Loading...

299 Big Street, Govindpur, India

Open daily 10:00 AM to 10:00 PM

महाशिवरात्रि 2022: इन चारों प्रहर में शिव पूजन के लाभ

Uncategorized

महाशिवरात्रि 2022 तिथि एवं मुहूर्त – Mahashivratri 2022 Date & Time

भगवान शिव और माता पार्वती की संयुक्त आराधना का सबसे बड़ा पर्व है महाशिवरात्रि। यह एक ऐसा त्यौहार है जिसका इंतज़ार सभी शिव भक्तों को बेसब्री से रहता है। मान्यता है कि इस तिथि पर ही भगवान शंकर-माँ पार्वती (Shivshakti) का विवाह सम्पन्न हुआ था। इस दिन समस्त भक्तजन व्रत-उपवास करते हैं और शिव जी की पूजा-अर्चना एवं जलाभिषेक करते हैं। महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) के दिन को शिव आराधना के लिए श्रेष्ठ माना जाता हैं, लेकिन इस शिवरात्रि पर बनने वाले संयोग महाशिवरात्रि को अत्यंत विशेष बना रहे है।

महाशिवरात्रि तिथि एवं मुहूर्त

हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर साल महाशिवरात्रि के पर्व को फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है,जिसे बहुत ही हषोर्ल्लास और भक्तिभाव से मनाया जाता है। अब हम जानेंगे, कब हैं महाशिवरात्रि और किस मुहूर्त में करें शिव पूजा।

  • महाशिवरात्रि 2022 तिथि: 01 मार्च, मंगलवार
  • रात्रि प्रथम प्रहर पूजा मुहूर्त: शाम 06:20 बजे से रात्रि 09:26 बजे तक,
  • रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा मुहूर्त: रात्रि 09:26 बजे से रात्रि 12:32 बजे तक (02 मार्च)
  • रात्रि तृतीय प्रहर पूजा मुहूर्त: रात्रि 12:32 बजे से प्रातः 03:39 बजे तक, (02 मार्च)
  • रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा मुहूर्त: प्रातः 03:39 बजे से प्रातः 06:45 बजे तक, (02 मार्च)

महाशिवरात्रि पर बन रहे शुभ संयोग

  • 2022 में महाशिवरात्रि के दिन दुर्लभ संयोगों का निर्माण हो रहा है। इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र में परिघ योग बन रहा हैं, धनिष्ठा के बाद शतभिषा नक्षत्र, परिघ के बाद शिवयोग भी बन रहा है।
  • इन ग्रह संयोगों के अंर्तगत 12वें भाव में मकर राशि में पंचग्रही योग बन रहा हैं। महाशिवरात्रि को कुंभ राशि में सूर्य और गुरु की युति विशेष बना रही हैं।
  • वृषभ राशि में राहु चतुर्थ भाव में होगा, जबकि केतु दसवें भाव में वृश्चिक राशि में मौजूद होगा। इस महाशिवरात्रि पर ग्रह-नक्षत्रों के शुभ संयोग बन रहे है जिसका निर्माण अब लंबे समय बाद होगा। महाशिवरात्रि पर दो दिनों की अवधि के लिए शिव पर्व का संयोग बन रहा हैं जो अब 2022 के बाद सीधा 2042 अर्थात 20 साल बाद बनेगा।

महाशिवरात्रि पर चार प्रहर का महत्व

महाशिवरात्रि पर प्रत्येक पूजा का अपना महत्व होता है और इस दिन प्रातःकाल से लेकर रात्रि तक पूजा की जाती हैं। इन चार प्रहरों में आराधना करने से भक्त शिव कृपा का पात्र बन जाता है। यहाँ हम आपको प्रत्येक प्रहर में पूजा के महत्व के बारे में अवगत कराएंगे।

प्रथम प्रहर में पूजा का महत्व

महाशिवरात्रि पूजा सामान्यरूप से संध्याकाल के समय की जाती है। शाम 06.00 से 09.00 तक की अवधि को प्रदोषकाल कहते हैं, यही प्रथम प्रहर होता है। इस प्रहर में शिव जी का दूध और जल से अभिषेक करना चाहिए, साथ ही शिव मंत्र का जप भी कर सकते हैं। प्रथम प्रहर में शिव पूजा से शिव कृपा की प्राप्ति होती है।

द्वितीय प्रहर में पूजा का महत्व

द्वितीय प्रहर की पूजा रात्रि में की जाती है जो मुख्य रूप से रात्रि 09.00 से 12.00 तक की अवधि होती है। द्वितीय प्रहर के दौरान पूजा में शिव जी को दही अर्पित करें,साथ ही उनका जलाभिषेक करें। इस प्रहर में पूजा करने से जातक को धन और समृद्धि प्राप्त होती है।

तृतीया प्रहर में पूजा का महत्व

तृतीया प्रहर की पूजा मध्य रात्रि में की जाती है जो रात्रि 12.00 से 03.00 बजे तक की अवधि होती है। इस पूजा में भगवान शिव को घी चढ़ाना चाहिए, साथ ही उनका जलाभिषेक अवश्य करना चाहिए। तृतीया प्रहर में शिव स्तुति करना जातक के लिए अत्यंत लाभदायी होता है।

चतुर्थ प्रहर में पूजा का महत्व

चतुर्थ प्रहर का पूजन जल्दी सुबह-सवेरे या भोर के समय किया जाता है। इस पूजा को करने का समय रात 03.00 से प्रातः 06.00 बजे तक होता है। चतुर्थ प्रहर पूजा में महादेव को शहद चढ़ाना चाहिए, साथ ही उनका जल से अभिषेक करना चाहिए। चतुर्थ और अंतिम प्रहर में भगवान शिव के मंत्रों का जप और स्तुति का पाठ करना फलदायी होता है।

आप सभी को भक्ति सत्संग परिवार की तरफ से महाशिवरात्रि 2022 की हार्दिक शुभकामनाएं।

Written by

Your Astrology Guru

Discover the cosmic insights and celestial guidance at YourAstrologyGuru.com, where the stars align to illuminate your path. Dive into personalized horoscopes, expert astrological readings, and a community passionate about unlocking the mysteries of the zodiac. Connect with Your Astrology Guru and navigate life's journey with the wisdom of the stars.

Leave a Comment

Item added to cart.
0 items - 0.00