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वृश्चिक लग्न की कुंडली में मांगलिक दोष विचार Manglik dosha consideration in Scorpio/Vrishchik lgna kundli

वृश्चिक लग्न की कुंडली में प्रथम भाव से मांगलिक विचार Manglik dosha consideration when Mars is in first house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli

वृश्चिक लग्न की कुंडली में मंगल प्रथमेश व् षष्ठेश होते हैं । लग्नेश होने की वजह से एक शुभ गृह बनते हैं । यदि मंगल प्रथम भाव में हों और सातवीं दृष्टि से सप्तम भाव को देखते हों तो मांगलिक दोष की निर्मिति नहीं कही जायेगी । मंगल अपनी महादशा अन्तर्दशा में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम व् अष्टम भाव सम्बन्धी शुभ परिणाम ही प्रदान करते हैं । छठे भाव में मेष राशि आती है तो छठे भाव सम्बन्धी भी शुभ परिणाम देने वाले कहे गए हैं ।

वृश्चिक लग्न की कुंडली में चतुर्थ भाव से मांगलिक विचार Manglik consideration when Mars is in fourth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

यही मंगल यदि चतुर्थ भाव में स्थित हो जाएँ तो अपनी चौथी दृष्टि से सातवें भाव को देखते हैं । इस कुंडली में एक शुभ गृह होने की वजह से जब अपनी चौथी दृष्टि से सप्तम भाव को देखते हैं तो मांगलिक दोष का निर्माण नहीं करते वरन सप्तम भाव को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं । इस प्रकार यदि वृश्चिक लग्न की कुंडली में मंगल चौथे भाव में हो तो मांगलिक दोष नहीं बनता है ।


वृश्चिक लग्न की कुंडली में सातवें भाव से मांगलिक विचार Manglik consideration when Mars is in seventh house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

इसी लग्न कुंडली में यदि मंगल सातवें भाव में स्थित हो जाए तो मांगलिक दोष की निर्मिती नहीं कही जायेगी । एक शुभ गृह होने और केंद्र में स्थित होने पर मंगल अपनी दशा अन्तर्दशा में सातवें भाव सम्बन्धी सभी उचित परिणाम प्रदान करता है । साथ ही अपनी चौथी, सातवीं और आठवीं दृष्टि से दसवें, लग्न व् दुसरे भाव को देखता है और इन भावों सम्बन्धी शुभ परिणाम प्रदान करता है ।

वृश्चिक लग्न की कुंडली में आठवें भाव से मांगलिक विचार Manglik consideration when Mars is in eighth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

वृश्चिक लग्न की कुंडली में आठवें भाव में मंगल के स्थित होने पर मांगलिक दोष बनता है । जन्मपत्री का आठवाँ भाव त्रिक भाव में से एक होता है और एक अशुभ भाव माना जाता है । ऐसी स्थिति में कहा जा सकता है की वृश्चिक लग्न कुंडली में आठवें भाव में स्थित होने पर मंगल को मांगलिक दोष लगता है । आठवें भाव में स्थित होने पर मंगल देवता की अशुभता बढ़ जाती है और मंगल अपनी चौथी, सातवीं और आठवीं दृष्टि से जिन भावों को देखते हैं उन भावों सम्बन्धी शुभता में कमी लाते हैं ।

वृश्चिक लग्न की कुंडली में बारहवें भाव से मांगलिक विचार Manglik consideration when Mars is in twelth house in Scorpio/Vrishchik lgna kundli :

इसी लग्न कुंडली में यदि मंगल द्वादशस्थ हो जाए तो मांगलिक दोष माना जाता है । बारहवां भाव त्रिक भावों में से एक होता है, कुंडली का शुभ स्थान नहीं माना जाता है । बारहवें भाव से मंगल अशुभ दृष्टि से कुंडली के सातवें भाव को देखता है और मांगलिक दोष का निर्माण करता है । बारहवें भाव में स्थित मंगल अपनी महादशा अन्तर्दशा में चौथी, सातवीं और आठवीं दृष्टि से जिन भावों को देखते हैं उन भावों सम्बन्धी शुभता में कमी लाते हैं ।

इस प्रकार हमने जाना की वृश्चिक लग्न की कुंडली में मंगल पहले,चौथे और सातवें भाव में स्थित होने पर मांगलिक दोष का निर्माण नहीं करता है । वहीँ यह मंगल लग्न से आठवें तथा बारहवें भाव में स्थित हो जाए तो मांगलिक दोष का घोतक होता है ।

ध्यान दें किसी भी कुंडली के मांगलिक दोष को निर्धारित करते समय मांगलिक दोष के कैंसलेशन पॉइंट्स जरूर देख लें । इनकी जानकारी आपको नेट पर आसानी से उपलब्ध हो जायेगी । मांगलिक दोष के कैंसलेशन पॉइंट्स जानने के लिए आप हमारी वेबसाइट YourAstrologyGuru.Com पर भी लॉगिन कर सकते हैं ।

आशा है की आज का विषय आपके लिए ज्ञानवर्धक रहा । आदियोगी का आशीर्वाद सभी को प्राप्त हो । ज्योतिषहिन्दी.इन ( YourAstrologyGuru.Com ) पर विज़िट करने के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।

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Your Astrology Guru

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