की चतुर्थ से पुत्र प्राप्ति का योग बनता है बनता है , जातक झगड़ालू हो सकता है, सातवीं दृष्टि से अष्टम भाव को देखने की वजह से रुकावटें दूर होती हैं, आठवीं दृष्टि से नवम भाव को देखकर विदेश यात्रा का योग बनाता है, जातक धार्मिक होता है । महालक्ष्मी योग नहीं बनता है ।

धनु लग्न की कुंडली में तृतीय भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in third house in Saggitarious/Dhanu lgna kundli :

धनु लग्न की कुंडली में तृतीय भाव में भी महालक्ष्मी योग नहीं बनेगा । मंगल अपनी दशाओं में पराक्रम में वृद्धि करता है, परिश्रम करवाता है, जातक का काम यात्राओं से व् कड़ी मेहनत से जुड़ा हो सकता है, विदेश यात्राएं हो सकती हैं । चंद्र की दशाओं में भी परिश्रम में वृद्धि रहती है, यात्राएं होती हैं लेकिन बहुत परिश्रम के बाद भी परिणाम बहुत कम ही आते हैं ।

धनु लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in fourth house in Saggitarious/Dhanu lgna kundli :

मंगल की दशाओं में जातक माता व् परिवार का सुख भोगता है । राज्य से लाभ प्राप्त करता है, उन्नति होने की सम्भावना बनती है । इसके अतिरिक्त मंगल अपनी दशाओं में बड़े भाई बहन व् बिज़नेस पार्टनर्स से भी लाभ प्राप्त होने का योग बनाते है । वहीँ चंद्र की दशाओं में जातक की माता से अनबन रहती है, पारिवारिक सुख में कमी आती है, मकान वाहन का सुख नहीं भोगा जाता भले ही जातक बड़े मकान में रहता हो या अच्छी गाडी में आता जाता हो ।

धनु लग्न की कुंडली में पंचम भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in fifth house in Saggitarious/Dhanu lgna kundli :

चंद्र की दशा में पुत्री का योग बनता है । अचानक हानियां होती हैं, बड़े भाई बहन से भी अनबन होती है । मंगल पुत्र प्राप्ति का योग बनाते हैं । अचानक लाभ भी करवाता है, बड़े भाई बहन से भी लाभ करवाता है, बड़े भाई बहन की सपोर्ट मिलती रहती है । विदेश सेटलमेंट हो सकती है ।

धनु लग्न की कुंडली में छठे भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in sixth house in Saggitarious/Dhanu lgna kundli :

छठा भाव् त्रिक भाव में से एक भाव होता है, शुभ नहीं माना जाता है । यहाँ स्थित होने पर चंद्र व् मंगल दोनों की महादशा में जातक पीड़ा ही भोगता देखा गया है । इस प्रकार छठे भाव में चन्द्रमंगल की युति से महालक्ष्मी योग नहीं बनेगा । त्रिक भाव में महालक्ष्मी योग नहीं बनेगा । चंद्र मंगल यदि विपरीत राजयोग की स्थिति में आ जाएँ तो शुभ फल प्रदान करते हैं ।

धनु लग्न की कुंडली में सातवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in seventh house in Saggitarious/Dhanu lgna kundli :

मंगल की दशाओं में सातवें, दसवें, पहले व् दुसरे भाव सम्बन्धी शुभ फल प्राप्त होते हैं । चंद्र की दशाओं में सप्तम व् प्रथम भाव सम्बन्धी अशुभ फल प्रदान प्राप्त होते हैं । लाइफ व् बिज़नेस पार्टनर्स के साथ अनबन हो जाती है । दैनिक आय भी दिन बदिन कम होती जाती है । जातक का स्वास्थ्य भी खराब रहता है ।

धनु लग्न की कुंडली में आठवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in eighth house in Saggitarious/Dhanu lgna kundli :

आठवाँ भाव् त्रिक भाव में से एक भाव होता है, शुभ नहीं माना जाता है । यहाँ स्थित होने पर चंद्र व् मंगल दोनों की महादशा में जातक मृत्यु तुल्य कष्ट भोगता है । चन्द्रमा की साथ होने से मंगल की नीचता तो भंग हो जाती है परन्तु वो शुभ परिणाम बमुश्किल ही दे पाते हैं । बड़े भाई बहन से क्लेश बढ़ता है । कुटुंब सम्बन्धी प्रोब्लेम्स आती हैं । बहुत परिश्रम के बाद भी शुभ फल प्राप्त नहीं हो पाते हैं । चंद्र यदि विपरीत राजयोग की स्थिति में आ जाएँ तो शुभ फल प्रदान करते हैं ।

धनु लग्न की कुंडली में नौवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in ninth house in Saggitarious/Dhanu lgna kundli :

चंद्र अपनी दशाओं में नौवें व् तीसरे भाव सम्बन्धी अशुभ फल प्रदान करता है । जातक का भाग्य उसका साथ नहीं देता है । वहीँ मंगल की दशाओं में भाग्य जातक का साथ देता है, ऐसा जातक विदेशों से भी धन अर्जित कर लेता है, छोटे भाई बहन व् परिवारजन जातक का साथ देते हैं ।

धनु लग्न की कुंडली में दसवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in tenth house in Saggitarious/Dhanu lgna kundli :

इस भाव में चंद्र मंगल की युति होने पर मंगल की महादशा में जातक के प्रोफेशन में उन्नति होती है । राज्य से लाभ प्राप्त होता है, सुखों में बढ़ौतरी होती है व् माता,पिता से बनती है । मंगल पहले, चौथे, पांचवें, दसवें भावों सम्बन्धी शुभ फल प्रदान करता है । जातक का काम बुद्धि से सम्बंधित हो सकता है । चंद्र की दशाओं में प्रोफेशनल लाइफ में परेशानियां आती हैं । माता से भी अनबन रहती है, पारिवारिक सुखों में कमी आती है ।

धनु लग्न की कुंडली में ग्यारहवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in eleventh house in Saggitarious/Dhanu lgna kundli :

मंगल व् चंद्र के ग्यारहवें भाव में स्थित होने पर महालक्ष्मी योग नहीं बनेगा । चंद्र की दशाओं में चंद्र जातक के पेट में समस्या पैदा करते हैं, संतान को/से कष्ट होता है, अचानक हानि होती है, बड़े भाई बहन से क्लेश बढ़ता है । वहीँ मंगल की दशाओं में बड़े भाई से बनती है, पुत्र प्राप्ति या पुत्र को लाभ के योग बनते हैं, अचानक लाभ होता है, कुटुंब का साथ बना रहता है, प्रतियोगिता परिक्षा व् कोर्ट केस में जीत होती है ।

धनु लग्न की कुंडली में बारहवें भाव में महालक्ष्मी योग Mahalakshmi yoga in twelth house in Saggitarious/Dhanu lgna kundli :

धनु लग्न की कुंडली में बारहवें भाव में महालक्ष्मी योग नहीं बनेगा क्यूंकि बारहवां भाव भाव् त्रिक भाव में से एक भाव होता है, शुभ नहीं माना जाता है । चंद्र व् मंगल दोनों की महादशा में जातक पीड़ा ही भोगता है । मंगल विपरीत राजयोग की स्थिति में आ जाएँ तो शुभ फल प्रदान करते हैं ।

आशा है की उपरोक्त विषय आपके लिए ज्ञानवर्धक रहा । आदियोगी का आशीर्वाद सभी को प्राप्त हो । ( YourAstrologyGuru.Com ) पर विज़िट करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।

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