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मीन लग्न की कुंडली में प्रथम भाव से मांगलिक विचार Manglik dosha consideration when Mars is in first house in Pisces/Meen lgna kundli :
मीन लग्न की कुंडली में मंगल दुसरे और नौवें भाव के स्वामी होते हैं, एक शुभ गृह माने जाते हैं । यदि मंगल एक योगकारक गृह होकर सातवीं दृष्टि से सप्तम भाव को देखते हों तो मांगलिक दोष बिलकुल नहीं बनता है बल्कि मंगल अपनी महादशा अन्तर्दशा में सप्तम भाव सम्बन्धी शुभ परिणाम ही प्रदान करते हैं पार्टनरशिप, डेली वेजिज़ में बढ़ौतरी करते मिलते हैं ।
मीन लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव से मांगलिक विचार Manglik consideration when Mars is in fourth house in Pisces/Meen kundli :
इस कुंडली में जब मंगल चौथे भाव में जाते हैं और अपनी चौथी दृष्टि से सप्तम भाव को देखते हैं तो मांगलिक दोष का निर्माण नहीं करते वरन सप्तम भाव सम्बन्धी शुभ फलों में वृद्धिकारक होते हैं । वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाते हैं, पार्टनरशिप, डेली वेजिज़ में बढ़ौतरी करते हैं । ऐसा जातक की मैरिज लाइफ स्टेबल रहती है ।
मीन लग्न की कुंडली में सातवें भाव से मांगलिक विचार Manglik consideration when Mars is in seventh house in Pisces/Meen lgna kundli :
इसी लग्न कुंडली में यदि मंगल सातवें भाव में स्थित हो जाए तो Manglik दोष नहीं माना जाता है । यहाँ मंगल के स्थित होने पर मंगल इस भाव से सम्बंधित रिश्तों को स्टेबल रखने में हमेशा मददगार होता है और अपनी महादशा अन्तर्दशा में सातवें भाव सम्बन्धी शुभ फल प्रदान करते हैं । अपनी महादशा अन्तर्दशा में मंगल वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाते हैं, पार्टनरशिप, डेली वेजिज़ में बढ़ौतरी करते हैं ।
मीन लग्न की कुंडली में आठवें भाव से मांगलिक विचार Manglik consideration when Mars is in eighth house in Pisces/Meen lgna kundli :
मीन लग्न की कुंडली में आठवें भाव में मंगल के स्थित होने पर भी मांगलिक दोष बनता है । अष्टम भाव त्रिक भाव में से एक भाव होता है, कुंडली का एक अशुभ भाव माना जाता है । इस जन्मपत्री में स्थित होने पर मंगल अपनी महादशा अन्तर्दशा में अशुभ फलों में वृद्धि करते हैं । ऐसे जातक के विवाह से पहले कुंडली मिलान आवश्य करवा लेना चाहिए अन्यथा मंगल वैवाहिक जीवन, पार्टनरशिप, डेली वेजिज़ सम्बन्धी अशुभ फल प्रदान करते हैं ।
मीन लग्न की कुंडली में बारहवें भाव से मांगलिक विचार Manglik consideration when Mars is in twelth house in Pisces/Meen lgna kundli :
इसी लग्न कुंडली में यदि मंगल द्वादशस्थ हो जाए तो मांगलिक दोष माना जाता है । बारहवां भाव त्रिक भावों में से एक होता है, कुंडली का अशुभ स्थान माना जाता है । यहां बारहवें भाव में कुम्भ राशि आती है जो मंगल के अति शत्रु शनि की मूल त्रिकोण राशि है । इस वजह से जब मंगल अपनी आठवीं दृष्टि से सप्तम भाव को देखते हैं तो मांगलिक दोष का निर्माण होता है और सातवें भाव सम्बन्धी अशुभ परिणाम प्राप्त होते हैं ।
इस प्रकार हमने जाना की मीन लग्न की कुंडली में पहले, चौथे, सातवें भाव में मंगल देवता के स्थित होने पर मांगलिक दोष नहीं बनता है । साथ ही हमने यह भी जाना की इस जन्मपत्री में यदि मंगल आठवें, बारहवें भाव में स्थित हो जाएँ तो मांगलिक दोष अवश्य बनता है ।
ध्यान दें किसी भी कुंडली के मांगलिक दोष को निर्धारित करते समय मांगलिक दोष के कैंसलेशन पॉइंट्स जरूर देख लें । इनकी जानकारी आपको नेट पर आसानी से उपलब्ध हो जायेगी । मांगलिक दोष के कैंसलेशन पॉइंट्स जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट YourAstrologyGuru.Com पर भी लॉगिन कर सकते हैं ।
आशा है की आज का विषय आपके लिए ज्ञानवर्धक रहा । आदियोगी का आशीर्वाद सभी को प्राप्त हो । ज्योतिषहिन्दी.इन ( YourAstrologyGuru.Com ) पर विज़िट करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।