माणिक्य (रूबी) को बेहद मूल्यवान रत्न माना जाता है। इसे चुन्नी और लालडी भी कहा जाता है। माणिक्य का रंग लाल होता है। इसे धारण करने से सूर्य की पीड़ा शांत होती है। माणिक्य को अंग्रेज़ी में ‘रूबी’ कहते हैं।
माणिक्य के तथ्य प
माणिक्य रत्न के बारे में कहा जाता है कि जब किसी व्यक्ति के साथ कुछ अनहोनी घटित होने वाली हो तो यह रत्न स्वयं अपना रंग परिवर्तित कर लेता है।
कई लोग मानते हैं कि माणिक्य विष के प्रभाव को भी कम कर देता है।
विषयसूची
माणिक्य के लिए राशिमाणिक्य के फायदेस्वास्थ्य में माणिक्य का लाभकैसे करें माणिक्य धारणमाणिक्य का उपरत्नमाणिक रत्न की प्राकृतिक उपलब्धताविज्ञान और माणिक रत्न:आर्टिफीशियल माणिकमाणिक रत्न के गुण:ज्योतिष और माणिक्य के लाभमाणिक्य रत्न का प्रयोगमाणिक्य रत्न का विकल्प
माणिक्य के लिए राशि
सिंह राशि के जातकों के लिए माणिक्य रत्न धारण करना अत्यंत लाभकारी माना गया है।
माणिक्य के फायदे
जो जातक, सूर्य की पीड़ा से ग्रस्त हो उन्हें माणिक्य धारण करने की सलाह दी जाती है।
इसे धारण करने से मनुष्य बदनामी से बचा जा सकता है।
इसे धारण करने से विवाहित जीवन में मजबूती आती है।
स्वास्थ्य में माणिक्य का लाभ
माणिक्य नेत्र रोग तथा हृदय संबंधित रोगों में विशेष लाभकारी माना जाता है। साथ ही सरदर्द आदि समस्याओं में भी इसका प्रयोग लाभकारी होता है।
कैसे करें माणिक्य धारण
ज्योतिषानुसार माणिक्य (रूबी) रविवार के दिन सूर्य मंत्रों का जाप करते हुए धारण करना चाहिए। माणिक्य धारण करते समय कुंडली में सूर्य की स्थिति के बारे में भी विचार कर लेना चाहिए।
माणिक्य का उपरत्न
माणिक्य के स्थान पर कई बार ज्योतिषी गार्नेट (Red garnet) भी धारण करने की सलाह देते हैं।
माणिक को अंग्रेजी में रूबी कहते हैं। इसे सभी रत्नों में सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। लाल रंग का माणिक सबसे बेहतरीन और मूल्यवान होता है। विभिन्न जगहों में पाए जाने के कारण जलवायु परिवर्तन का असर इसके रंगों में भी दिखता है। लाल से गुलाबी तक यह कई अलग-अलग जगहों में अलग-अलग रंगों में निकलता है।
माणिक रत्न की प्राकृतिक उपलब्धता
माणिक खनिज के रूप में सबसे ज्यादा म्यांमार में पाया जाता है। यहां सबसे उच्च कोटि का माणिक पाया जाता है। पहले म्यांमार के ऊपरी भाग में इसकी ज्यादा खदानें थी लेकिन फिर 1990 के बाद मध्य म्यांमार में माणिक की ज्यादा खाने मिलने लगीं। यहां का माणिक इतना लाल होता है कि उसके रंग को ‘कबूतर के खून’ की संख्या दी जाती है।
म्यांमार के अलावा भी यह रत्न नेपाल, कंबोडिया, भारत, अफगानिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, नमीबिया, कोलंबिया, जापान, स्कॉटलैंड, ब्राजील और पाकिस्तान में भी पाया जाता है। इसके अलावा श्रीलंका में भी माणिक की खाने पाई जाती हैं लेकिन यहां का माणिक सबसे निम्न होता है, जिसका रंग गुलाबी होता है।
विज्ञान और माणिक रत्न:
वैज्ञानिक दृष्टि में रूबी एल्फा-एल्यूमिना है जोकि एल्यूमीनियम ऑक्साइड की सबसे स्थिर अवस्था है। इसका वैज्ञानिक फार्मुला Al2O3.Cr होता है। यह एक खनिज है और इसकी संरचना में क्रोमियम के साथ एल्यूमिनीयम ऑक्साइड के कई अणु एक दूसरे से जुड़े होते हैं। फोटो रसायनिक अध्ययन से यह सिद्ध हुआ है कि माणिक संतरी लाल और बैंगनी लाल आभा बिखेरता है।
आर्टिफीशियल माणिक
वर्ष 1837 में ही कृत्रिम रूप से माणिक बना लिया गया था। सबसे पहले इसे फिटकरी को उच्च तापमान पर गर्म करके क्रोमियम के साथ मिलाकर तैयार किया गया था। इसके बाद रसायन शास्त्रियों ने कई दूसरे और सस्ते तरीके आर्टिफीशियल माणिक बनाने के लिए इजाद कर लिए। लेकिन कॉमरशियली इसका उत्पादन 1903 में शुरू हुआ। माणिक बनाने वाली पहली फैक्ट्री में 25 भट्टियां बनाई गई थी, जिसमें पूरे वर्ष में 800 किलोग्राम माणिक तैयार किया जाता था।
माणिक रत्न के गुण:
माणिक बहुत चमकदार गहरे लाल रंग से गुलाबी रंग तक होता है। गहरा लाल रंग होने के बाद भी यह रत्न ट्रांस्पेरेंट होता है। ऐसा कहा जाता है कि इसे हाथ में लेकर रखने से गर्मी का एहसास होने लगता है।
ज्योतिष और माणिक्य के लाभ
माणिक्य सूर्य का रत्न है। इसको धारण करने के संबंध में कुंडली में सूर्य की स्थिति को देखा जाता है। बेहतर होता है कि किसी जानकार ज्योतिषाचार्य की सलाह लेने के बाद ही माणिक्य धारण करें किन्तु यहां कुंडली में सूर्य की उपस्थिति के अनुसार माणिक्य धारण करने के विषय में सामान्य बिन्दु प्रस्तुत किए जा रहे हैं।
सूर्य लग्न में हो तो सूर्य का तेज कई प्रकार से बाधाएं देता है। इनमें संतान से संबंधित समस्या प्रमुख है। तथा स्त्री के लिए भी यह कष्टदायक होता है। ऐसे लोगों को माणिक कदापि नहीं धारण करना चाहिए।दूसरे भाव में सूर्य धन प्राप्ति में बाधा उत्पन्न करता है। जातक की नौकरी और कारोबार में व्यवधान उत्पन्न होता है। इस स्थिति में माणिक्य धारण करना लाभदायक माना जाता है। माणिक्य सूर्य के प्रभाव को शुद्ध करता है और जातक धन आदि की अच्छी प्राप्ति कर पाता है।तीसरे भाव में सूर्य का होना छोटे भाई के लिए खतरा उत्पन्न करता है। ऐसे लोगों के छोटे भाई अक्सर नहीं होते हैं या फिर मृत्यु हो जाती है। सूर्य की इस स्थिति में भी माणिक्य धारण करना उचित रहता है।चौथे भाव में सूर्य नौकरी, ऐशो-आराम आदि में बाधाएं उत्पन्न करता है। ऐसी स्थिति में भी माणिक्य धारण किया जा सकता है।पांचवें भाव में सूर्य हो तो अत्यधिक लाभ व उन्नति के लिए माणिक्य पहनना चाहिए।यदि सूर्य भाग्येश और धनेश होकर छठे अथवा आठवें स्थान पर हो तो माणिक्य धारण करना लाभ देता है।यदि सूर्य सप्तम भाव में हो तो वह स्वास्थ्य संबंधि परेशानियां देता है। ऐसे लोग माणिक्य पहनकर स्वास्थ्य में सुधार महसूस करते हैं।सूर्य अष्टमेश या षष्ठेश हो कर पाचवें अथवा नवे भाव में बैठा हो तो जातक को माणिक्य धारण करना चाहिए।अगर जन्मकुंडली में सूर्य अपने ही भाव अर्थात अष्टम में हो तो ऐसे लोगों को अविलंब माणिक्य धारण करना चाहिए।ग्यारवें भाव में स्थित सूर्य पूत्रों के विषय में चिंता देता है साथ ही बड़े भाई के लिए भी हानिकारक होता है। ऐसे व्यक्तियों को भी माणिक्य धारण कर लेना चाहिए।सूर्य बारहवें भाव में हो तो वह आंखों के लिए समस्याएं उत्पन्न करता है। अत: नेत्रों को सुरक्षित रखने हेतु माणिक्य धारण करना बेहतर होता है।
माणिक्य रत्न का प्रयोग
कम से कम 3.5 रत्ती माणिक्य धारण करना चाहिए। किन्तु यदि संभव हो तो 5 रत्ती ही धारण करें। इसे सोने की अंगूठी में जड़वाकर रविवार, सोमवार और बृहस्पतिवार के दिन धारण करना चाहिए। इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि माणिक्य का स्पर्श आपकी त्वचा से अवश्य हो रहा हो।
माणिक्य को धारण करने से पूर्व इसे खरीद कर इसका शुद्धिकरण व जागृत करना बहुत आवश्यक है। शुद्धिकरण के लिए इसे गाय के कच्चे दूध या फिर गंगा जल में कुछ समय रखकर, बाहर निकाल कर पानी से धोने के उपरांत फूल, तिलक और धूप दिखाना चाहिए। इसके बाद इसे धारण करते समय 7000 बार ऊं घृणि: सूर्याय नम: का उच्चारण कर धारण करना चाहिए।
माणिक्य रत्न का विकल्प
माणिक्य बहुत मूल्यवान रत्न है। अत: सभी इसे खरीदकर पहने ऐसा संभव नही है। अत: कुछ ऐसे रत्न हैं जो माणिक्य से कम मूल्यवान है किन्तु माणिक्य के जैसे ही हैं। इसमें सबसे पहला स्थान स्पाइनेल का आता है जिसे हिन्दी में लालड़ी कहते हैं। दूसरा गारनेट रत्न है तीसरा जिरकॉन और चौथा एजेट हैं। माणिक्य न मिलने की स्थिति में या आर्थिक कारणों से माणिक्य न धारण कर पाने की स्थिति में इन्हें धारण किया जा सकता है।
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