Table of Contents
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
ओ मैया मोरी
मैया ओ मैया
मैया…
मोरी मैया…
ओरी मैया, धोरी मैया
साची केह रहियो तेरो कन्हैया
ओ मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
नहीं नहीं मैं नहीं माखन खायो
मैं नहीं माखन खायो
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
जिन गोपीन की तू मानत है
वे दोहरी नित चलाये रही
मो से करवाई रही चोरी और
मो पे ही दोष लगाई रही
माखन के कारण गोकुल की
गलियन में मोहे नचाई रही
मैया मोरे सुधेपन को
सब मिलके लाभ उठाई रही
इनके पीछे चोर कहावे
इनके पीछे चोर कहावे
माँ यशोदा तेरो जायो
ओ मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
नहीं नहीं मैं नहीं माखन खायो
मोई चोरी इति का काम भला
बिन मांगे जब पावत हूँ
माँ तो से मिले माखन इतनो जो
खावत नहीं अघावत हूँ
मोरी अच्छी मैया मैं तोसे नहीं कोई बात छुपावत हूँ
नित ग्वालिन मुझे बुलावत हैं
मैं उनकी गलिन नहीं जावत हूँ
अच्छा! फिर तेरे मुह पे माखन कैसे लग गया रे
सब ग्वालिन मेरे बैर पड़ी हैं
जे बैरन मेरे पीछे पड़ी हैं
बरबस मुख लपटायो
ओ मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
नहीं नहीं मैं नहीं माखन खायो
झूठी सच्ची दे के सफाई
कान्हा ने समझायो
माँ यशोमती ने एक न मानी
माँ यशोमती ने एक न मानी
लाल को मुह न लगायो
ओ मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
नहीं नहीं मैं नहीं माखन खायो